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01-10-2025

उच्च, निम्न आय वाले राज्यों के जीडीपी में योगदान का अंतर चिंताजनक: नीति उपाध्यक्ष

  •  नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा है कि उच्च आय वाले राज्यों में देश की 26 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन वे जीडीपी में 44' योगदान देते हैं। वहीं निम्न आय वाले राज्य 38' आबादी के बावजूद जीडीपी में सिर्फ 19' ही योगदान दे रहे हैं। बेरी ने यहां हैदराबाद विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में आयोजित छठे आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च एवं निम्न आय वाले राज्यों के बीच का यह अंतर चिंताजनक है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए विकास की जो रणनीति उपयुक्त होगी, वह बिहार या उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लिए भी कारगर नहीं हो सकती है।’’ बेरी ने कहा, ‘‘बात यह है कि अंतर बना हुआ है और हमें इसके बारे में फिक्रमंद होने की जरूरत है। उच्च आय वाले राज्यों में जनसंख्या का 26 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन जीडीपी में 44 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं निम्न आय वाले राज्यों में जनसंख्या का 38 प्रतिशत हिस्सा है लेकिन जीडीपी में केवल 19 प्रतिशत हिस्सेदारी है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक संदर्भ में भी यह सिद्धांत लागू होता है कि जितना पिछड़ा क्षेत्र होगा, उसके तेजी से बढऩे की संभावना उतनी ही अधिक होगी। बेरी ने कहा कि तथाकथित बीमारू राज्यों में से कुछ अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कोई राज्य हमेशा पिछड़ा ही रहेगा।  परंपरागत तौर पर कम विकास की वजह से बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाता रहा है। रोजगार पर आंकड़े साझा करते हुए बेरी ने बताया कि कुल रोजगार में 15 करोड़ की वृद्धि हुई है, जिनमें आठ करोड़ महिलाएं कृषि कार्य में शामिल हुई हैं। इनमें से चार करोड़ महिलाएं बिना वेतन के पारिवारिक काम करती हैं, लेकिन उन्हें भी घरेलू आर्थिक इकाई में योगदान देने वाला माना जाता है।

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उच्च, निम्न आय वाले राज्यों के जीडीपी में योगदान का अंतर चिंताजनक: नीति उपाध्यक्ष

 नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा है कि उच्च आय वाले राज्यों में देश की 26 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन वे जीडीपी में 44' योगदान देते हैं। वहीं निम्न आय वाले राज्य 38' आबादी के बावजूद जीडीपी में सिर्फ 19' ही योगदान दे रहे हैं। बेरी ने यहां हैदराबाद विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में आयोजित छठे आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च एवं निम्न आय वाले राज्यों के बीच का यह अंतर चिंताजनक है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए विकास की जो रणनीति उपयुक्त होगी, वह बिहार या उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लिए भी कारगर नहीं हो सकती है।’’ बेरी ने कहा, ‘‘बात यह है कि अंतर बना हुआ है और हमें इसके बारे में फिक्रमंद होने की जरूरत है। उच्च आय वाले राज्यों में जनसंख्या का 26 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन जीडीपी में 44 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं निम्न आय वाले राज्यों में जनसंख्या का 38 प्रतिशत हिस्सा है लेकिन जीडीपी में केवल 19 प्रतिशत हिस्सेदारी है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक संदर्भ में भी यह सिद्धांत लागू होता है कि जितना पिछड़ा क्षेत्र होगा, उसके तेजी से बढऩे की संभावना उतनी ही अधिक होगी। बेरी ने कहा कि तथाकथित बीमारू राज्यों में से कुछ अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि कोई राज्य हमेशा पिछड़ा ही रहेगा।  परंपरागत तौर पर कम विकास की वजह से बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाता रहा है। रोजगार पर आंकड़े साझा करते हुए बेरी ने बताया कि कुल रोजगार में 15 करोड़ की वृद्धि हुई है, जिनमें आठ करोड़ महिलाएं कृषि कार्य में शामिल हुई हैं। इनमें से चार करोड़ महिलाएं बिना वेतन के पारिवारिक काम करती हैं, लेकिन उन्हें भी घरेलू आर्थिक इकाई में योगदान देने वाला माना जाता है।


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