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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
12-09-2025
कह सकते हैं कि तीन टांग की मोदी सरकार ट्रिपल जंप कर रही है। जीएसटी2.0 की ब•ा अभी ठंडी भी नहीं बड़ी कि बैंकिंग पर ब्रेनस्टॉर्मिंग (विचारमंथन) के लिए कमर कस ली है। आपको याद होगा आरबीआई ने जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (एसएमबीसी) को स्पेशल केस में यस बैंक में 24.99 परसेंट स्टेक खरीदने की मंजूरी दी थी। सरकार का टार्गेट दरअसल भारत के बैंकों को लेवल टू पर ले जाने का है ताकि ये असैट्स और मार्केेट कैप के लिहाज ग्लोबल बैंकों की लिस्ट में शामिल हो सकें। भारत सरकार 12-13 सितंबर को पीएसयू बैंकों के साथ दो दिन की एक ब्रेनस्टॉर्मिंग मीटिंग करने जा रही है। यह मीटिंग दो साल से अधिक अंतराल के बाद हो रही है और इसका उद्देश्य बैंकिंग सैक्टर के लिए फ्यूचर रोडमैप पर चर्चा करना है। इस बैठक में अगले दौर के बैंकिंग सुधारों पर चर्चा होगी।...और पीएसयू बैंकों का एकीकरण करने पर भी विचार किया जाएगा। आप जानते हैं कई साल चले स्वच्छता अभियान के बाद अब देश का बैंकिंग सैक्टर 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रॉफिट तक पहुंच चुका है और...और एनपीए 1.5-2.0 परसेंट ही रह गए हैं। बैंकों की नींव मजबूत होने के बाद सरकार अब इन्हें ग्रोथ के नए रास्ते पर ले जाना चाहती है। कुछ साल पहले तक क्राइसिस में फंसे आईडीबीआई बैंक के पटरी पर लौटने के बाद अब इसमें बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के लिए सऊदी अरब और अमीरात सहित दुनियाभर के सोवरीन फंड और बड़े बैंकों में टग ऑफ वॉर चल रहा है। कुछ महीने पहले इंटरनेशनल मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार के इस प्लान के बारे में काफी कुछ लिखा था। सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार पीएसयू बैंकों में बड़े पैमाने पर पुनर्गठन करना चाहती है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच सरकार ने बड़े विरोध के बावजूद कड़े फैसले लेते हुए कई पीएसयू बैंकों का मर्जर किया था। सरकार का मानस पीएसयू बैंकों को और मजबूत करने का है और इसलिए पुनर्गठन को टालना नहीं चाहती। पिछले कुछ समय से सरकार इस बात के संकेत देती रही है कि पीएसयू को आपस में मिलाकर 4-5 बड़े बैंक बनाने की जरूरत है। ताकि इनका बिजनस स्केल और ग्लोबल कंपीटिटिवनैस में सुधार हो। एनेलिस्ट्स का मानना है कि भारत को इंटरनेशनल कंपीटिशन में उतरने के लिए बड़े बैंकों की जरूरत है। सरकार इस दिशा में पहले ही कई बैंकों को मर्ज कर बड़ा बना चुकी है और आगे भी मर्जर की गुंजाइश बनी हुई है। बैंकिंग सैक्टर को कैपिटल की जरूरत है और इसके लिए सरकार पीएसयू बैंकों में एफडीआई लिमिट को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
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