 
                        
                        
                                                     भारत में रिटायरमेंट के बाद केवल 23.1 प्रतिशत सीनियर सिटीजन ही काम कर रहे हैं। हालांकि 73 प्रतिशत से अधिक सीनियर सिटीजन ने रिटायरमेंट के बाद के करियर में रुचि जतायी। यह बात अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर एजवेल फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आयी है। इनमें से अधिकतर लोगों का जीवन नाजुक वित्तीय व्यवस्था पर निर्भर है - 35.6 प्रतिशत लोग सरकारी पेंशन पर, 19 प्रतिशत वृद्धावस्था पेंशन पर, 16.6 प्रतिशत बचत पर और 14.2 प्रतिशत परिवार के भरण-पोषण पर निर्भर हैं। लगभग दस में से एक व्यक्ति के पास कोई नियमित आय नहीं है। तो फिर यह तर्कसंगत है कि सीनियर सिटीजन रिटायरमेंट के बाद के जीवन में भी अपनी आय में वृद्धि करना चाहते होंगे। सीनियर सिटीजन में से 73 प्रतिशत से अधिक ने रिटायरमेंट के बाद के करियर में रुचि दिखायी, न सिर्फ पैसे के लिए, बल्कि सम्मान, स्वतंत्रता और सक्रिय बने रहने के लिए भी। सितंबर में 55 वर्ष और उससे अधिक आयु के 10,000 उत्तरदाताओं के साथ किए गए अध्ययन में पाया गया कि केवल 23.1 प्रतिशत सीनियर सिटीजन ही वर्तमान में रिटायरमेंट के बाद काम कर रहे हैं। एजवेल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हिमांशु रथ ने कहा, ‘‘भारत के सीनियर सिटीजन न केवल वित्तीय स्थिरता, बल्कि गरिमा, सम्मान और उद्देश्य की भी आकांक्षा रखते हैं। नीति, कॉर्पोरेट नवाचार और पारिवारिक सहयोग के माध्यम से इस क्षमता को विकसित करने से रिटायरमेंट को निर्भरता से सशक्तिकरण में बदला जा सकता है।’’ सर्वेक्षण से पता चला है कि सीनियर सिटीजन संरचित रोजगार के अवसरों (69.8%) को पसंद करते हैं। इसके अनुसार स्वयंसेवा (30.7%) और कृषि (22.7%) भी आकर्षक विकल्प बने हुए हैं। इसके अनुसार लगभग 41.8 प्रतिशत लोग लंबी उम्र के लिए रिटायरमेंट के बाद काम को जरूरी मानते हैं। लेकिन बाधाएं अभी भी बहुत बड़ी हैं। इच्छुक लेकिन बेरोजगार लोगों में से 80.3 प्रतिशत ने अवसरों की कमी का हवाला दिया, 61.9 प्रतिशत डिजिटल निरक्षरता से जूझ रहे थे और 57.9 प्रतिशत को आवागमन की समस्याओं का सामना करना पड़ा।