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14-08-2025

मेडिकल टूरिज़्म बनेगा कमाई का जैकपॉट

  •  याद है ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेस्टिनेशनल वेडिंग के बढ़ते ट्रेंड में वोकल फोर लोकल का तडक़ा लगाते हुए क्या नारा दिया था...वेड इन इंडिया। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत का डेस्टिनेशन वेडिंग मार्केट पिछले साल 3.5 बिलियन डॉलर का था जो 2033 तक 25 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। भारत सरकार कुछ ऐसा ही मेडिकल टूरिज्म के साथ करना चाहती है। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट असोसिएशन्स ऑफ़ इंडिया (एफएचआरएआई) और केपीएमजी की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत का मेडिकल टूरिज्म मार्केट 2025 में 18.2 बिलियन डॉलर से बढक़र 2035 तक 12.3 परसेंट सीएजीआर के साथ 58.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। हालांकि कोविड के दौरान यह बूमिंग सैक्टर क्रेशलैंड हो गया था लेकिन अब बहुत तेज रिकवरी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस सैक्टर के रिवाइवल के लिए पॉलिसी में सुधार किए हैं, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इंवेस्टमेंट हो रहा है, डिजिटल हेल्थ आईडी बन रही हैं। लेकिन मेडिकल टूरिज्म को टार्गेट करते हुए आयुष वीजा की नई कैटेगरी शुरू की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा जारी किए गए मेडिकल वीजा की संख्या 2019 में 3.75 लाख थी, जो कोविड काल में घटकर 1.52 लाख हो गई थी। लेकिन 2024 में यह संख्या 4.64 लाख तक पहुंच गई। लेकिन मरीजों की बड़ी तादाद ऐसी है जो टूरिस्ट वीजा पर इंडिया में ट्रीटमेंट और वैलनैस थेरेपी करवाते हैं। इसलिए मेडिकल वीजा और टूरिस्ट वीजा पर ट्रीटमेंट कराने वाले टूरिस्ट्स में बड़ा अंतर नजर आता है। पड़ौसी बांग्लादेश का भारत आने वाले मेडिकल टूरिस्ट्स में सबसे बड़ा शेयर है। वर्ष 2022 में 3.27लाख बांग्लादेशी ईलाज के लिए भारत आए थे। इसके अलावा इराक और यमन के साथ ही गल्फ और अफ्रीका से भी अच्छी संख्या में मेडिकल टूरिस्ट्स भारत आते हैं। इंटरनेशनल रिपोर्ट कहती हैं कि मेडिकल टूरिज्म के टॉप20 देशों में भारत 7वे पायदान पर है लेकिन एशिया प्रशांत के देशों में भारत तीसरी रैंक पर है। एशिया में थाईलैंड वैलनैस और सिंगापुर मेडिकल टूरिज्म का बड़ा सेंटर है। भारत के मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स में आगे बढऩे का बड़ा कारण इंटरनेशनल लेवल के इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद ट्रीटमेंट कॉस्ट कम होना।भारत में जहां हार्ट बाईपास सर्जरी की लागत लगभग 5 हजार डॉलर है, जबकि अमेरिका में 1.44 लाख डॉलर। इसी तरह भारत में नी रिप्लेसमेंट (घुटना बदल) की लागत भारत में लगभग 2 हजार डॉलर है जबकि यूके में 50 हजार डॉलर। केपीएमजी इंडिया के डायरेक्टर (स्पोर्ट्स एंड टूरिज़्म प्रैक्टिस) सोमेश्वर कौण्डिन्य के अनुसार पॉलिसी सपोर्ट, डिजिटल टूल्स और ग्लोबल आउटरीच के जरिए भारत वल्र्ड की हीलिंग कैपिटल बन सकता है। वर्ष 2024 में ग्लोबल मेडिकल टूरिज़्म मार्केट 41.75 बिलियन डॉलर था जबकि वेलनेस टूरिज़्म मार्केट 954.14 बिलियन डॉलर था।

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मेडिकल टूरिज़्म बनेगा कमाई का जैकपॉट

 याद है ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेस्टिनेशनल वेडिंग के बढ़ते ट्रेंड में वोकल फोर लोकल का तडक़ा लगाते हुए क्या नारा दिया था...वेड इन इंडिया। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत का डेस्टिनेशन वेडिंग मार्केट पिछले साल 3.5 बिलियन डॉलर का था जो 2033 तक 25 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। भारत सरकार कुछ ऐसा ही मेडिकल टूरिज्म के साथ करना चाहती है। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट असोसिएशन्स ऑफ़ इंडिया (एफएचआरएआई) और केपीएमजी की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत का मेडिकल टूरिज्म मार्केट 2025 में 18.2 बिलियन डॉलर से बढक़र 2035 तक 12.3 परसेंट सीएजीआर के साथ 58.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। हालांकि कोविड के दौरान यह बूमिंग सैक्टर क्रेशलैंड हो गया था लेकिन अब बहुत तेज रिकवरी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस सैक्टर के रिवाइवल के लिए पॉलिसी में सुधार किए हैं, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इंवेस्टमेंट हो रहा है, डिजिटल हेल्थ आईडी बन रही हैं। लेकिन मेडिकल टूरिज्म को टार्गेट करते हुए आयुष वीजा की नई कैटेगरी शुरू की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा जारी किए गए मेडिकल वीजा की संख्या 2019 में 3.75 लाख थी, जो कोविड काल में घटकर 1.52 लाख हो गई थी। लेकिन 2024 में यह संख्या 4.64 लाख तक पहुंच गई। लेकिन मरीजों की बड़ी तादाद ऐसी है जो टूरिस्ट वीजा पर इंडिया में ट्रीटमेंट और वैलनैस थेरेपी करवाते हैं। इसलिए मेडिकल वीजा और टूरिस्ट वीजा पर ट्रीटमेंट कराने वाले टूरिस्ट्स में बड़ा अंतर नजर आता है। पड़ौसी बांग्लादेश का भारत आने वाले मेडिकल टूरिस्ट्स में सबसे बड़ा शेयर है। वर्ष 2022 में 3.27लाख बांग्लादेशी ईलाज के लिए भारत आए थे। इसके अलावा इराक और यमन के साथ ही गल्फ और अफ्रीका से भी अच्छी संख्या में मेडिकल टूरिस्ट्स भारत आते हैं। इंटरनेशनल रिपोर्ट कहती हैं कि मेडिकल टूरिज्म के टॉप20 देशों में भारत 7वे पायदान पर है लेकिन एशिया प्रशांत के देशों में भारत तीसरी रैंक पर है। एशिया में थाईलैंड वैलनैस और सिंगापुर मेडिकल टूरिज्म का बड़ा सेंटर है। भारत के मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स में आगे बढऩे का बड़ा कारण इंटरनेशनल लेवल के इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद ट्रीटमेंट कॉस्ट कम होना।भारत में जहां हार्ट बाईपास सर्जरी की लागत लगभग 5 हजार डॉलर है, जबकि अमेरिका में 1.44 लाख डॉलर। इसी तरह भारत में नी रिप्लेसमेंट (घुटना बदल) की लागत भारत में लगभग 2 हजार डॉलर है जबकि यूके में 50 हजार डॉलर। केपीएमजी इंडिया के डायरेक्टर (स्पोर्ट्स एंड टूरिज़्म प्रैक्टिस) सोमेश्वर कौण्डिन्य के अनुसार पॉलिसी सपोर्ट, डिजिटल टूल्स और ग्लोबल आउटरीच के जरिए भारत वल्र्ड की हीलिंग कैपिटल बन सकता है। वर्ष 2024 में ग्लोबल मेडिकल टूरिज़्म मार्केट 41.75 बिलियन डॉलर था जबकि वेलनेस टूरिज़्म मार्केट 954.14 बिलियन डॉलर था।


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