सरकारी बैंको का 30 जून तक 2,104 विलफुल डिफॉल्टर पर 1.76 लाख करोड़ रुपये के लोन बकाया है। पिछले 5 वर्ष में पीएसबी ने विभिन्न कैटेगरी में करीब 10 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट-ऑफ किये हैं। सरकार ने विलफुल डिफॉल्टर के नाम नहीं बताए लेकिन वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा कि आरबीआई द्वारा परिभाषित 2104 विलफुल डिफॉल्टर पर पीएसबी का 1,76,693 करोड़ रुपये बकाया है। जो 31 मार्च 2022 को 2,280 विलफुल डिफॉल्टर पर 2,05,461 करोड़ रुपये बकाया से कम है। मंत्री ने कहा कि बैंक ऐसे सभी खातों के खिलाफ रिकवरी कार्रवाई जारी रखते हैं। वसूली उपायों में डीआरटी, सरफेसी अधिनियम और आईबीसी के तहत दिवाला कार्यवाही शामिल है। संसद में चौधरी ने कहा पिछले 5 वर्ष में पीएसबी ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लोन राइट-ऑफ किए हैं। राइट-ऑफ एनपीए असैट्स के पेटे फुल प्रोविजनिंग के बाद किया जाता है। राइट-ऑफ का अर्थ लोन माफ करना नहीं होता। पिछले 5 वित्तवर्ष में पीएसबी के बीच लोन राइट-ऑफ की सूची में एसबीआई ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। एसबीआई ने वित्त वर्ष 20-21 में 18,000 करोड़ रुपये से अधिक, वित्त वर्र्ष21-22 में 18,500 करोड़ रुपये, वित्त वर्र्ष22-23 में 23,600 करोड़ रुपये, वित्त वर्र्ष23-24 में 10,600 करोड़ रुपये और वित्त वर्र्ष24-25 (प्रावधिक) में 16,000 करोड़ रुपये राइट-ऑफ किए गए। भारी रकम राइट-ऑफ किए जाने के बावजूद, पीएसबी का सकल एनपीए अनुपात लगातार घट रहा है जो 31 मार्च 2021 को 6.16 लाख करोड़ रुपये (एडवांस का 9.11 परसेंट) से घटकर 31 मार्च 2025 को 2.83 लाख करोड़ रुपये (2.58 परसेंट) रह गया।

