रूरल मार्केट के उत्साही कन्ज्यूमर्स अब अफोर्डेबल प्रीमियम फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर प्रोडक्ट्स की परचेज पहले से कहीं अधिक करने लगे हैं। मार्केट रिचर्सर न्यूमरेटर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पहली बार गांवों के कन्ज्यूमर्स ने अफोर्डेबल प्रीमियम एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की परचेज में बढ़त ली है। उनका वॉल्यूम शेयर 51 प्रतिशत के करीब हुआ है। वर्ष 2021 में यह करीब 45 प्रतिशत था। यही नहीं रूरल इंडिया ने टोटल सुपर प्रीमियम एफएमसीजी वॉल्यूम में 42 प्रतिशत शॉर्प ग्रोथ प्रदर्शित की है। करीब पांच वर्ष पूर्व यह आंकड़ा 30 प्रतिशत के आसपास था। पारले प्रोडक्ट्स के वाइस प्रेसीडेंट ने कहा है कि इसके अनेक कारण हैं। पहला तो यही कि कम्पनी अनेक प्रीमियम ब्राण्ड्स के लो यूनिट पैक्स पेश कर रही है। इससे रूरल कन्ज्यूमर्स को परचेज की सुविधा मिली है। दूसरा सोशियल मीडिया पर पहुंच बढऩे से वे भी प्रोडक्ट्स के बारे में ज्यादा जानने लगे हैं। उपलब्धता भी एक कारण है, जिसने एस्पीरेशनल भारत को प्रीमियम प्रोडक्ट्स को परचेज करने का अवसर दिया है। बेशक प्रीमियम प्रोडक्ट्स का अरबन पर कैपीटा कन्जम्पशन अभी भी काफी ज्यादा है लेकिन रूरल इंडिया जिस प्रकार से इस कैटेगरी में आगे बढ़ रहा है और जो आंकड़े बता रहे हैं, वे उत्साहित तो अवश्य कर रहे हैं। अफोर्डेबल प्रीमियम प्रोडक्ट्स 20 से 50 प्रतिशत ज्यादा प्राइस पॉइंट पर बेचे जाते हैं। सुपर प्रीमियम प्रोडक्ट्स की प्राइस तो करीब पचास फीसदी अधिक होती है। हम यह देख सकते हैं कि डव, टाटा रॉक सॉल्ट, लॉरियल, सेंसोडाइन, हाइड एंड सीक, बु्रक बांड ताजमहल ब्राण्ड ने अरबन मिडिल क्लास और अपर क्लास कन्ज्यूमर्स को टारगेट किया हुआ था लेकिन अब तो उनके लिये रूरल इंडिया कन्ज्यूमर्स भी अहम बनते दिखने लगे हैं। अफोर्डेबल पैक्स के साथ ही सही कन्ज्यूमर्स की शॉपिंग कार्ट में यह प्रोडक्ट्स नजर तो आने लगे हैं। अन्यथा वॉल्यूम शेयर 51 प्रतिशत तक तो नहीं पहुंचता और पहली बार अफोर्डेबल प्रीमियम एफएमसीजी कन्जम्पशन सिटीज को आउटपेस नहीं करता। रूरल इंडिया का कन्जम्पशन गणित कम्पनियों को आकर्षित करने का ट्रेक तो अवश्य ही तैयार कर रहा है।