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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-12-2025

स्टॉक बढऩे से टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर्स ने प्रोडक्शन 10-15% घटाया

  •  कपड़ा बाजार के वर्तमान हालात को देखते हुए डिमांड और सप्लाई में संतुलन बनाए रखने के फार्मूले को ध्यान रखते हुए भीलवाड़ा के कपड़ा मैन्यूफैक्चरर्स ने उत्पादन में 10 से 15 पर्सेंट की कटौती कर दी है तथा पुराने स्टॉक के दबाव से बाहर निकलने पर ध्यान देना लेगे हैं। लम्बे समय से कपड़ा बाजार में सुधार की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। वर्तमान में हालात इतने खराब है कि उत्पादकों के गोदामों एवं कपड़ा प्रोसेसरों के वैयर हाउस में करोड़ों मीटर तैयार कपड़ा जमा हुआ है।  गत दिनों त्यौहारी एवं वैवाहिक सीजन के दौर में भी कपड़ा बाजार में सुधार नहीं आया। इस वजह से कपड़ा मैन्यूफैक्चरर्स ने अपने उत्पादन में कटौती करने को मजबूर हुए है। कपड़ा बाजार में माल को बेचने के दबाव के चलते मैन्यूफैक्चरर्स खुदरा कारोबारियों को अधिक सुविधाएं देने एवं उधार दिये जाने का संतुलन खराब होने लगा है। कपड़ा उत्पादकों ने बताया कि बाजार में 60 दिन का उधारी का टे्रंड है लेकिन अधिक उत्पादन के चलते 90 दिन से 190 दिन तक भुगतान नहीं आने से भीलवाड़ा के कपड़़ा बाजार में नाड़ा तंगी के हालात बने हुए है। कपड़ा उत्पादकों की सबसे बड़ी समस्या प्रदेश में उद्योग को मिलने वाली बिजली अन्य प्रदेशों की तुलना में महंगी है। इससे यहां बनने वाले कपड़े की कॉस्ट देश के दूसरी मंडियों की तुलना में ज्यादा बैठती है। इस बारे में कपड़ा निर्माता संगठनों के स्तर पर सरकार से एवं बिजली निगम से अनेक बार सुधार का आग्रह किया गया है, लेकिल समाधान नहीं निकल रहा है।  भीलवाड़ा की कपड़ा मंडी में प्रतिमाह आठ करोड़ मीटर से अधिक कपड़ा उत्पादन हो रहा है। वैल्यू एडिशन के लिए रेडीमेड कपड़ा उत्पादन हब विकसित किये जाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस क्षेत्र में सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं होने से रेडीमेड गारमेन्ट बनाने के नये उद्योग स्थापित होने की रफ्तार बहुत अधिक धीमी है। रेडीमेड कपड़ों को बनाने वाले प्रशिक्षित श्रमिकों के अभाव से भी कई नये प्रोजेक्ट आने से कतरा रहे है। कुछ बड़े उद्योग समूहों ने बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए डेनिम कपड़े का उत्पादन बढ़ा दिया है। वहीं आने वाले समय में महिलाओं के लिए विशेष प्रकार के परिधानों की मांग को देखते हुए कुछ उद्योग समूह ने विशेष प्रकार के टेकनीकल टेक्सटाईल का उत्पादन शुरू किया है। इस तरह के कपड़ों की यूरोपीय देशों व अमेरिका बड़ी मांग है। इनका कहना है: हिन्दुस्तान कॉमर्स एवं विवर्स के निदेशक सुरेश जाजू ने बताया कि कपड़ा बाजार के वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए  कपड़ा उत्पादकों ने बाजार की मांग और डिमांड में सन्तुलनों को बनाऐं रखने के लिए कई कपड़ा उत्पादकों ने संतुलन पर विशेष ध्यान देने लगें है इसके लिए कई उत्पादकों ने उत्पादन घटाया है।

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स्टॉक बढऩे से टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर्स ने प्रोडक्शन 10-15% घटाया

 कपड़ा बाजार के वर्तमान हालात को देखते हुए डिमांड और सप्लाई में संतुलन बनाए रखने के फार्मूले को ध्यान रखते हुए भीलवाड़ा के कपड़ा मैन्यूफैक्चरर्स ने उत्पादन में 10 से 15 पर्सेंट की कटौती कर दी है तथा पुराने स्टॉक के दबाव से बाहर निकलने पर ध्यान देना लेगे हैं। लम्बे समय से कपड़ा बाजार में सुधार की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। वर्तमान में हालात इतने खराब है कि उत्पादकों के गोदामों एवं कपड़ा प्रोसेसरों के वैयर हाउस में करोड़ों मीटर तैयार कपड़ा जमा हुआ है।  गत दिनों त्यौहारी एवं वैवाहिक सीजन के दौर में भी कपड़ा बाजार में सुधार नहीं आया। इस वजह से कपड़ा मैन्यूफैक्चरर्स ने अपने उत्पादन में कटौती करने को मजबूर हुए है। कपड़ा बाजार में माल को बेचने के दबाव के चलते मैन्यूफैक्चरर्स खुदरा कारोबारियों को अधिक सुविधाएं देने एवं उधार दिये जाने का संतुलन खराब होने लगा है। कपड़ा उत्पादकों ने बताया कि बाजार में 60 दिन का उधारी का टे्रंड है लेकिन अधिक उत्पादन के चलते 90 दिन से 190 दिन तक भुगतान नहीं आने से भीलवाड़ा के कपड़़ा बाजार में नाड़ा तंगी के हालात बने हुए है। कपड़ा उत्पादकों की सबसे बड़ी समस्या प्रदेश में उद्योग को मिलने वाली बिजली अन्य प्रदेशों की तुलना में महंगी है। इससे यहां बनने वाले कपड़े की कॉस्ट देश के दूसरी मंडियों की तुलना में ज्यादा बैठती है। इस बारे में कपड़ा निर्माता संगठनों के स्तर पर सरकार से एवं बिजली निगम से अनेक बार सुधार का आग्रह किया गया है, लेकिल समाधान नहीं निकल रहा है।  भीलवाड़ा की कपड़ा मंडी में प्रतिमाह आठ करोड़ मीटर से अधिक कपड़ा उत्पादन हो रहा है। वैल्यू एडिशन के लिए रेडीमेड कपड़ा उत्पादन हब विकसित किये जाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस क्षेत्र में सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं होने से रेडीमेड गारमेन्ट बनाने के नये उद्योग स्थापित होने की रफ्तार बहुत अधिक धीमी है। रेडीमेड कपड़ों को बनाने वाले प्रशिक्षित श्रमिकों के अभाव से भी कई नये प्रोजेक्ट आने से कतरा रहे है। कुछ बड़े उद्योग समूहों ने बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए डेनिम कपड़े का उत्पादन बढ़ा दिया है। वहीं आने वाले समय में महिलाओं के लिए विशेष प्रकार के परिधानों की मांग को देखते हुए कुछ उद्योग समूह ने विशेष प्रकार के टेकनीकल टेक्सटाईल का उत्पादन शुरू किया है। इस तरह के कपड़ों की यूरोपीय देशों व अमेरिका बड़ी मांग है। इनका कहना है: हिन्दुस्तान कॉमर्स एवं विवर्स के निदेशक सुरेश जाजू ने बताया कि कपड़ा बाजार के वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए  कपड़ा उत्पादकों ने बाजार की मांग और डिमांड में सन्तुलनों को बनाऐं रखने के लिए कई कपड़ा उत्पादकों ने संतुलन पर विशेष ध्यान देने लगें है इसके लिए कई उत्पादकों ने उत्पादन घटाया है।


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