अगस्त 2025 में हुए UPI ट्रांजेक्शन का डेटा बता रहा है कि सबसे ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट तरह-तरह का उधार चुकाने के लिए किया जा रहा है। NPCI द्वारा जारी डेटा के अनुसार 77,007 करोड़ रुपये के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन उधार का कलेक्शन करने वालों को किए गए जो ऑनलाइन खर्च के मामले में पहले नम्बर पर रहे। कई रूपों में उधार को जीवन का हिस्सा बना चुके ज्यादातर लोगों की इनकम का बड़ा हिस्सा उधार को चुकाने में खर्च होने लगा है जिसके चलते बाकी खर्चों के लिए इनकम कम रहने लगी है। उधार के बाद ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में दूसरे नम्बर पर स्टॉक ब्रोकरों व डीलरों को किया जा रहा पेमेंट है जो बताता है कि लोग शेयर बाजारों में जमकर पैसा लगा रहे हैं व ट्रेडिंग के खेल का मजा हर पल ले रहे हैं। सिर्फ अगस्त 2025 में ही 45,687 करोड़ रुपये के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शेयर बाजारों में खरीद-बेच के लिए किए गए हैं। किराने के सामान व सुपरमार्केट में 68,116 करोड़ रुपये के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अगस्त 2025 में हुए जबकि पेट्रोल पम्पों पर 34,547 करोड़ रुपये के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किए गए। रेस्टोरेंट व खाने-पीने की जगहों पर 19,432 करोड़ रुपये ऑनलाइन खर्च हुए जबकि फास्ट फूड रेस्टोरेंट व क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (QSR) पर 14,542 करोड़ रुपये ऑनलाइन खर्च किए गए। ऑनलाइन खर्च के बढ़ते ट्रेंड से यह समझना आसान हो गया है कि लोगों के खर्च का फ्लो किस ओर ज्यादा है। शराब की दुकानों पर अगस्त 2025 में जहां 6,116 करोड़ रुपये खर्च हुए वहीं 7,822 करोड़ रुपये ऑनलाइन शॉपिंग पर लोगों ने खर्च किए। ऑनलाइन खर्च के डेटा से यह अंदाजा भी मिलता है कि कैश का खर्च धीरे-धीरे बड़ी खरीद पर शिफ्ट हो रहा है। लोगों को व कारोबारियों को यह भी समझ आने लगा है कि ऑनलाइन ट्रंजेक्शन उनके बारे में कई अनकही सच्चाइयां सामने लाकर रख देते हैं। जयपुर में एम-आई रोड स्थित एक मशहूर पान वाले ने ऑनलाइन पेमेंट लेना बंद कर दिया और अब वह ग्राहक का ऑर्डर लेने से पहले कैश में पैमेंट देने के लिए कहने लगा है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के डेटा से कारोबारों की सेल्स का अंदाजा आसानी से लग जाता है जिसे आधार मानकर उनकी आय को आसानी से ट्रेक किया जा सकता है। हाल ही में कई उदाहरण सामने आ चुके हैं जहां छोटा-मोटा कारोबार करने वाले क्कढ्ढ के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन कर रहे थे और जिनपर कई सरकारी एजेंसियों ने शिकंजा कसा था। ऑनलाइन खर्च कई मामलों में उपयेागी है तो कई तरह से निजता (प्राइवेसी) को भी प्रभावित करने वाला साबित होता जा रहा है जहां हर खर्च की रिकॉर्डिंग कब क्या स्थिति पैदा कर सकती है यह अनुमान मुश्किल से लगाया जा सकता है। शायद यही कारण है कि पिछले वर्षों में बिना सोचे-समझे जोश व दिखावे के चलते किए गए ढेरों ट्रंाजेक्शनों पर तरह-तरह से निगाह रखी जाने लगी है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौर में उधार और शेयर ट्रेडिंग में बढ़ता खर्च चिंता पैदा करने वाला कहा जा सकता है जिसपर भले ही निगाह सभी की रहती हो पर इसे मैनेज करते हुए कंट्रोल में लाने पर विचार करना इकोनोमी व बाजारों के लिए भारी पड़ सकता है। इस गंभीर स्थिति में हम चल रहे है तो आगे का रास्ता इनकम और उधार की खींचतान को कम करने की बजाए बढ़ाने वाला होगा, ऐसा कहा जा सकता है।