तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति ‘‘खराब’’ है और राज्य कोई नया लोन नहीं जुटा पा रहा है क्योंकि बैंक, सरकार पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंक, तेलंगाना के प्रतिनिधियों को ‘‘चोर’’ समझते हैं। रेड्डी ने मीडिया में आ रही उन खबरों के बाद यह टिप्पणी की है जिनमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों का एक वर्ग राज्य सरकार पर पुरानी पेंशन योजना में संशोधन और चिकित्सकीय बिल की प्रतिपूर्ति सहित अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डाल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ तेलंगाना की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। हम लोन नहीं जुटा पा रहे हैं। कोई भी आगे आकर लोन देने को तैयार नहीं है। बैंकर, तेलंगाना के प्रतिनिधियों को चोर की तरह समझते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में भी कोई मिलने का समय नहीं दे रहा है। कोई भी हम पर (राज्य सरकार पर) विश्वास नहीं करता। सेल्फ-कंट्रोल (फाइनेंशियल डिसिप्लेन) ही एकमात्र समाधान है। कर्मचारी तेलंगाना परिवार का हिस्सा हैं।’’ तेलंगाना कर्मचारी संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने पिछले महीने राज्य सरकार को 37 मांगों का ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों से संबंधित लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान का आग्रह किया था। रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले 16 महीने में पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार द्वारा उच्च ब्याज दरों पर उठाए गए लोन के लिए औसतन 9,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास सडक़ बनाने के लिए एक भी रुपया नहीं है। हम आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तेलंगाना राज्य सरकार की राजकोषीय स्थिति एक ऐसे परिवार के समान है जो दिवालिया हो गया हो। अगर किसी को संदेह है, तो मैं उन्हें खुले तौर पर हिसाब दूंगा।’’ रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार को इन सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर महीने कम से कम 22,500 करोड़ रुपये की रेवेन्यू की जरूरत है, जबकि वर्तमान में उसकी आय 18,500 करोड़ रुपये है।