इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार आइस वाहनों पर जीएसटी रेट को दो स्लैब—18 परसेंट और 40 परसेंट—पर लाने से उनकी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी) के साथ प्राइस डिस्पैरिटी (मूल्य असमानता) और लंबी हो जाएगी। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि ईवी के प्राइस प्रीमियम की वसूली में अब पहले से ज्यादा समय लगेगा। यानी जीएसटी 2.0 के लागू होने से ईवी की वेल्यू पोजिशनिंग और फीकी पड़ जाएगी। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसका सबसे ज्यादा असर एंट्री लेवल ईवी सेगमेंट में सबसे अधिक दिखेगा, जहां बायर वैल्यू-कॉन्शियस होते हैं। जीएसटी 2.0 के तहत 4 मीटर तक लंबाई वाली स्मॉल कारों पर अब 18 परसेंट की फ्लैट दर से टैक्स लगेगा, जबकि पहले 31 परसेंट (सेस सहित) लगता था। वहीं, 4 मीटर से अधिक लंबाई वाली मिड और लार्ड कारों पर अब 40 परसेंट की एकसमान दर से टैक्स लगेगा, जबकि पहले यह 43-50 परसेंट (सेस सहित) था। दूसरी ओर ईवी पर जीएसटी पहले की तरह 5 परसेंट ही बरकरार रखा गया है। एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के इंडिया और आसियान डायरेक्टर पुनीत गुप्ता ने कहा, एंट्री-लेवल ईवी सेगमेंट, जिसे टाटा मोटर्स ने हैचबैक टियागो ईवी से शुरू किया और बाद में पंच ईवी के साथ इसका विस्तार किया, उस पर असर पड़ सकता है। ये ग्राहक वैल्यू-कॉन्शियस होते हैं और ईवी और आइस के बीच प्राइस की तुलना ज्यादा करते हैं। अब सीएनजी वाहन ईवी की तुलना में बेहतर वैल्यू प्रपोजिशन देंगे, इसलिए इस सेगमेंट पर असर पड़ेगा और एंट्री ईवी की सेल्स पर प्रेशर बढ़ सकता है। जहां टियागो ईवी की कीमत 7.99 लाख (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है, वहीं आइस टियागो, जिसकी कीमत लगभग 5 लाख है जिस पर कंपनी ने 75 हजार रुपये की कटौती की है। बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक ईवी दखल को 20 परसेंट तक पहुंचाने के लिए मास मार्केट प्राइस पॉइंट पर और अधिक इलेक्ट्रिक कारों की जरूरत है। इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड रोहन कंवर गुप्ता के अनुसार आइस व्हीकल्स के लिए जीएसटी कटौती से ईवी के साथ प्राइस प्रीमियम की वसूली में और ज्यादा समय लगेगा और इसका सबसे ज्यादा असर एंट्री-लेवल कार सेगमेंट में दिखेगा। जीएसटी कटौती के बाद एंट्री-लेवल कारों की कीमत 8-10 परसेंट घट सकती है। जबकि ईवी की टैक्स दर 5 परसेंट पर बरकरार है। आइस व्हीकल्स की प्राइस में 8-10 परसेंट की कमी से इनकी अफोर्डेबिलिटी और बढ़ जाएगी वहीं ईवी में स्लोडाउन दिख सकता है। हालांकि ईवी की मैन्युफैक्चरिंग और बैटरी लगात घट रही है। साथ ही इंसेंटिव मिलने से प्राइस गैप घट सकता है जो ईवी सेल्स के लिए बड़ा ग्रोथ ड्राइवर साबित हो सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स की डायरेक्टर पूनम उपाध्याय के अनुसार जीएसटी कटौती से कॉम्पैक्ट और मिड-प्राइस इलेक्ट्रिक एसयूवी में स्लो ग्रोथ दिख सकती है। हालांकि बैटरी की कीमतों में गिरावट, कम रनिंग कॉस्ट, सहायक सरकारी नीतियां, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और नए मॉडल लॉन्च—ये सभी मध्यम अवधि में इलेक्ट्रिक कारों की मांग को बढ़ाते रहेंगे। एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के गुप्ता के अनुसार, प्रीमियम सेगमेंट पर ज्यादा असर नहीं होगा। प्रीमियम सेगमेंट पर भी असर तो पड़ेगा लेकिन सीमित रहेगा। गुप्ता ने कहा कि ऑटोमेकरों को एंट्री ईवी में टेक फीचर्स की संख्या को नियंत्रित करना होगा ताकि कीमत कम की जा सके।