रेंज यानी मैदान। एक साल के डिप के बाद टाटा मोटर्स के सितारे फिर राइज हो रहे हैं। ट्रंप टैरिफ के बाद जेएलआर के सितारे बड़े गर्दिश में आ गए थे। अमेरिका टाटा मोटर्स के आइकॉनिक ब्रिटिश ब्रांड जेएलआर के लिए 20 परसेंट से भी ज्यादा का मार्केट है। बुधवार को अमेरिका और यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है और यह क्राइसिस में पहुंच चुकी जेएलआर के लिए सिल्वरलाइनिंग से कम नहीं है। लेकिन बात सिर्फ सिल्वरलाइनिंग की नहीं है। इंडिया-यूके ट्रेड एग्रीमेंट भी जेएलआर के लिए किसी बोनां•ाा से कम नहीं है। टाटा मोटर्स भारत और यूके दोनों देशों में जेएलआर के लिए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट चला रही है। एनेलिस्ट कहते हैं कि इंडिया-यूके एफटीए द्वारा ऑटो टैरिफ को अभी के 100 परसेंट से अधिक से घटाकर 10 परसेंट करने के बाद सीबीयू इंपोर्ट होने वाली लैंड रोवर एसयूवी भारत में 50 परसेंट तक सस्ती हो सकती हैं। और ....यदि टाटा मोटर्स चेन्नई प्लांट में जगुआर इलेक्ट्रिक कारों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करती हैं तो वैल्यू प्रपोजिशन और भी बढिय़ा हो जाएगी। सिटी में इक्विटी रिसर्च में इंडिया ऑटो एंड ट्रांसपोर्टेशन के डायरेक्टर अरविंद शर्मा ने एक नोट में कहा कि भारत में जेएलआर को मार्केट शेयर के लिहाज से फायदा हो सकता है। हालांकि इस एफटीए में 10 परसेंट टैरिफ पर ऑटो इंपोर्ट का एक कोटा तय किया जाएगा फिर भी जेएलआर के हैंड्सफुल ही रहेंगे। वित्त वर्ष 25 में जेएलआर ने भारत में 6200 यूनिट्स बेची थीं। जबकि यूरोपीय ओईएम जैसे मर्सिडीज-बेंज ने 19 हजार, बीएमडब्ल्यू ने 15,800 और ऑडी 6 हजार यूनिट्स बेची थीं। एनेलिस्ट कहते हैं कि इनमें टैरिफ के लिहाज से जेएलआर का अपरहैंड रहेगा और करीब 45 हजार यूनिट्स के भारत के लक्जरी कार मार्केट में यह अपने मार्केट शेयर को बढ़ा सकती है। टाटा मोटर्स मेड इन इंडिया ऑटो कंपोनेंट्स को लोअर टैरिफ का फायदा उठाकर जेएलआर के लिए यूके एक्सपोर्ट बढ़ा सकती है। जिससे ब्रिटिश ब्रांड के पास कॉस्ट एडवांटेज भी बढ़ सकता है। टाटा मोटर्स के रेवेन्यू में जगुआर लैंड रोवर का शेयर दो-तहाई के करीब है। हालांकि टाटा मोटर्स लैंड रोवर की पुणे में लिमिडेट असेंबली मैन्युफैक्चरिंग करती है लेकिन लैंडरोवर के ज्यादातर रेंज रोवर एसयूवी सोलिहुल और हेल्वुड में बनाई जाती हैं। जगुआर को टाटा मोटर्स रीपोजिशन करने के प्लान पर काम कर रही है और इसे सुपर लक्जरी ब्रांड के रूप में पेश करने के प्लान है। जगुआर ब्रांड 2026 में फुल इलेक्ट्रिक हो जाएगा। इसका मुख्यालय कैसल ब्रोमविच में है। एनेलिस्ट कहते हैं कि 80 लाख रुपये की सीबीयू इंपोर्ट वाली रेंज रोवर की बेस प्राइस 20-25 लाख रुपये से अधिक नहीं है। इस पर 10 परसेंट डीलर मार्जिन, 43 पर जीएसटी और सरचार्ज और 110 परसेंट इंपोर्ट टैरिफ लगता है। भारत-यूके एफटीए के तहत रेंज रोवर की एक्स-शोरूम कीमत घटकर इंपोर्ट टैरिफ, जीएसटी और सरचार्ज मिलाकर 40-50 लाख रुपये रह जाएगी। सीकेडी इंपोर्ट सब-असेंबली लेवल पर इंपोर्ट होने वाली रेंज रोवर पर तो केवल 16.5% इंपोर्ट टैरिफ लगता है ऐसे में इनकी प्राइस पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि कंपोनेंट्स के इंपोर्ट पर रियायती ड्यूटी का इनको भी फायदा मिलेगा।

