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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

11-10-2025

‘हेड ऑफिस और वेयरहाउस अलग राज्य में होने पर अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी’

  •  अगर किसी इंपोर्टर का मुख्यालय एक राज्य में है और वेयरहाउस किसी दूसरे राज्य में तो उसे दोनों राज्यों में अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा है कि व्यवसाय का स्थान (Place of Business), जैसा कि धारा 2(85) में परिभाषित है, उसमें गोदाम, भंडारण केंद्र और शीतगृह आदि वह सभी स्थान शामिल हैं जहां से व्यापार सामान्य रूप से संचालित किया जाता है। यह स्पष्टीकरण सीबीआईसी ने दिल्ली की किराना कमेटी के एक ज्ञापन के जवाब में दिया। कमेटी ने यह क्लैरिटी मांगी थी कि यदि किसी संस्था का मुख्य व्यापारिक स्थान दिल्ली में है, लेकिन उसका माल हरियाणा के किसी कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और वहीं से कस्टमर को डिलिवरी दी जाती है या डिस्पैच किया जाता है तो तो क्या ऐसे में उस कोल्डस्टोरेज का हरियाणा में अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। सीबीआईसी ने कहा कि धारा 22 के तहत कोई भी व्यक्ति जो किसी राज्य से कर योग्य आपूर्ति (Taxable Supply) करता है, और जिसकी कुल सालाना सेल निर्धारित सीमा से अधिक है, उसे उस राज्य में जीएसटी पंजीकरण कराना होगा। यदि माल हरियाणा में रखा गया है और वहीं से कस्टमर को डिस्पैच किया जाता है तो वह गोदाम भी व्यवसाय स्थल माना जाएगा। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोल्डस्टोरेज को थर्ड पार्टी ऑपरेट करती है तो तब भी यदि वहीं से मा की आपूर्ति होती है, तो कानूनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता। ऐसी स्थिति में कंपनी को हरियाणा में अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सीजीएसटी अधिनियम के सभी प्रावधान उसी के अनुसार लागू होंगे। इसके अलावा, सीबीआईसी ने बताया कि एक ही पैन के तहत अलग-अलग राज्यों में स्थित संस्थान अलग कर योग्य व्यक्ति ((Distinct Taxable Persons) माने जाते हैं। इसलिए मुख्यालय से गोदाम तक माल की किसी भी आवाजाही के लिए वैध टैक्स इनवॉयस और ई-वे बिल बनाना जरूरी है, और उस पर जीएसटी का भुगतान भी करना होगा। सीबीआई ने स्पष्ट किया कि:  ठ्ठ  यदि माल की डिलीवरी उसी राज्य के भीतर होती है, तो यह राज्य के भीतर आपूर्ति (Intra-State Supply)) मानी जाएगी, जिस पर सीजीएसटी और एसजीएसटी लागू होगा। ठ्ठ  जबकि दूसरे राज्य में होने वाली डिलिवरी इंटर स्टेट मानी जाएगी, जिस पर आईजीएसटी लगाया जाएगा। कोल्डस्टोरेज के बारे में सीबीआईसी ने कहा कि कोल्डस्टोरेज सर्विस को अचल संपत्ति (Immovable Property) से संबंधित सेवाओं के रूप में माना जाएगा। इसलिए इन सेवाओं का सप्लाई स्थान उसी राज्य में होगा जहां वह कोल्डस्टोरेज स्थित है, और वहां के सीजीएसटी एवं एसजीएसटी लागू होंगे। एनेलिस्ट कहते हैं कि इन फैसलों से कंपनियों पर कंप्लायंस का बोझ बढ़ जाएगा। अब उन्हें अलग-अलग राज्यों में अलग स्टॉक रजिस्टर, इंटरस्टेट मूवमेंट के लिए टैक्स इनवॉयस और ई-वे बिल, तथा हर राज्य के लिए अलग-अलग जीएसटी रिटर्न दाखिल करने होंगे।

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‘हेड ऑफिस और वेयरहाउस अलग राज्य में होने पर अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी’

 अगर किसी इंपोर्टर का मुख्यालय एक राज्य में है और वेयरहाउस किसी दूसरे राज्य में तो उसे दोनों राज्यों में अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा है कि व्यवसाय का स्थान (Place of Business), जैसा कि धारा 2(85) में परिभाषित है, उसमें गोदाम, भंडारण केंद्र और शीतगृह आदि वह सभी स्थान शामिल हैं जहां से व्यापार सामान्य रूप से संचालित किया जाता है। यह स्पष्टीकरण सीबीआईसी ने दिल्ली की किराना कमेटी के एक ज्ञापन के जवाब में दिया। कमेटी ने यह क्लैरिटी मांगी थी कि यदि किसी संस्था का मुख्य व्यापारिक स्थान दिल्ली में है, लेकिन उसका माल हरियाणा के किसी कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और वहीं से कस्टमर को डिलिवरी दी जाती है या डिस्पैच किया जाता है तो तो क्या ऐसे में उस कोल्डस्टोरेज का हरियाणा में अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। सीबीआईसी ने कहा कि धारा 22 के तहत कोई भी व्यक्ति जो किसी राज्य से कर योग्य आपूर्ति (Taxable Supply) करता है, और जिसकी कुल सालाना सेल निर्धारित सीमा से अधिक है, उसे उस राज्य में जीएसटी पंजीकरण कराना होगा। यदि माल हरियाणा में रखा गया है और वहीं से कस्टमर को डिस्पैच किया जाता है तो वह गोदाम भी व्यवसाय स्थल माना जाएगा। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोल्डस्टोरेज को थर्ड पार्टी ऑपरेट करती है तो तब भी यदि वहीं से मा की आपूर्ति होती है, तो कानूनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता। ऐसी स्थिति में कंपनी को हरियाणा में अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सीजीएसटी अधिनियम के सभी प्रावधान उसी के अनुसार लागू होंगे। इसके अलावा, सीबीआईसी ने बताया कि एक ही पैन के तहत अलग-अलग राज्यों में स्थित संस्थान अलग कर योग्य व्यक्ति ((Distinct Taxable Persons) माने जाते हैं। इसलिए मुख्यालय से गोदाम तक माल की किसी भी आवाजाही के लिए वैध टैक्स इनवॉयस और ई-वे बिल बनाना जरूरी है, और उस पर जीएसटी का भुगतान भी करना होगा। सीबीआई ने स्पष्ट किया कि:  ठ्ठ  यदि माल की डिलीवरी उसी राज्य के भीतर होती है, तो यह राज्य के भीतर आपूर्ति (Intra-State Supply)) मानी जाएगी, जिस पर सीजीएसटी और एसजीएसटी लागू होगा। ठ्ठ  जबकि दूसरे राज्य में होने वाली डिलिवरी इंटर स्टेट मानी जाएगी, जिस पर आईजीएसटी लगाया जाएगा। कोल्डस्टोरेज के बारे में सीबीआईसी ने कहा कि कोल्डस्टोरेज सर्विस को अचल संपत्ति (Immovable Property) से संबंधित सेवाओं के रूप में माना जाएगा। इसलिए इन सेवाओं का सप्लाई स्थान उसी राज्य में होगा जहां वह कोल्डस्टोरेज स्थित है, और वहां के सीजीएसटी एवं एसजीएसटी लागू होंगे। एनेलिस्ट कहते हैं कि इन फैसलों से कंपनियों पर कंप्लायंस का बोझ बढ़ जाएगा। अब उन्हें अलग-अलग राज्यों में अलग स्टॉक रजिस्टर, इंटरस्टेट मूवमेंट के लिए टैक्स इनवॉयस और ई-वे बिल, तथा हर राज्य के लिए अलग-अलग जीएसटी रिटर्न दाखिल करने होंगे।


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