भारत के प्रोसेस्ड आलू उत्पाद साउथ-ईस्ट एशियाई बाजारों में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं। जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि निर्जलित (डिहाइड्रेटेड) आलू के दानों एवं पेलेट्स का एक्सपोर्ट 2021-22 के 1.14 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढक़र 2024-25 में 6.33 करोड़ डॉलर हो गया है जिससे यह भारत की सबसे तेजी से बढ़ती प्रोसेस्ड खाद्य एक्सपोर्ट श्रेणी बन गई है। निर्जलित आलू के दाने एवं पेलेट्स...सूखे हुए आलू उत्पाद हैं जो ‘मैश’ किए हुए आलू के लिए एक सुविधाजनक विकल्प हैं, जिन्हें पानी डालकर फिर से तैयार किया जा सकता है। अन्य प्रोसेस्ड आलू उत्पादों के एक्सपोर्ट जो अच्छी वृद्धि दर दर्ज कर रहे हैं, उनमें आटा, स्टार्च, चिप्स और रेडी-टू-ईट (खाने के लिए तैयार) आदि शामिल हैं। इन वस्तुओं का एक्सपोर्ट 2021-22 के 62 लाख अमेरिकी डॉलर से बढक़र गत वित्त वर्ष 2024-25 में 1.88 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘लगभग 80 प्रतिशत एक्सपोर्ट मलेशिया, फिलिपीन, इंडोनेशिया, जापान और थाइलैंड को जाता है जो साउथ-ईस्ट एशिया के ‘स्नैक’ और सुविधाजनक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में भारत के एकीकरण को दर्शाता है।’’उन्होंने कहा कि गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य नए निर्जलीकरण संयंत्रों, अनुबंध खेती एवं ‘कोल्ड-चेन’ बुनियादी ढांचे के साथ इस तेजी को बढ़ावा दे रहे हैं जिसे 5.6 करोड़ टन वार्षिक आलू की फसल का समर्थन प्राप्त है। श्रीवास्तव ने कहा कि जहां यूरोप ऊर्जा लागत एवं अनियमित फसलों से जूझ रहा है और चीन घरेलू मांग को प्राथमिकता दे रहा है...वहीं भारत, एशिया के ‘स्नैक’ और क्यूएसआर (त्वरित-सेवा रेस्तरां) उद्योगों के लिए एक विश्वसनीय, कम लागत वाला, साल भर उपलब्ध आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। मलेशिया, भारत का सबसे बड़ा डिहाइड्रेटेड आलू के दानों एवं पेलेट्स का खरीदार है जिसका इंपोर्ट 51 लाख अमेरिकी डॉलर से बढक़र 2.21 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। इसके बाद फिलीिपीन और इंडोनेशिया का स्थान है। श्रीवास्तव ने बताया कि जापान और थाइलैंड ने भी अपनी खरीदारी बढ़ा दी है। इन पांच देशों का भारत के कुल एक्सपोर्ट में लगभग 80 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति पक्ष पर, गुजरात और उत्तर प्रदेश भारत की प्रसंस्करण महाशक्ति बन गए हैं। गुजरात के मेहसाणा और बनासकांठा जिलों में अब अनुबंध खेती और ‘कोल्ड-स्टोरेज’ नेटवर्क द्वारा समर्थित आधुनिक निर्जलीकरण संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि आगरा तथा फर्रुखाबाद में नई सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं। भारत की 5.6 करोड़ टन आलू की फसल (जिसमें प्रसंस्करण के लिए आदर्श उच्च-ठोस किस्में शामिल हैं) ने एक्सपोर्टर्स को उत्पादन बढ़ाने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संबंधी झटकों और मौसम की अस्थिरता से प्रभावित यूरोप के प्रसंस्करणकर्ताओं व चीन के आंतरिक इंपोर्ट में बदलाव के कारण वैश्विक खरीदार विकल्प तलाश रहे हैं।