सर्दी और वैवाहिक सीजन की शुरुआत ने बीकानेर के मिठाई बाजार में जान फूंक दी है। घी से लबालब मिठाइयाँ और चटपटी, कुरकुरी गजक-पापड़ी लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं। प्रवासी मारवाडय़िों की आमद और शादियों की रफ्तार ने बाजार में जबरदस्त हलचल बढ़ा दी है। हालांकि लोकल बाजार अभी भी 30-40 पर्सेंट सुस्त चल रहा है, पर व्यापारियों की मानें तो जैसे-जैसे पारा गिरेगा, बिक्री का ग्राफ सीधे डेढ़ गुना उछाल लेगा। दुकानदारों का कहना है सर्दी जमते ही सौ-सवा सौ ग्राम की जगह ग्राहक सीधे एक पाव गजक पापड़ी उठाने लगते हैं। बीकानेर की सर्दी और गजक-पापड़ी एक-दूसरे की पहचान मानी जाती हैं। जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, बाजार में रौनक और बढ़ेगी। कारीगरों की रातें भले लंबी हों, लेकिन कारोबार के लिए यही मौसम सुनहरा होता है। बड़ा बाजार स्थित फर्म ‘नेमजी माली’ के प्रमुख भैरूं तंवर बताते है ‘रोजाना डेढ़ से दो क्विंटल प्रोडक्शन चलता है। संक्रांति आते ही हमें एक एक्स्ट्रा शिफ्ट लगानी पड़ती है। पूरा परिवार तक इस काम में लग जाता है।’ सीजन में सबसे ज्यादा मूंगफली और तिल की गजक की मांग रहती है। कारोबारियों के अनुसार बीकानेर का बाजार 70 पर्सेंट लोकल और 30 पर्सेंट बाहरी आइटम्स पर टिका है। परकोटे के अंदर के ग्राहकों का टेस्ट लोकल आइटम्स पर टिका है, इसलिए बाहर की गजक-पापड़ी यहाँ ज्यादा नहीं चलती। हालांकि, मूंगफली सहित अन्य रॉ मटेरियल महंगे हुए हैं और भाव 20-40 रुपये तक बढ़े हैं, लेकिन ग्राहक क्वालिटी पर कोई समझौता नहीं करते। महंगाई के इस दौर में गजक निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—क्वालिटी बनाए रखना। ब्रांड की प्रतिष्ठा भी इसी पर निर्भर करती है। कारीगरों का कहना है कि मशीन से बनी गजक सस्ती तो पड़ती है, लेकिन हैंडमेड जैसी क्वालिटी और क्रंच नहीं दे पाती। बीकानेर की पहचान भी हाथ से बने स्वाद में ही बसती है।
यूं बोले कारोबारी : हम शुद्ध मूंगफली और गुड़ से ही आइटम बनाते हैं। किसी तरह की मिलावट या ऐसेंस नहीं। कस्टमर्स काउंटर पर खुद टेस्ट कर क्वालिटी चेक करते हैं। संक्रांति के आसपास एक नया आइटम लांच करने की तैयारी है।
- भैरूं तंवर, नेमजी माली, बड़ा बाजार
गजक-पापड़ी का बाजार हर साल 7-8 प्रतिशत बढ़ रहा है। हमारे यहां ड्रायफ्रूट बाइट में 40 और बकलाव में 15 वैरायटी उपलब्ध हैं। सर्दी के सीजन में इनका खूब उठाव रहता है। - सुनील अग्रवाल, गुलाबचंद फीणी वाला, जस्सूसर गेट