कई महिनों के स्लोडाउन के बाद अर्बन डिमांड में रिवाइवल के चलते अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर में FMCG कंपनियों को कुछ राहत मिली है। पर कंपनियों के लिए अभी चुनौतियां समाप्त नहीं हुई है क्योंकि खोपरा, पॉम ऑयल व गेहूं जैसी कमोडिटीज में इंफ्लेशन के चलते कंपनियों के प्रोफिट मार्जिनों पर प्रेशर लगातार जारी है। इस बीच सेल्स वोल्यूम को बनाए रखने के लिए कंपनियों ने प्रोडक्ट्स की प्राइस में बढ़ोतरी भी नहीं की है। FMCG कंपनियों के अप्रेल-जून 2025 क्वार्टर के लिए ओपरेटिंग मार्जिनों का एनालिसिस किया जाए तो इस दौरान कंपनियों के ओपरेटिंग मार्जिनों में 100 से लेकर 430 बेसिस पाइंट्स तक की कमी देखने को मिली है। हालांकि, इस बीच कंपनियों की सेल्स वोल्यूम ग्रोथ 4 से 9 प्रतिशत व सेल्स वेल्यू ग्रोथ 2 से 4 प्रतिशत के लगभग रही। असल में पिछले 3-4 महिनों में खोपरा, पॉम ऑयल व गेहूं की कीमतों में 7 प्रतिशत से लेकर 47 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। खोपरा का यूज जहां हेयर-ऑयल में होता है वहीं पॉम ऑयल का उपयोग सोप, डिटरजेंट व शेंपू जैसे पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में होता है। गेहूं का यूज बिस्किट व नूडल्स जैसे प्रोडक्ट्स में होता है। हिंदुस्तान युनिलीवर लि. का मानना है कि कमोडिटी प्राइस आगे चलकर रेंज-बाउंड रहेंगी। वहीं गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का मानना है कि पॉम ऑयल की कीमतों में ठहराव आना शुरू हो गया है व इसका बेनेफिट अक्टूबर-मार्च 2026 में मिलेगा। इसी तरह ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज का कहना है कि कमोडिटी प्राइस में वोलेटिलिटी का दौर अब पीछे छूट चुका है।
