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02-09-2025

लिक्विड दूध की किल्लत से नवरात्रि से पहले देसी घी एवं दूध पाउडर में और तेजी संभव

  •  कच्चे दूध की किल्लत एक बार उत्तर भारत के प्लांटों में बन गई है। दूसरी ओर फैट की कमी बनने से बाजार पिछले सप्ताह 200/225 रुपए प्रति टीन बढ़ गया था। दूध पाउडर भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से 10 रुपए प्रति किलो बढ़ गया है। आगे अभी डेढ़ महीने भरपूर खपत रहने वाली है, जिस कारण 20-25 रुपए किलो दोनों उत्पादों में और तेजी लग रही है। यद्यपि इस बार गर्मियों में लिक्विड दूध की उपलब्धि पिछले वर्षों की तुलना में अच्छी रही, जिससे देसी घी एवं दूध पाउडर के बाजार जुलाई तक  नहीं बढ़ पाए। इधर चालू माह के अंतराल व्रत-त्योहार की खपत बढ़ जाने से डेयरी प्रोडक्ट्स की शॉर्टेज बन गई है। परम डेयरी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि यूपी हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश सभी राज्यों के प्लांटों में लिक्विड दूध की भारी किल्लत बन गई है। यही कारण है कि चालू माह के अंतराल 3-4 रुपए प्रति लीटर लिक्विड दूध के भाव बढ़ाकर निर्माता कंपनियों को खरीद करना पड़ा। दूसरी बात फैट की कमी चौतरफा बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से बटर का निर्यात सीजन के शुरुआती दौर से ही चल रहा है, जिससे छोटे एवं मझोले कंपनियों में इस बार देसी घी नहीं बचा है, सभी प्लांट के बटर बिकते गए हैं। इस वजह से वर्तमान में प्रीमियम क्वालिटी के देसी 9200/9400 रुपए प्रति टीन के बीच बिक रहे हैं, जबकि मिलावटी मालों का कोई भाव नहीं है। सरकार द्वारा डेरी उद्योग एवं पशुपालकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए देसी घी व बटर पर जीएसटी 5 प्रतिशत किए जाने का प्रावधान बनाया गया है, अभी इसका लागू होने की तिथि आने वाली है, इन सारी परिस्थितियों से आने वाले समय में देसी घी एवं दूध पाउडर दोनों ही 20-25 रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं। प्लांट चलने में अभी लंबा समय बाकी है, वर्तमान में जो दूध आ रहा है, वह पॉलीपैक, छाछ, दही, पनीर, रबड़ी में खप रहा है। पॉउडर प्लांट फुल फ्लैश डेढ़-दो महीने के बाद ही चल पाएंगे। अत: वर्तमान भाव में देसी घी का व्यापार करना चाहिए। क्रीमी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप अग्रवाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सीजन से अब तक बटर के ऊंचे भाव होने से यहां यूपी हरियाणा पंजाब राजस्थान एमपी के प्लांट में देसी घी तैयार नहीं हो पा रहा है।, अधिकतर प्लांट मेंटेनेंस के लिए बंद है तथा फुल फ्लैश नवंबर में ही चल पाएंगे तथा इस बार सभी खपत वाले त्योहार अक्टूबर में ही बीत जाएंगे, क्योंकि 20 दिन पहले त्योहार आ रहे हैं, इन परिस्थितियों में जो देसी घी 9200/9450 रुपए प्रति टीन के बीच प्रीमियम क्वालिटी के बिक रहे हैं, इसमें अभी आगे शॉर्टेज ही रहेगी। यह कहना मुश्किल है कि ऊपर में क्या बिक जाएगा, वह आगे समय बताएगा। इसी तरह दूध पाउडर में महाराष्ट्र तमिलनाडु के दूध पाउडर पड़ते में जरूर बिक रहे हैं, लेकिन उनका निर्यात महाराष्ट्र से ही हो रहा है। दूसरी ओर उतरभारत के प्लांटों में दूध पाउडर का स्टॉक काफी कट चुका है तथा फेडरेशन एवं कोआपरेटिव भी पहले से काफी बढ़ाकर भाव बोलने लगी हैं इसी वजह से वर्तमान में दूध पाउडर के भाव भी 10 बढक़र 310/320 रुपए प्रति किलो प्रीमियम क्वालिटी के हो गए हैं, नीचे वाले माल अपनी क्वालिटी के अनुसार बिक रहे हैं। कुल मिलाकर उक्त दोनों उत्पादों में  अभी और तेजी की संभावना दिखाई दे रही है है, क्योंकि प्लांटों में लिक्विड दूध की खरीद, कीमतें बढ़ाने के बावजूद भी प्रतिस्पर्धात्मक चल रही है। इस वजह से सभी उत्पादक प्लांटों को बड़ा ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। पिछले दिनों ग्लोबल मार्केट में भी दूध पाउडर के भाव 50-60 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गए थे, इसलिए दक्षिण भारत की डेरियों से भी निर्यात में बढऩे लगे लगे हैं। अत: कुल मिलाकर व्यापार आराम से करना चाहिए।

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लिक्विड दूध की किल्लत से नवरात्रि से पहले देसी घी एवं दूध पाउडर में और तेजी संभव

 कच्चे दूध की किल्लत एक बार उत्तर भारत के प्लांटों में बन गई है। दूसरी ओर फैट की कमी बनने से बाजार पिछले सप्ताह 200/225 रुपए प्रति टीन बढ़ गया था। दूध पाउडर भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से 10 रुपए प्रति किलो बढ़ गया है। आगे अभी डेढ़ महीने भरपूर खपत रहने वाली है, जिस कारण 20-25 रुपए किलो दोनों उत्पादों में और तेजी लग रही है। यद्यपि इस बार गर्मियों में लिक्विड दूध की उपलब्धि पिछले वर्षों की तुलना में अच्छी रही, जिससे देसी घी एवं दूध पाउडर के बाजार जुलाई तक  नहीं बढ़ पाए। इधर चालू माह के अंतराल व्रत-त्योहार की खपत बढ़ जाने से डेयरी प्रोडक्ट्स की शॉर्टेज बन गई है। परम डेयरी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि यूपी हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश सभी राज्यों के प्लांटों में लिक्विड दूध की भारी किल्लत बन गई है। यही कारण है कि चालू माह के अंतराल 3-4 रुपए प्रति लीटर लिक्विड दूध के भाव बढ़ाकर निर्माता कंपनियों को खरीद करना पड़ा। दूसरी बात फैट की कमी चौतरफा बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से बटर का निर्यात सीजन के शुरुआती दौर से ही चल रहा है, जिससे छोटे एवं मझोले कंपनियों में इस बार देसी घी नहीं बचा है, सभी प्लांट के बटर बिकते गए हैं। इस वजह से वर्तमान में प्रीमियम क्वालिटी के देसी 9200/9400 रुपए प्रति टीन के बीच बिक रहे हैं, जबकि मिलावटी मालों का कोई भाव नहीं है। सरकार द्वारा डेरी उद्योग एवं पशुपालकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए देसी घी व बटर पर जीएसटी 5 प्रतिशत किए जाने का प्रावधान बनाया गया है, अभी इसका लागू होने की तिथि आने वाली है, इन सारी परिस्थितियों से आने वाले समय में देसी घी एवं दूध पाउडर दोनों ही 20-25 रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं। प्लांट चलने में अभी लंबा समय बाकी है, वर्तमान में जो दूध आ रहा है, वह पॉलीपैक, छाछ, दही, पनीर, रबड़ी में खप रहा है। पॉउडर प्लांट फुल फ्लैश डेढ़-दो महीने के बाद ही चल पाएंगे। अत: वर्तमान भाव में देसी घी का व्यापार करना चाहिए। क्रीमी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप अग्रवाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सीजन से अब तक बटर के ऊंचे भाव होने से यहां यूपी हरियाणा पंजाब राजस्थान एमपी के प्लांट में देसी घी तैयार नहीं हो पा रहा है।, अधिकतर प्लांट मेंटेनेंस के लिए बंद है तथा फुल फ्लैश नवंबर में ही चल पाएंगे तथा इस बार सभी खपत वाले त्योहार अक्टूबर में ही बीत जाएंगे, क्योंकि 20 दिन पहले त्योहार आ रहे हैं, इन परिस्थितियों में जो देसी घी 9200/9450 रुपए प्रति टीन के बीच प्रीमियम क्वालिटी के बिक रहे हैं, इसमें अभी आगे शॉर्टेज ही रहेगी। यह कहना मुश्किल है कि ऊपर में क्या बिक जाएगा, वह आगे समय बताएगा। इसी तरह दूध पाउडर में महाराष्ट्र तमिलनाडु के दूध पाउडर पड़ते में जरूर बिक रहे हैं, लेकिन उनका निर्यात महाराष्ट्र से ही हो रहा है। दूसरी ओर उतरभारत के प्लांटों में दूध पाउडर का स्टॉक काफी कट चुका है तथा फेडरेशन एवं कोआपरेटिव भी पहले से काफी बढ़ाकर भाव बोलने लगी हैं इसी वजह से वर्तमान में दूध पाउडर के भाव भी 10 बढक़र 310/320 रुपए प्रति किलो प्रीमियम क्वालिटी के हो गए हैं, नीचे वाले माल अपनी क्वालिटी के अनुसार बिक रहे हैं। कुल मिलाकर उक्त दोनों उत्पादों में  अभी और तेजी की संभावना दिखाई दे रही है है, क्योंकि प्लांटों में लिक्विड दूध की खरीद, कीमतें बढ़ाने के बावजूद भी प्रतिस्पर्धात्मक चल रही है। इस वजह से सभी उत्पादक प्लांटों को बड़ा ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। पिछले दिनों ग्लोबल मार्केट में भी दूध पाउडर के भाव 50-60 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गए थे, इसलिए दक्षिण भारत की डेरियों से भी निर्यात में बढऩे लगे लगे हैं। अत: कुल मिलाकर व्यापार आराम से करना चाहिए।


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