सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) भारतीयों के लिए बीते कुछ वर्षों में एक लोकप्रिय इंवेस्टमेंट ऑप्शन बनकर उभरा है। इस कारण एसआईपी इंवेस्टमेंट में बीते नौ वर्षों में आठ गुना की बढ़ोतरी हुई है। व्हाइटओक कैपिटल म्युचूअल फंड की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2016 में कुल एसआईपी इनफ्लो 3,497 करोड़ रुपए था, जो कि अगस्त 2025 में बढक़र 28,265 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह लगातार बढ़ोतरी एसआईपी और डिसिप्लेन्ड इंवेस्टमेंट में बढ़ते लोगों के विश्वास को दिखाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 1996 से लेकर अगस्त 2025 के बीच एसआईपी ने अधिकतम 55.6 प्रतिशत और न्यूनतम -24.6 प्रतिशत का रिटर्न जनरेट किया है। वहीं, इस दौरान एवरेज रिटर्न 14-16 प्रतिशत का रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, एसआईपी में जितनी अधिक आपका इंवेस्टमेंट होराइजन (अवधि) होगा, उतना ही पोजिटिव रिटर्न प्राप्त करने की आपकी संभावना होगी। साथ ही बताया कि मार्केट में टाइमिंग नहीं, ज्यादा समय इंवेस्टेड रहने पर अच्छा रिटर्न मिलता है। अगर मार्केट में उच्च स्तर पर भी आप एसआईपी शुरू करते हैं और लंबे समय तक इंवेस्टेड रहते हैं तो आप अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी इंवेस्टर ने वैश्विक वित्तीय संकट से ठीक पहले जनवरी 2008 में 10,000 रुपये मंथली एसआईपी शुरू की होती, तो भी उसका 21.2 लाख रुपए का इंवेस्टमेंट अगस्त 2025 तक लगभग 13 प्रतिशत की एक्सआईआरआर (विस्तारित आंतरिक रिटर्न दर) पर 75.23 लाख रुपए का हो गया होता। रिपोर्ट में कहा गया कि इंवेस्टर महीने की किस तारीख को इंवेस्टमेंट करता है इस बात से लांग-टर्म में रिटर्न में बहुत अधिक अंतर नहीं आता है। रिपोर्ट के मुताबिक, लांग-टर्म में मिड-कैप ने एसआईपी में लार्ज-कैप और स्मॉल-कैप कैटेगरी की तुलना में बेहतर एवरेज रिटर्न प्रदान किया है और यह 17.4 प्रतिशत रहा है, जबकि लार्ज-कैप के लिए यह 13 प्रतिशत और स्मॉल-कैप के लिए 14.7 प्रतिशत रहा है।
