पिछले माह के अंतराल बड़ी इलायची में 60/70 रुपए प्रति किलो का मंदा आ गया है। इधर नेपाल से नये माल की आवक धीरे-धीरे बढऩे लगी है, वहीं ग्वालियर जयपुर लाइन में भी कोई विशेष लिवाल नहीं हैं, इन परिस्थितियों को देखते हुए थोड़ा ठहर कर 100 रुपए प्रति किलो की और गिरावट लग रही है। पिछले डेढ़ 2 महीने से कुछ बड़े स्टोरिए काफी माल स्टॉक में किए थे, उसको बढ़ाकर बेचने की फिराक में थे, लेकिन पिछले वर्ष के चोट खाए, कारोबारी झांसी में नहीं आए तथा बाजार धीरे-धीरे मंदे की तरफ गिरता जा रहा है। अब स्थिति यह है कि ग्वालियर में भी कुछ सटोरिये कमजोर पड़ गए हैं, जबकि रायपुर में अभी अपनी मनोपली चलाने की फिराक में बैठे हुए हैं, इसलिए ग्वालियर की अपेक्षा रायपुर मार्केट ऊंची चल रही है। गौरतलब है कि घरेलू एवं निर्यात दोनों ही मांग अनुकूल नहीं है, देश के 60-65 प्रतिशत भाग में बाढ़ एवं बरसात का व्यापक रूप बना हुआ है। यही कारण है कि हाजिर में कहीं से वास्तविक डिमांड नहीं है। कारोबारी केवल जरूरत का व्यापार कर रहे हैं। इधर बाजारों में रुपए की तंगी महसूस की जा रही है, इन परिस्थितियों में बड़ी इलायची के भाव धीरे-धीरे घटते जा रहे हैं। आज दिल्ली में 1500 रुपए प्रति किलो एवरेज माल के भाव बोल रहे थे, लेकिन इन भाव में भी कोई विशेष लिवाली नहीं रही। कुछ कारोबारियों के थोक माल नगद भुगतान में 1490 रुपए तक बिकने की खबर थी। उधर गंगटोक सिलीगुड़ी एवं भूटान लाइन में भी अच्छी बरसात होने से बड़ी इलायची की क्वालिटी बढिय़ा आई है तथा फसल भी अच्छी निकल रही है। नेपाल में कुछ बड़े सटोरिये अभी माल रोककर बाजार को बढ़ाने की फिराक में है, लेकिन छोटे कारोबारियों के माल बिकवाली में आने से बाजार धीरे-धीरे घटता जा रहा है। इसकी नई फसल चालू महीने में प्रेशर में आने लगेगी। दूसरी ओर पुराने मालों में स्टॉकिस्टों की बिकवाली आ गई है। नेपाल में गत वर्ष की अपेक्षा 22-23 प्रतिशत अधिक होने की खबरें आ रही है।, जबकि कुछ बड़े सटोरिये फसल फेल होने की बात बोल रहे थे, जो बिल्कुल निराधार है। उनकी मंशा है कि पुराना माल ऊंचे भाव में कारोबारियों के गले में फंसा दिया जाए। अभी ऊंचे भाव में कारोबारी पहले ही फंसे हुए हैं, जबकि उस हिसाब से घरेलू तथा निर्यात दोनों ही माल अनुकूल नहीं है। अत: वर्तमान भाव पर स्टॉक, ब्याज भाड़ा लगाकर नुकसानदायक हो सकता है।