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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
13-09-2025
कंज्यूमर ड्यूरेबल फाइनेंस कंपनियों की मांग को आरबीआई पूरी करने जा रहा है। यदि यह हो जाता है तो किश्त डिफॉल्ट होने पर फाइनेंस कंपनी दूर बैठे ही फोन का किलस्विच दबा देंगी। यानी फोन लॉक हो जाएगा। चर्चा है कि आरबीआई फाइनेंसरों को किलस्विच दबाने की पावर देने पर विचार कर रहा है। हालांकि मकसद रिटेल लोन में एनपीए को कंट्रोल करना है लेकिन इसे कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट्स का विरोध झेलना पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार कंज्यूमर लोन में रिकवरी बढ़ाने के लिए आरबीआई यह सिस्टम लागू कर सकता है। भारत की 148 करोड़ की आबादी में 116 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैं। होम क्रेडिट फाइनेंस की 2024 की स्टडी कहती है भारत में एक-तिहाई से अधिक मोबाइल फोन आदि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स स्मॉल टिकट लोन पर खरीदे जाते हैं। टेबल से पता चलता है कि वर्ष 2018 में भारत में 14.23 करोड़ स्मार्टफोन बिके थे और वर्ष 2024 में 15.10 करोड़। वर्ष 2025 की पहली छमाही में करीब 7 करोड़ स्मार्टफोन बिक चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले साल आरबीआई ने फाइनेंस कंपनियों को डिफॉल्ट करने पर मोबाइल फोन लॉक करने से पाबंद कर दिया था। इस प्रक्रिया में लोन देते समय कंपनियां स्मार्टफोन में एक एप इंस्टॉल कर देती हैं जिससे डिवाइस को दूर से लॉक किया जा सकता है। चर्चा है स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श के बाद, आरबीआई अपनी फेयर प्रैक्टिसेज कोड में बदलाव करने जा रहा है जिसमें मोबाइल-लॉकिंग मैकेनिज्म पर गाइडलाइंस होंगी। एक्सपर्ट्स के अनुसार लोन लेते समय बायर को सहमति देनी होगी। लेकिन फाइनेंस कंपनियां लॉक फोन का डेटा एक्सैस नहीं पर पाएंगी। फाइनेंस कंपनियों के पास लोन रिकवरी की पावर होनी चाहिए लेकिन आरबीआई चाहता है कि कस्टमर डेटा की प्राइवेसी बनी रहे। क्रेडिट ब्यूरो क्रिफ हाईमार्क के अनुसार 1 लाख रुपये से कम के लोन पर डिफॉल्ट का खतरा ज्यादा रहता है और इन पर एनपीए भी सबसे अधिक हैं। कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन सैगमेंट में 85 परसेंट शेयर फाइनेंस कंपनियों का है। आरबीआई के अनुसार नॉन-फूड क्रेडिट का लगभग एक तिहाई हिस्सा कंज्यूमर लोन का है जिसमें मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक गुड्स पर लोन तेजी से बढ़ रहे हैं।
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