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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-09-2025

स्मॉल आइटम्स में बिग गेन नजर आ रहा है क्विक कॉमर्स प्लेयर्स को

  •  बिग टिकेट आइटम्स की क्विक डिलीवरी फम्र्स को रास नहीं आ रही। इसलिये ग्रॉसरी आदि डेली कन्ज्यूमेबल आइटम्स की इन्वेंट्री को स्टोर व डिलीवर करने पर ज्यादा फोकस हो गया है। जनवरी में ब्लिंकइट ने 10 मिनट में लैपटॉप, मॉनीटर, प्रिंटर आदि की डिलीवरी मैट्रो शहरों में शुरू की थी। कुछ ही समय बाद ब्लिंकइट, जेप्टो ने मैकबुक एयर, आईपैड, एयरपॉड्स आदि को भी चुनिंदा शहरों में डिलीवर करना शुरू किया। लेकिन  जैसा सोचा था वैसा रेस्पांस नहीं आया और साथ ही प्रोडक्ट स्टोरेज, डिलीवरी लॉजिस्टिक्स में भी दिक्कत आई है। डिलॉइट के एक्सपर्ट्स के अनुसार क्विक कॉमर्स में डिलीवरी कॉस्ट रेगूलर ई-कॉमर्स से तीन-चार गुना अधिक होती है। इससे लैपटॉप, लार्ज एप्लायंसेज आदि की डिलीवरी का इकोनॉमिक्स अनसस्टेनेबल है। लार्ज प्रोडक्ट्स को 500 स्कवायर फुट के माइक्रो वेयरहाउस में स्टॉक करने में भी समस्या है। एक मैकबुक को स्टॉक करने के लिये ज्यादा स्पेस चाहिये। जबकि ग्रॉसरी यूनिट्स की बात करें तो वे इतनी स्पेस में काफी आइटम्स को स्टोर कर लेंगी। इसके अलावा स्टॉक की अवेलेबिलिटी भी इतनी आसान नहीं रहती। एक्जीमस वेंचर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार डार्क स्टोर्स को ज्यादा से ज्यादा इन्वेंटरी को स्टॉक करने के लिये डिजाइन किया जाता है। फास्ट मूविंग स्टॉक कीपिंग यूनिट्स को स्टॉक करना ज्यादा सस्टेनेबल लग रहा है। हैवी प्रोडक्ट्स की लांग परचेज साइकिल देखने में आई है। वे काफी समय स्पेस कन्ज्यूम करते हैं। उनके अनुसार स्मॉल सिटीज के बायर्स महंगी परचेज करने से पूर्व अनेक ब्राण्ड्स को देखना पसंद करते हैं। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की परचेज क्विक कॉमर्स में धीमी साबित हो रही है। दूसरा स्टॉकिंग आसान नहीं है। लाइटबॉक्स के मैनेजिंग पार्टनर के अनुसार बड़े शहरों में सेंट्रल वेयरहाउसेज भी ऑपरेट होते हैं। इसलिये डिलीवरी टाइम ज्यादा लगता है।  यह क्विक कॉमर्स मॉडल में वैल्यू नहीं दे पाते। डिलॉइट इन्डिया के कन्ज्यूमर इंडस्ट्री लीडर और पार्टनर ने कहा कि ट्रेडीशनल प्लेटफॉम्र्स हाई टिकेट परचेज पर ईएमआई, बाय नाओ पे लेटर, के्रडिट कार्ड फाइनेंसिंग ऑफर करते हैं लेकिन ऐसा क्विक कॉमर्स प्लेटफॉम्र्स पर इंटीग्रेट नहीं किया जा रहा। दूसरा डिलीवरी भी चैलेंजिंग है। क्विक कॉमर्स में अधिकांश डिलीवरीज दुपहिया वाहनों से होती है। लैपटॉप, अन्य एप्लायंसेज को डिलीवर करने के लिये चौपहिया वाहन, एडीशनल पैकेजिंग की जरूरत है, तभी वे सुरक्षित डिलीवर हो सकते हैं। दूसरी समस्या स्टॉकिंग, डैमेज कॉस्ट, स्पेस की कमी की है। उनके अनुसार इससे फाइनेंशियल रिस्क भी ज्यादा है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि क्विक कॉमर्स डिलीवरी मॉडल स्टॉल आइटम्स के लिये सही है।

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स्मॉल आइटम्स में बिग गेन नजर आ रहा है क्विक कॉमर्स प्लेयर्स को

 बिग टिकेट आइटम्स की क्विक डिलीवरी फम्र्स को रास नहीं आ रही। इसलिये ग्रॉसरी आदि डेली कन्ज्यूमेबल आइटम्स की इन्वेंट्री को स्टोर व डिलीवर करने पर ज्यादा फोकस हो गया है। जनवरी में ब्लिंकइट ने 10 मिनट में लैपटॉप, मॉनीटर, प्रिंटर आदि की डिलीवरी मैट्रो शहरों में शुरू की थी। कुछ ही समय बाद ब्लिंकइट, जेप्टो ने मैकबुक एयर, आईपैड, एयरपॉड्स आदि को भी चुनिंदा शहरों में डिलीवर करना शुरू किया। लेकिन  जैसा सोचा था वैसा रेस्पांस नहीं आया और साथ ही प्रोडक्ट स्टोरेज, डिलीवरी लॉजिस्टिक्स में भी दिक्कत आई है। डिलॉइट के एक्सपर्ट्स के अनुसार क्विक कॉमर्स में डिलीवरी कॉस्ट रेगूलर ई-कॉमर्स से तीन-चार गुना अधिक होती है। इससे लैपटॉप, लार्ज एप्लायंसेज आदि की डिलीवरी का इकोनॉमिक्स अनसस्टेनेबल है। लार्ज प्रोडक्ट्स को 500 स्कवायर फुट के माइक्रो वेयरहाउस में स्टॉक करने में भी समस्या है। एक मैकबुक को स्टॉक करने के लिये ज्यादा स्पेस चाहिये। जबकि ग्रॉसरी यूनिट्स की बात करें तो वे इतनी स्पेस में काफी आइटम्स को स्टोर कर लेंगी। इसके अलावा स्टॉक की अवेलेबिलिटी भी इतनी आसान नहीं रहती। एक्जीमस वेंचर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार डार्क स्टोर्स को ज्यादा से ज्यादा इन्वेंटरी को स्टॉक करने के लिये डिजाइन किया जाता है। फास्ट मूविंग स्टॉक कीपिंग यूनिट्स को स्टॉक करना ज्यादा सस्टेनेबल लग रहा है। हैवी प्रोडक्ट्स की लांग परचेज साइकिल देखने में आई है। वे काफी समय स्पेस कन्ज्यूम करते हैं। उनके अनुसार स्मॉल सिटीज के बायर्स महंगी परचेज करने से पूर्व अनेक ब्राण्ड्स को देखना पसंद करते हैं। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की परचेज क्विक कॉमर्स में धीमी साबित हो रही है। दूसरा स्टॉकिंग आसान नहीं है। लाइटबॉक्स के मैनेजिंग पार्टनर के अनुसार बड़े शहरों में सेंट्रल वेयरहाउसेज भी ऑपरेट होते हैं। इसलिये डिलीवरी टाइम ज्यादा लगता है।  यह क्विक कॉमर्स मॉडल में वैल्यू नहीं दे पाते। डिलॉइट इन्डिया के कन्ज्यूमर इंडस्ट्री लीडर और पार्टनर ने कहा कि ट्रेडीशनल प्लेटफॉम्र्स हाई टिकेट परचेज पर ईएमआई, बाय नाओ पे लेटर, के्रडिट कार्ड फाइनेंसिंग ऑफर करते हैं लेकिन ऐसा क्विक कॉमर्स प्लेटफॉम्र्स पर इंटीग्रेट नहीं किया जा रहा। दूसरा डिलीवरी भी चैलेंजिंग है। क्विक कॉमर्स में अधिकांश डिलीवरीज दुपहिया वाहनों से होती है। लैपटॉप, अन्य एप्लायंसेज को डिलीवर करने के लिये चौपहिया वाहन, एडीशनल पैकेजिंग की जरूरत है, तभी वे सुरक्षित डिलीवर हो सकते हैं। दूसरी समस्या स्टॉकिंग, डैमेज कॉस्ट, स्पेस की कमी की है। उनके अनुसार इससे फाइनेंशियल रिस्क भी ज्यादा है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि क्विक कॉमर्स डिलीवरी मॉडल स्टॉल आइटम्स के लिये सही है।


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