हेनले एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से करोड़पतियों का पलायन धीमा होने के संकेत दे रहा है। वर्ष 2024 में 4,300 एचएनआई के देश छोडऩे का अनुमान है। हालांकि यह पिछले कुछ वर्षों की तुलना में काफी कम थी। पिछले सालों में भारत से धन का पलायन बहुत तेज रहा है। वर्ष 2023 में 5,100 एचएनआई ने भारत से उडक़ी मारी थी। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में 7,500 एचएनआई ने भारत छोड़ा था। रिपोर्ट कहती है कि जब एचएनआई के पलायन में तेजी आती है तो इसे इकोनॉमी के स्लोडाउन में उतर जाने का संकेत माना जाता है। लेकिन पिछले दो साल से जिस तरह से एचएनआई का पलायन घटा है उससे देश की इकोनॉमी को लेकर बढ़ते भरोसे का संकेत माना जा सकता है। कम टैक्स, कारोबार के मौके और राजनीतिक स्थिरता पलायन करने के लिए सबसे बड़े फैक्टर थे। हालांकि हेनले एंड पार्टनर्स 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वॉलिटी ऑफ लाइफ, बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर और क्लाइमेट चेंज एचएनआई आबादी के लिए पलायन के बड़े फैक्टर रहे हैं। साथ ही भावी पीढिय़ों के लिए अपनी सालों की कमाई को बचाए रखने की क्षमता भी एक बढ़ती चिंता है। कोटक और ईएंडवाई के सर्वे के अनुसार भारत छोडऩे वाले दो-तिहाई से अधिक सुपर इलीट के लिए क्वॉलिटी ऑफ लाइफ, हेल्थकेयर और एजुकेशन आदि के बजाय बिजनस ऑपरेशन्स पलायन का प्रमुख ड्राइवर है। इंवेस्ट इन फ्यूचर नाम की इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार आंत्रप्रेन्यॉर्स और उत्तराधिकारियों के मुकाबले प्रॉफेशनल्स में पलायन का ट्रेंड ज्यादा है। यह भी पता चला कि 36-40 वर्ष और 61 वर्ष से अधिक आयु के अल्ट्रा-एचआईएन उडक़ी मारने के लिए अधिक उत्सुक हैं। अन्य देशों के साथ ही भारत के एचएनआई लोगों के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पसंद का ठिकाना बन रहा है। यूएई में पर्सनल टैक्स •ाीरो है और प्रॉडक्ट एंड सर्विसेस पर केवल 5 परसेंट वैट लगता है और यही कारण है यह दुनियाभर के एचएनआई के लिए फेवरेट डेस्टिेनेशन के रूप में उभर रहा है। हेनले एंड पार्टनर्स की 2024 की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर के 6,700 से ज्यादा एचएनआई यूएई को अपना नया घर बना रहे हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अमेरिका और स्विट्जरलैंड भी प्रमुख ठिकानों में शामिल हैं। हेनले एंड पार्टनर्स 2024 की रिपोर्ट में चीन और यूके के बाद भारत से सबसे ज्यादा एचएनआई पलायन करने का अनुमान जताया गया था। वर्ष 2024 में चीन से 15,200 एचएनडब्ल्यूआई के जाने का अनुमान लगाया गया था, जो किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है। हेनले एंड पार्टनर्स 2024 ने कहा कि चीन में फंड इनफ्लो पिछले कुछ वर्षों में धीमा हो गया है ऐसे में एचएनआई पलायन के नतीजे इकोनॉमी के लिए खतरनाक हो सकते हैं। चीन की इकोनॉमी वर्ष 2000 से 2017 तक तेजी से बढ़ी थी। लेकिन इसके बाद से ही चीन में फंड्स का इनफ्लो और एचएनआई आबादी की ग्रोथ रेट घटी है। चीन छोडऩे वाले एचएनआई ज्यादातर सिंगापुर, अमेरिका और कनाडा में बसते रहे हैं लेकिन हाल के सालों में जापान भी इनका नया ठिकाना बना है। 2024 में यूके से 9,500 एचएनआई के पलायन का अनुमान लगाया गया था। इसका बड़ा कारण यूके की सरकारों का नॉन-डॉम टैक्स की रिबेट को वापस लेने का प्लान बताया जा रहा है। यूके छोडऩे वाले करोड़पतियों के लिए पसंदीदा ठिकाने पेरिस, दुबई, एम्स्टर्डम, मोनाको, जिनेवा, सिडनी और सिंगापुर हैं, साथ ही फ्लोरिडा, एलगार्वे, माल्टा और इटालियन रिटायरमेंट रिवेरा जैसे हॉटस्पॉट भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा कि भारत से एचएनआई का पलायन चिंताजनक नहीं है क्योंकि जितने एचएनआई देश छोड़ रहे हैं उससे ज्यादा तैयार हो रहे हैं। चीन, यूके और भारत के बाद एचएनआई के पलायन के लिहाज से साउथ कोरिया, रूस, ब्राजील, साउथ अफ्रीका, ताइवान, नाइजीरिया और वियतनाम प्रमुख देश थे। जबकि नेट इनफ्लो के मामले में टॉप10 देशों में यूएई, यूएसए, सिंगापुर, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्विट्जरलैंड, ग्रीस, पुर्तगाल और जापान शामिल हैं।
