केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित चिप्स का इस्तेमाल करने वाले टेलीकॉम सिस्टम को स्टैंडर्ड्स और क्वालिटी टेस्ट पास करते हुए टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) से सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने एक्स पर लिखा कि भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के लिए यह एक बड़ी छलांग है। पहली बार, भारत में निर्मित'चिप्स पर चलने वाले एक टेलीकॉम सिस्टम ने मानकों और गुणवत्ता परीक्षणों (टीईसी सर्टिफिकेशन) को पास कर लिया है। टीईसी सर्टिफिकेशन दूरसंचार विभाग का गुणवत्ता मानक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि दूरसंचार उपकरण सख्त प्रदर्शन और सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं। घरेलू स्तर पर रोलआउट की मंजूरी के साथ, इस अपू्रवल ने भारत के स्थानीय चिप्स को वैश्विक समकक्षों के साथ खड़ा कर दिया है, जिससे निर्यात के अवसर खुल गए हैं। यह उपलब्धि आयातित सेमीकंडक्टरों पर निर्भरता कम करने में प्रगति का संकेत देती है, जो हाल ही में वैश्विक स्तर पर आई कमी के कारण उजागर हुई एक कमजोरी है। विश्लेषकों का कहना है कि डिजाइन, असेंबली, टेस्टिंग और इंटीग्रेशन में क्षमता बढ़ाने की भारत की रणनीति देश को सप्लाई चेन की कमियों को दूर करने में सक्षम बनाती है। ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका चिप उत्पादन में अग्रणी हैं, इसलिए उनका केंद्रीकरण सप्लाई चेन जोखिम पैदा करता है, जिसे भारत कम करना चाहता है। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर और 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, सेमीकंडक्टर बाजार उसी वर्ष तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढऩे का अनुमान है।