वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत को मिले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में अमेरिका और सिंगापुर की हिस्सेदारी एक-तिहाई से अधिक रही जबकि मॉरीशस, ब्रिटेन और नीदरलैंड अन्य प्रमुख निवेशक देश रहे। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ताजा रिपोर्ट से सामने आई है। केंद्रीय बैंक ने ‘विदेशी देनदारियां और परिसंपत्तियां सर्वेक्षण’ 2024-25 के अस्थायी नतीजे जारी किए। इसमें भारतीय कंपनियों की विदेशों से जुड़ी निवेश गतिविधियों का ब्योरा दिया गया है। आरबीआई के मुताबिक, इस बार के सर्वेक्षण में 45,702 भारतीय कंपनियों ने जवाब दिया, जिनमें से 41,517 संस्थाओं के खातों में एफडीआई या विदेशी प्रत्यक्ष निवेश दर्ज था।  कुल एफडीआई निवेश 68.75 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत और सिंगापुर की 14.3 प्रतिशत रही। इनके बाद मॉरीशस (13.3 प्रतिशत), ब्रिटेन (11.2 प्रतिशत) और नीदरलैंड (नौ प्रतिशत) भी एफडीआई के प्रमुख स्रोत रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आने वाले कुल विदेशी निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र में गया, जो कुल एफडीआई इक्विटी का 48.4 प्रतिशत (बाजार मूल्य पर) रहा। सेवा क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल एफडीआई 61.88 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया था। आरबीआई के मुताबिक, विदेशों में भारतीय निवेश का कुल मूल्य 11.66 लाख करोड़ रुपये रहा। इसमें सिंगापुर की हिस्सेदारी 22.2', अमेरिका की 15.4' और ब्रिटेन की 12.8' रही। बाजार मूल्य के हिसाब से पिछले वित्त वर्ष में ओडीआई में 17.9' की वृद्धि हुई, जो एफडीआई की 11.1' वृद्धि से अधिक रही।  इसका नतीजा यह हुआ कि भारत आने वाले और यहां से बाहर जाने वाले निवेश का अनुपात घटकर 5.9 गुना रह गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 6.3 गुना था।