जीएसटी 2.0 से एक ओर आम हिंदुस्तानी को फायदा हो रहा है लेकिन इनपुट टेक्स क्रेडिट (आईटीसी) पर कोई फैसला नहीं होने से निर्माता कंपनियों के सामने बढ़ी हुई कॉस्ट का चैलेंज खड़ा हो गया है। एनेलिस्ट्स का कहना है कि कई कैटेगरी में इनपुट (गुड्स एंड सर्विस) पर अभी भी 18 परसेंट जीएसटी है। ऐसे में हेल्थकेयर, शिक्षा और एफएमसीजी जैसे क्षेत्रों में महंगाई बढ़ सकती है क्योंकि इनपुट पर क्रेडिट नहीं मिलने से कंपनियां जीएसटी कटौती का फायदा नहीं दे पाएंगी। आउटपुट टैक्स केवल 5 परसेंट होने पर इनपुट टेक्स पूरी तरह ऑफसेट नहीं हो पाता यानी अंतिम कर लागत घटने के बजाय बढ़ जाएगी। जीएसटी काउंसिल ने खाद्य वस्तुओं जैसे यूटीएच दूध, पैकेज्ड और लेबल्ड पनीर, पिज्जा ब्रेड, खाखरा आदि पर कर 5 परसेंट से घटाकर जीरो कर दिया गया है। पराठा, परोट्टा, मक्खन, चीज आदि पर टेक्स 18 परसेंट से घटाकर जीरो कर दिया गया। इसी तरह 33 जीवनरक्षक दवाओं पर टेक्स 5 परसेंट से जीरो कर दिया गया। इन सभी मामलों में आईटीसी जमा हो गया है। इसी तरह स्टेशनरी पर कर 12 परसेंट से घटाकर शून्य किया गया है, और रबर पर 5 परसेंट से घटाकर शून्य किया गया। अक्यूरिस एडवाइजर्स के एमडी राहुल रेनाविकर ने कहा कि उलटे शुल्क ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) के तहत अभी केवल इनपुट पर ही रिफंड की अनुमति है, जबकि इनपुट सेवाओं और पूंजीगत वस्तुओं पर दिए गए जीएसटी को रिफंड योग्य नहीं माना जाता। कई उद्योगों के लिए आईटीसी रिवर्सल अगला एंटी-प्रॉफिटियरिंग युद्धक्षेत्र बन सकता है।