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18-10-2025

Co-Living मार्केट प्रोफेशनल्स की पसंद बना

  •  रियल एस्टेट जगत में को-लिविंग तेजी से विकसित होता क्षेत्र होने के साथ ही लोगों को समाज से जोडऩे का विकल्प बनकर उभर रहा है। को-लिविंग या सह-आवास एक ऐसी आवासीय व्यवस्था है जिसमें अलग-अलग लोग जो अक्सर एक-दूसरे को पहले से नहीं जानते, एक ही घर या अपार्टमेंट में अपने-अपने निजी कमरों में रहते हैं लेकिन रसोई, ‘लिविंग रूम’ जैसी सुविधाएं साझा करते हैं। को-लिविंग क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप ‘ट्रूलिव’ के निवासी पुरुषोत्तम ने कहा कि जब मैं पहली बार अपना काम के सिलसिले में चेन्नई आया तो मैं बिल्कुल अकेला था। ट्रूलिव के सह-आवास में रहने के फैसले से सब कुछ बदल गया। यहां रहने से मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होता बल्कि अब कई लोग मेरे दोस्त बन गए हैं। आईटी पेशेवर पुरुषोत्तम ने कहा कि हम खाली समय में हमेशा साथ में कुछ न कुछ करते रहते हैं। शुक्रवार रात की फिल्म देखने से लेकर सामुदायिक आयोजन तक यहां होते रहते हैं।  ‘ट्रूलिव’ के को-फाउंडर एवं सीईओ रोहित रेड्डी ने कहा कि को-लिविंग अब तेजी से बढ़ता बाजार है यह रियल एस्टेट में काम करने का एक बेहद ‘स्मार्ट’ तरीका बन गया है। इसमें कम जगह से अच्छी कमाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग अब शहरों का रुख कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए उचित स्थान की तलाश है जो तमाम सुविधाओं से लैस होने के साथ-साथ किफायती भी हो। ऐसे में को-लिविंग छात्रों, कामकाजी लोगों आदि की पहली पसंद बनता जा रहा है। रेड्डी ने कहा कि बढ़ती डिमांड के साथ यह क्षेत्र 17 प्रतिशत की एन्युअल रेट से बढ़ रहा है और आगे भी इसमें तेजी बने रहने की उम्मीद है। इसी क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप ‘निवो’ की को-लिविंग सुविधा में रहने वाली रेखा (22) ने कहा कि घर एवं परिवार से दूर निवो एक ऐसी जगह है जहां सुरक्षित महसूस होता है। इसमें तमाम सुविधाएं होने के साथ ही नए लोगों को जानने तथा उनके साथ रहने का अनुभव मिलता है। उन्होंने कहा कि घरों से दूर नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाने वाले लोग अक्सर व्यस्त दिनचर्या में अकेलापन महसूस करते हैं ऐसे में को-लिविंग उन्हें समाज से जोड़े रखने का काम करता है। ‘निवो’ के फाउंडर प्रणय चौधरी ने कहा कि जैसे-जैसे अधिक लोग बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं निजी और पेशेवर जिंदगी को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ऐसे में कुछ लोगों के साथ एक छत साझा करना एक आकर्षक विकल्प बन गया है। को-लिविंग छात्रों, पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है। दुनिया भर में बढ़ती लागत के कारण पारंपरिक आवास कम सुलभ हो रहे हैं। ऐसे यह एक किफायती विकल्प है।

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Co-Living मार्केट प्रोफेशनल्स की पसंद बना

 रियल एस्टेट जगत में को-लिविंग तेजी से विकसित होता क्षेत्र होने के साथ ही लोगों को समाज से जोडऩे का विकल्प बनकर उभर रहा है। को-लिविंग या सह-आवास एक ऐसी आवासीय व्यवस्था है जिसमें अलग-अलग लोग जो अक्सर एक-दूसरे को पहले से नहीं जानते, एक ही घर या अपार्टमेंट में अपने-अपने निजी कमरों में रहते हैं लेकिन रसोई, ‘लिविंग रूम’ जैसी सुविधाएं साझा करते हैं। को-लिविंग क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप ‘ट्रूलिव’ के निवासी पुरुषोत्तम ने कहा कि जब मैं पहली बार अपना काम के सिलसिले में चेन्नई आया तो मैं बिल्कुल अकेला था। ट्रूलिव के सह-आवास में रहने के फैसले से सब कुछ बदल गया। यहां रहने से मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं होता बल्कि अब कई लोग मेरे दोस्त बन गए हैं। आईटी पेशेवर पुरुषोत्तम ने कहा कि हम खाली समय में हमेशा साथ में कुछ न कुछ करते रहते हैं। शुक्रवार रात की फिल्म देखने से लेकर सामुदायिक आयोजन तक यहां होते रहते हैं।  ‘ट्रूलिव’ के को-फाउंडर एवं सीईओ रोहित रेड्डी ने कहा कि को-लिविंग अब तेजी से बढ़ता बाजार है यह रियल एस्टेट में काम करने का एक बेहद ‘स्मार्ट’ तरीका बन गया है। इसमें कम जगह से अच्छी कमाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग अब शहरों का रुख कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए उचित स्थान की तलाश है जो तमाम सुविधाओं से लैस होने के साथ-साथ किफायती भी हो। ऐसे में को-लिविंग छात्रों, कामकाजी लोगों आदि की पहली पसंद बनता जा रहा है। रेड्डी ने कहा कि बढ़ती डिमांड के साथ यह क्षेत्र 17 प्रतिशत की एन्युअल रेट से बढ़ रहा है और आगे भी इसमें तेजी बने रहने की उम्मीद है। इसी क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप ‘निवो’ की को-लिविंग सुविधा में रहने वाली रेखा (22) ने कहा कि घर एवं परिवार से दूर निवो एक ऐसी जगह है जहां सुरक्षित महसूस होता है। इसमें तमाम सुविधाएं होने के साथ ही नए लोगों को जानने तथा उनके साथ रहने का अनुभव मिलता है। उन्होंने कहा कि घरों से दूर नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाने वाले लोग अक्सर व्यस्त दिनचर्या में अकेलापन महसूस करते हैं ऐसे में को-लिविंग उन्हें समाज से जोड़े रखने का काम करता है। ‘निवो’ के फाउंडर प्रणय चौधरी ने कहा कि जैसे-जैसे अधिक लोग बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं निजी और पेशेवर जिंदगी को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ऐसे में कुछ लोगों के साथ एक छत साझा करना एक आकर्षक विकल्प बन गया है। को-लिविंग छात्रों, पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है। दुनिया भर में बढ़ती लागत के कारण पारंपरिक आवास कम सुलभ हो रहे हैं। ऐसे यह एक किफायती विकल्प है।


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