अमेरिका ने स्मॉल पार्सल के जीरो ड्यूटी इंपोर्ट को खत्म कर दिया। डी मिनिमिस नियम के तहत 800 डॉलर तक के पार्सल को यूएस कस्टम्स बिना ज्यादा जांच और बिना ड्यूटी लगाए क्लीयर करती रही है। अब सभी इंटरनेशनल पार्सल पर टैरिफ लगेगा चाहे उनका मूल्य कुछ भी हो, किसी भी देश से आए हों और किसी भी माध्यम से आए हों। हालांकि, अगले छह महीने तक विदेशी डाक एजेंसियों से आने वाले पैकेजों पर 80 से 200 डॉलर तक का फ्लैट-रेट शुल्क लिया जाएगा। यह छूट 1938 से लागू थी। शुरुआत में 5 डॉलर के गिफ्ट इंपोर्ट पर और बाद में 2015 में इसे 200 से बढ़ाकर 800 डॉलर किया गया ताकि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस पर छोटे व्यवसायों को फायदा मिल सके। लेकिन ट्रंप द्वारा चीन पर टैरिफ बढ़ाने के बाद शीन और तेमू जैसी कंपनियों ने डायरेक्ट टू कस्टमर इंटरनेशनल डिलिवरी का नया मॉडल बना लिया जिससे अमेरिका का इंपोर्ट पिछले सालों में आसमानी रफ्तार से बढ़ा है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि डि मिनिमिस छूट लेने वाले पैकेजों की संख्या 2015 के 139 मिलियन से बढक़र 2024 में 1.36 बिलियन हो गई। यानी वर्ष 2024 में अमेरिका में रोजाना 40 लाख स्मॉल पार्सल पहुंचे और ये बिना कस्टम्स क्लीयरेंस और बिना टैरिफ चुकाए पास हो गए। व्हाइट हाउस ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने कहा, डि मिनिमिस लूपहोल खत्म करने से कंज्यूमर पार्सल के नाम पर फेंटेनिल जैसी नशीली दवा आने पर रोक लगेगी और हजारों अमेरिकी जानें बचेंगी और सालाना लगभग 10 बिलियन डॉलर अतिरिक्त टैरिफ मिलेगा। प्रेसिडेंट ट्रंप पर अमेरिका की टेक्सटाइल इंडस्ट्री का भी बहुत प्रेशर था जिसका मानना था कि बिना टैरिफ के स्मॉल पार्सल आने से उनका बिजनस खत्म हो गया है। हालांकि एनेलिस्ट कहते हैं कि छूट खत्म होने से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले कई प्रॉडक्ट्स पर ड्यूटी लगने से वे महंगे हो जाएंगे। इससे इन कंपनियों की लागत वॉलमार्ट जैसे बड़े रिटेलर्स के बराबर आ जाएगी जो टैरिफ चुकाकर बल्क कंटेनर इंपोर्ट करते हैं।
