 
                        
                        
                                                     कच्चे पामतेल (सीपीओ) की खेप में वृद्धि के कारण, भारत का वनस्पति तेल इंपोर्ट सितंबर में एक साल पहले की तुलना में 51 प्रतिशत बढक़र 16.39 लाख टन हो गया, जबकि रिफाइंड तेल का इंपोर्ट वर्ष 2021 के बाद पहली बार शून्य हो गया। एक उद्योग निकाय ने यह जानकारी दी। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने बयान में कहा कि सितंबर, 2023 में खाद्य और अखाद्य दोनों तेलों सहित कुल वनस्पति तेल इंपोर्ट 10.87 लाख टन रहा। रिफाइंड तेलों से दूरी होने की वजह, सरकार द्वारा कच्चे पाम तेल और रिफाइंड आरबीडी पामोलिन के बीच इंपोर्ट शुल्क अंतर को 8.25 प्रतिशत अंक से बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत अंक करने के फैसले के बाद हुई है, जो 31 मई से प्रभावी है। इस कदम के कारण रिफाइंड तेल का इंपोर्ट अलाभकारी हो गया। एसईए ने कहा, ‘‘शुल्क अंतर बढ़ाने का सरकार का फैसला एक साहसिक और समयोचित कदम है।’’ एसईए ने आगे कहा कि इससे रिफाइंड पामोलिन के इंपोर्ट में कमी आई है और मांग कच्चे तेल की ओर मुड़ी है, जिससे घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र में नई जान फूंकी है। एसईए ने कहा कि सितंबर में रिफाइंड आरबीडी पामोलिन का इंपोर्ट शून्य रहा, जबकि एक साल पहले सितंबर में 84,279 टन का इंपोर्ट हुआ था। देश ने इस महीने के दौरान 16.04 लाख टन खाद्य तेल और 35,100 टन अखाद्य तेलों का इंपोर्ट किया। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का इंपोर्ट एक साल पहले के 4.32 लाख टन से लगभग दोगुना होकर 8.24 लाख टन हो गया, जबकि कच्चे सूरजमुखी तेल का इंपोर्ट 1.52 लाख टन से बढक़र 2.72 लाख टन हो गया। कच्चे सोयाबीन तेल का इंपोर्ट 3.84 लाख टन से बढक़र 5.03 लाख टन हो गया, जबकि कच्चे पाम कर्नेल तेल (सीपीकेओ) का इंपोर्ट 10,525 टन से घटकर 4,255 टन रह गया। एसईए ने कहा कि विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेल का स्टॉक एक अक्टूबर तक 20 लाख टन था, जो पिछले चार महीनों में इंपोर्ट बढऩे के कारण पिछले महीने की तुलना में अधिक है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल इंपोर्टर, मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल, अर्जेंटीना, ब्राजील और रूस से सोयाबीन तेल, और रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल प्राप्त करता है।