 
                        
                        
                                                     दिल्ली की एक अदालत ने पति से अंतरिम आर्थिक गुजारा भत्ता मांगने वाली एक महिला की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वैवाहिक विवादों में पत्नी द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने और पति द्वारा आय कम दिखाने की प्रवृत्ति होती है। न्यायिक मजिस्ट्रेट पूजा यादव घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम के तहत पति से अंतरिम गुजारा भत्ता मांगने वाली महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। अदालत ने 25 अक्टूबर के आदेश में कहा, ‘‘कई फैसलों में यह देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति वैवाहिक विवाद में उलझा होता है, तो उसकी आय को कम दिखाने की प्रवृत्ति होती है। इसी तरह, ऐसे मामलों में पत्नी द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए जाते हैं।’’ अपने समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों पर गौर करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विधि स्नातक हैं और अक्टूबर 2024 तक दिल्ली महिला आयोग में काम कर चुकी हैं। अदालत ने कहा, ‘‘उन्होंने रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है जिससे पता चले कि वह अभी काम करने में असमर्थ हैं या नौकरी पाने में कोई वास्तविक बाधा है। शादी से कोई बच्चा नहीं है और ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं है जो उन्हें काम करने से रोके।’’ अदालत ने कहा कि हालांकि अपने भाई के साथ रह रही महिला ने 30,000 रुपये मासिक खर्च और किराए का दावा किया था, लेकिन उनके दावे के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं थे। उसने कहा, ‘‘दूसरी ओर, मार्च 2024 के बाद उनके बैंक खाते में कई धन जमा प्रविष्टियां देखी गईं, जिनका स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। यह सब उनके इस दावे पर संदेह पैदा करता है कि वर्तमान में उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है।’’ अदालत ने कहा कि उनकी योग्यता, कार्य अनुभव को देखते हुए और बेरोजगारी का कोई ठोस कारण नजर नहीं आने पर यह नहीं माना जा सकता कि वह वर्तमान में बेरोजगार हैं। मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘इसलिए, अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता इस समय अपना जीवन यापन करने में सक्षम हैं।’’ याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि मुकदमे के समापन पर राहत का फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा।