2025 बहुत इवेंटफुल जा रहा है। साल के पहले 8 महीनों में ही बहुत कुछ घट चुका है। जंग हो चुकी है, 50 परसेंट टैरिफ ट्रेड सैंक्शन से कम नहीं हैं। एक्सपोर्ट घाटे की भरपाई डॉमेस्टिक डिमांड से करने के लिए सरकार ने हाईपरएक्टिव मोड में आते हुए जीएसटी में बिगबैंग रिफॉर्म करने की कमर कस ली है। जीएसटी 2.0 को ट्रंप टैरिफ का काउंटरबैलेंस कहा जा रहा है। भारत का रिटेल सैक्टर वैसे भी बहुत बड़ा है और इसमें एक्सपोर्ट घाटे वाला 37 बिलियन डॉलर (3.07 लाख करोड़ रुपये) कोई बहुत बड़ा फिगर नहीं है। एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले दस साल में भारत का रिटेल मार्केट दोगुना से भी ज्यादा हो चुका है और अगले केवल 5 वर्ष (2030 तक) यह 1.93 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 160 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। फिक्की और डेलॉय की ...स्पॉटिंग इंडिया•ा प्राइम इनोवेशन मॉमेंट...रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का रिटेल सैक्टर एक बड़े इंफ्लेक्शन पॉइंट पर आ गया है और अगला दशक बहुत अहम होगा। डेलॉय साउथ एशिया के पार्टनर एवं कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रमनाथन के अनुसार भारत का बड़ा डॉमेस्टिक कंज्यूमर बेस डॉमेस्टिक ग्रोथ के साथ ही ग्लोबल कंपीटिशन के लिए मजबूत लॉन्चपैड साबित हो रहा है। ई-कॉमर्स की फास्ट ग्रोथ हो रही है और छोटे शहरों का कुल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में 60 परसेंट से ज्यादा शेयर है। लेकिन ग्रोथ की नई वेव केवल ई-कॉमर्स जैसे डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल से नहीं आएगी बल्कि एफएमसीजी, रिटेल और ई-कॉमर्स कंपनियों की कंज्यूमर बिहेवियर में बदलाव, क्षेत्रीय विविधता और डिमांड-बेस्ड इनोवेशन की जरूरत को समझने और उसका सॉल्यूशन डवलप करने की कैपेसिटी से आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सही एक्शन से भारत 2030 तक अपने रिटेल मार्केट को दोगुना कर सकता है। एमएसएमई, डी2सी ब्रांड्स और अन्य भारतीय कंपनियां सर्टिफिकेशन, पैकेजिंग और कंप्लायंस में इंवेस्ट कर एक्सपोर्ट बढ़ा सकती हैं। रिलायंस रिटेल के एमडी वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत की रिटेल कहानी इसलिए अनोखी है क्योंकि यहां किराना और सुपर स्टोर्स साथ-साथ बढ़ रहे हैं।

