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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

11-08-2025

बैंकों को इसलिए लगी फटकार...

  •  वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उन ग्राहकों के प्रॉपर्टी दस्तावेज लौटाने में देर करने पर फटकार लगाई है जिन्होंने अपना लोन चुका दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय ने बैंकों के इस रवैये को असंतोषजनक करार दिया है। अधिकारी ने कहा ऐसे लंबित मामलों की संख्या अगस्त 2024 में 29,500 थी, जो फरवरी 2025 तक घटकर 20,800 रह गई है। इस तरह की देरी ग्राहकों के विश्वास का उल्लंघन है। वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे जवाबदेही तय करें, कड़ी समय-सीमा तय करें, और गिरवी रखी प्रॉपर्टी को तेजी से मुक्त करें। ऐसा न करने पर सरकारी बैंकों की छवि को नुकसान पहुंचता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास अभी भी 18 हजार और बैंक ऑफ बड़ौदा के पास करीब 1,000 मामले लंबित हैं। सितंबर 2023 में, आरबीआई ने निर्देश जारी करते हुए कहा था कि विनियमित इकाइयों (बैंक और फाइनेंस कंपनी) को लोन का रिपेमेंट होने के 30 दिनों के भीरत प्रॉपर्टी के ऑरिजनल डॉक्यूमेंट लौटाने और रजिस्ट्री पर लगे चार्ज हटाने होंगे। यदि देरी 30 दिनों से अधिक हो और उसका कारण संबंधित बैंक हो उसे रोजाना 5 हजार रुपये के हिसाब से मुआवजा देना होगा। साथ ही उसे देरी का कारण भी ग्राहक को स्पष्ट रूप से बताना होगा। एक वरिष्ठ बैंक कार्यकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय के ये निर्देश विशेष रूप से रिटेल लोन जैसे कि होम लोन, ऑटो लोन और लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के मामलों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए अहम हैं। क्योंकि ऐसे मामलों में रेगुलेटर आमतौर पर जुर्माना लगा देता है। बैंकों के वर्क प्रॉसेस में विकेंद्रीकरण के कारण दस्तावेज अलग-अलग स्थानों, जैसे कि लोन प्रोसेसिंग सेंटर्स में रखे गए हैं। इस कारण लोन चुकता होने के बाद भी दस्तावेज ग्राहक तक पहुंचाने में देरी हो रही है। आरबीआई ने कहा था कि बैंकों के  दस्तावेज जारी करने में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाने से ग्राहकों को असुविधा हो रही है और विवाद हो रहे हैं। संपत्ति के दस्तावेज खोने या क्षतिग्रस्त होने पर संबंधित बैंक ग्राहक की मदद करेगा कि वह उन दस्तावेजों की डुप्लीकेट या प्रमाणित प्रतियां प्राप्त कर सके। आरबीआई के अनुसार ऐसे मामलों में दस्तावेजों को दोबारा तैयार करने में होने वाला पूरा खर्च बैंक उठाएगा और ग्राहक को मुआवजा भी देगा। हालांकि ऐसे मामलों में बैंक को को अतिरिक्त 30 दिन की मोहलत मिलेगी और उसके बाद ही मुआवजे की गणना की जाएगी।

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बैंकों को इसलिए लगी फटकार...

 वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उन ग्राहकों के प्रॉपर्टी दस्तावेज लौटाने में देर करने पर फटकार लगाई है जिन्होंने अपना लोन चुका दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय ने बैंकों के इस रवैये को असंतोषजनक करार दिया है। अधिकारी ने कहा ऐसे लंबित मामलों की संख्या अगस्त 2024 में 29,500 थी, जो फरवरी 2025 तक घटकर 20,800 रह गई है। इस तरह की देरी ग्राहकों के विश्वास का उल्लंघन है। वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे जवाबदेही तय करें, कड़ी समय-सीमा तय करें, और गिरवी रखी प्रॉपर्टी को तेजी से मुक्त करें। ऐसा न करने पर सरकारी बैंकों की छवि को नुकसान पहुंचता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास अभी भी 18 हजार और बैंक ऑफ बड़ौदा के पास करीब 1,000 मामले लंबित हैं। सितंबर 2023 में, आरबीआई ने निर्देश जारी करते हुए कहा था कि विनियमित इकाइयों (बैंक और फाइनेंस कंपनी) को लोन का रिपेमेंट होने के 30 दिनों के भीरत प्रॉपर्टी के ऑरिजनल डॉक्यूमेंट लौटाने और रजिस्ट्री पर लगे चार्ज हटाने होंगे। यदि देरी 30 दिनों से अधिक हो और उसका कारण संबंधित बैंक हो उसे रोजाना 5 हजार रुपये के हिसाब से मुआवजा देना होगा। साथ ही उसे देरी का कारण भी ग्राहक को स्पष्ट रूप से बताना होगा। एक वरिष्ठ बैंक कार्यकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय के ये निर्देश विशेष रूप से रिटेल लोन जैसे कि होम लोन, ऑटो लोन और लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के मामलों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए अहम हैं। क्योंकि ऐसे मामलों में रेगुलेटर आमतौर पर जुर्माना लगा देता है। बैंकों के वर्क प्रॉसेस में विकेंद्रीकरण के कारण दस्तावेज अलग-अलग स्थानों, जैसे कि लोन प्रोसेसिंग सेंटर्स में रखे गए हैं। इस कारण लोन चुकता होने के बाद भी दस्तावेज ग्राहक तक पहुंचाने में देरी हो रही है। आरबीआई ने कहा था कि बैंकों के  दस्तावेज जारी करने में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाने से ग्राहकों को असुविधा हो रही है और विवाद हो रहे हैं। संपत्ति के दस्तावेज खोने या क्षतिग्रस्त होने पर संबंधित बैंक ग्राहक की मदद करेगा कि वह उन दस्तावेजों की डुप्लीकेट या प्रमाणित प्रतियां प्राप्त कर सके। आरबीआई के अनुसार ऐसे मामलों में दस्तावेजों को दोबारा तैयार करने में होने वाला पूरा खर्च बैंक उठाएगा और ग्राहक को मुआवजा भी देगा। हालांकि ऐसे मामलों में बैंक को को अतिरिक्त 30 दिन की मोहलत मिलेगी और उसके बाद ही मुआवजे की गणना की जाएगी।


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