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11-08-2025

एडिबल ऑइल इंडस्ट्री के लिए सरकार ने बनाया नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क

  •  कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम हिंदुस्तानियों को खाने में तेल का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इससे मोटापे को मैनेज करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरअसल कहना यह चाहते थे कि कुकिंग ऑइल का इंपोर्ट देश पर दबाव डाल रहा है। भारत सरकार ने एडिबल ऑइल इंडस्ट्री के लिए एक नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया है। मकसद लोकल प्रॉडक्शन, डिमांड और इंपोर्ट के डेटा को ट्रांसपेरेंट तरीके से मॉनिटर करना है। इस पूरी प्रॉसेस के जरिए सरकार की कोशिश सप्लाई चेन के ब्लॉक्स को मैनेज कर कंज्यूमर के लिए एडिबल ऑइल की उचित प्राइस पर नजर रखना है। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने वेजिटेबल ऑइल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी (वीओपीपीए) रेगुलेशन ऑर्डर, 2025, को पिछले सप्ताह नोटिफाई किया है। नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के अनुसार, अब सभी कुकिंग ऑइल प्रॉड्यूसर कंपनियों को नई दिल्ली स्थित ...डायरेक्टरेट ऑफ शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल्स...से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेना होगा। इस आवेदन में फैक्ट्री का स्थान, प्रॉडक्शन कैपेसिटी और अन्य ऑपरेटिंग विवरण देने होंगे। कुकिंग ऑइल कंपनियों को हर महीने 15 तारीख तक मासिक रिपोर्ट दाखिल करना अनिवार्य होगा। इन रिपोट्र्स में कंजम्पशन, प्रॉडक्शन, सेल्स और स्टॉक  की पूरी डिटेल देनी होगी। अधिकारियों के अनुसार इस पूरी कवायद का मकसद पूरी कुकिंग ऑइल सप्लाई चेन की बेहतर मॉनिटरिंग करना और जमाखोरी या गलत रिपोर्टिंग पर अंकुश लगाना है। इस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में डायरेक्टरेट के डायरेक्टर को एनफोर्समेंट की पावर दी गई हैं। कम्प्लायंस पर संदेह की स्थिति में अधिकारी कारखानों का निरीक्षण कर सकते हैं, रिकॉर्ड मांग सकते हैं और स्टॉक जब्त कर सकते हैं। रिपोर्टिंग में कोताही या गाइडलाइंस का पालन न करना अब नए नियमों के तहत उल्लंघन माना जाएगा। नए फ्रेमवर्क में ...उत्पादक...,..वनस्पति तेल और ...निदेशक... जैसे शब्दों की परिभाषाएं भी तय कर दी गई हैं। ताकि इन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के अनुरूप बनाया जा सके। डी-ऑयल्ड मील या खाद्य आटा जैसे अप्रचलित प्रावधान हटा दिए गए हैं। इंडियन वेजीटेबल ऑइल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन  (आईवीपीए)  ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह सुधार लंबे समय से चली आ रही डेटा मिसमैच की समस्या का समाधान करेगा। डेटा मिसमैच के कारण सरकार को पॉलिसी बनाने में परेशानी आती है। आईवीपीए ने कहा ऑर्गेनाइज्ड सैक्टर की एडिबल ऑइल कंपनियां तो इस डेटा की रिपोर्टिंग कर सकती हैं लेकिन देश में हजारों-हजार अनऑर्गेनाइज्ड सैक्टर में भी एडिबल ऑइल कंपनियां काम कर रही हैं। उनके लिए रिपोर्टिंग बड़ा चैलेंज हो सकता है। संघ ने उम्मीद जताई कि बेहतर रिपोर्टिंग से पॉलिसी मेकर्स, कंज्यूमर और कंपनियों को फेयर मार्जिन और स्टॉक जैसे लक्ष्यों को एक साथ साधने में मदद मिलेगी।

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एडिबल ऑइल इंडस्ट्री के लिए सरकार ने बनाया नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क

 कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम हिंदुस्तानियों को खाने में तेल का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इससे मोटापे को मैनेज करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरअसल कहना यह चाहते थे कि कुकिंग ऑइल का इंपोर्ट देश पर दबाव डाल रहा है। भारत सरकार ने एडिबल ऑइल इंडस्ट्री के लिए एक नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया है। मकसद लोकल प्रॉडक्शन, डिमांड और इंपोर्ट के डेटा को ट्रांसपेरेंट तरीके से मॉनिटर करना है। इस पूरी प्रॉसेस के जरिए सरकार की कोशिश सप्लाई चेन के ब्लॉक्स को मैनेज कर कंज्यूमर के लिए एडिबल ऑइल की उचित प्राइस पर नजर रखना है। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने वेजिटेबल ऑइल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी (वीओपीपीए) रेगुलेशन ऑर्डर, 2025, को पिछले सप्ताह नोटिफाई किया है। नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के अनुसार, अब सभी कुकिंग ऑइल प्रॉड्यूसर कंपनियों को नई दिल्ली स्थित ...डायरेक्टरेट ऑफ शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल्स...से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेना होगा। इस आवेदन में फैक्ट्री का स्थान, प्रॉडक्शन कैपेसिटी और अन्य ऑपरेटिंग विवरण देने होंगे। कुकिंग ऑइल कंपनियों को हर महीने 15 तारीख तक मासिक रिपोर्ट दाखिल करना अनिवार्य होगा। इन रिपोट्र्स में कंजम्पशन, प्रॉडक्शन, सेल्स और स्टॉक  की पूरी डिटेल देनी होगी। अधिकारियों के अनुसार इस पूरी कवायद का मकसद पूरी कुकिंग ऑइल सप्लाई चेन की बेहतर मॉनिटरिंग करना और जमाखोरी या गलत रिपोर्टिंग पर अंकुश लगाना है। इस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में डायरेक्टरेट के डायरेक्टर को एनफोर्समेंट की पावर दी गई हैं। कम्प्लायंस पर संदेह की स्थिति में अधिकारी कारखानों का निरीक्षण कर सकते हैं, रिकॉर्ड मांग सकते हैं और स्टॉक जब्त कर सकते हैं। रिपोर्टिंग में कोताही या गाइडलाइंस का पालन न करना अब नए नियमों के तहत उल्लंघन माना जाएगा। नए फ्रेमवर्क में ...उत्पादक...,..वनस्पति तेल और ...निदेशक... जैसे शब्दों की परिभाषाएं भी तय कर दी गई हैं। ताकि इन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के अनुरूप बनाया जा सके। डी-ऑयल्ड मील या खाद्य आटा जैसे अप्रचलित प्रावधान हटा दिए गए हैं। इंडियन वेजीटेबल ऑइल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन  (आईवीपीए)  ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह सुधार लंबे समय से चली आ रही डेटा मिसमैच की समस्या का समाधान करेगा। डेटा मिसमैच के कारण सरकार को पॉलिसी बनाने में परेशानी आती है। आईवीपीए ने कहा ऑर्गेनाइज्ड सैक्टर की एडिबल ऑइल कंपनियां तो इस डेटा की रिपोर्टिंग कर सकती हैं लेकिन देश में हजारों-हजार अनऑर्गेनाइज्ड सैक्टर में भी एडिबल ऑइल कंपनियां काम कर रही हैं। उनके लिए रिपोर्टिंग बड़ा चैलेंज हो सकता है। संघ ने उम्मीद जताई कि बेहतर रिपोर्टिंग से पॉलिसी मेकर्स, कंज्यूमर और कंपनियों को फेयर मार्जिन और स्टॉक जैसे लक्ष्यों को एक साथ साधने में मदद मिलेगी।


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