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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

13-08-2025

लैंड रिफॉर्म से मैन्युफैक्चरिंग करेगी परफॉर्म : सीआईआई

  •  ट्रेड फोरम सीआईआई ने कहा है कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए लैंड रिफॉर्म करने की जरूरत है। इसके लिए उसने जीएसटी जैसी परिषद (काउंसिल) बनाने, राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी दरें 3 से 5' के बीच और भूमि परिवर्तन प्रक्रिया को फुल डिजिटला करने के सुझाव दिए हैं। सीआईआई ने हर राज्य में एकीकृत भूमि प्राधिकरण (इंटीग्रेटेड लैंड अथॉरिटी) बनाने का सुझाव दिया है, जो अलॉटमेंट से लेकर कन्वर्जन और डिस्प्यूट रेजॉल्यूशन से लेकर जोनिंग जैसे सभी कामों के लिए एक वन-स्टॉप एजेंसी के रूप में काम करे। इसके साथ ही, परिवर्तन प्रमाणपत्रों को डिजिटल हस्ताक्षर और क्यूआर कोड वेरिफिकेशन के साथ जारी करने की बात कही है। सीआईआई ने जोर दिया कि राज्यों को एडवांस्ड टाइटलिंग सिस्टम (संपूर्ण शीर्षक प्रणाली) अपनाना चाहिए, जिससे लैंड ओनरशिप क्लीयर हो, मुकदमों का जोखिम घटे, साथ ही निवेश के लिए भूमि उपलब्ध हो सके। सीआईआई ने कहा कि हालांकि देश में इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक है, लेकिन इसे एक नेशनल लैंड बैंक के रूप में विकसित करने की जरूरत है। इसके पास राज्यों के लैंड पूल की जानकारी के साथ सिंगल डिजिटल इंटरफेस के जरिए भूमि आवंटन भी कर सके। सीआईआई ने कहा भूमि मुख्य रूप से राज्यों के अधिकार क्षेत्र में का विषय है लेकिन लैंड पॉलिसी की क्रॉस-कटिंग को देखते हुए, केंद्र और राज्यों के बीच करीबी सहयोग जरूरी है। सीआईआई ने इसी कारण जीएसटी काउंसिल जैसी संस्था बनाने का सुझाव दिया है, जो सहमति आधारित भूमि सुधार को संभव बना सके।

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लैंड रिफॉर्म से मैन्युफैक्चरिंग करेगी परफॉर्म : सीआईआई

 ट्रेड फोरम सीआईआई ने कहा है कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए लैंड रिफॉर्म करने की जरूरत है। इसके लिए उसने जीएसटी जैसी परिषद (काउंसिल) बनाने, राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी दरें 3 से 5' के बीच और भूमि परिवर्तन प्रक्रिया को फुल डिजिटला करने के सुझाव दिए हैं। सीआईआई ने हर राज्य में एकीकृत भूमि प्राधिकरण (इंटीग्रेटेड लैंड अथॉरिटी) बनाने का सुझाव दिया है, जो अलॉटमेंट से लेकर कन्वर्जन और डिस्प्यूट रेजॉल्यूशन से लेकर जोनिंग जैसे सभी कामों के लिए एक वन-स्टॉप एजेंसी के रूप में काम करे। इसके साथ ही, परिवर्तन प्रमाणपत्रों को डिजिटल हस्ताक्षर और क्यूआर कोड वेरिफिकेशन के साथ जारी करने की बात कही है। सीआईआई ने जोर दिया कि राज्यों को एडवांस्ड टाइटलिंग सिस्टम (संपूर्ण शीर्षक प्रणाली) अपनाना चाहिए, जिससे लैंड ओनरशिप क्लीयर हो, मुकदमों का जोखिम घटे, साथ ही निवेश के लिए भूमि उपलब्ध हो सके। सीआईआई ने कहा कि हालांकि देश में इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक है, लेकिन इसे एक नेशनल लैंड बैंक के रूप में विकसित करने की जरूरत है। इसके पास राज्यों के लैंड पूल की जानकारी के साथ सिंगल डिजिटल इंटरफेस के जरिए भूमि आवंटन भी कर सके। सीआईआई ने कहा भूमि मुख्य रूप से राज्यों के अधिकार क्षेत्र में का विषय है लेकिन लैंड पॉलिसी की क्रॉस-कटिंग को देखते हुए, केंद्र और राज्यों के बीच करीबी सहयोग जरूरी है। सीआईआई ने इसी कारण जीएसटी काउंसिल जैसी संस्था बनाने का सुझाव दिया है, जो सहमति आधारित भूमि सुधार को संभव बना सके।


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