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01-10-2025

सरकार ने RoDTEP स्कीम अगले साल मार्च तक बढ़ाई

  •  केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स पर टैरिफ और टैक्स की वापसी (आरओडीटीईपी) योजना को छह महीने के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 तक कर दिया।  एक्सपोर्टर्स को राहत देने के लिए लाई गई यह योजना 30 सितंबर, 2025 को समाप्त होने वाली थी। जनवरी, 2021 में शुरू हुई आरओडीटीईपी योजना के तहत एक्सपोर्टर्स को उन टैक्स, टैरिफों और सेस को वापस कर दिया जाता है जो विनिर्माण एवं वितरण प्रक्रिया के दौरान लगते हैं और केंद्र, राज्य या स्थानीय स्तर पर अन्य किसी व्यवस्था से उनकी वापसी नहीं होती है।  विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि घरेलू सीमा-टैरिफ क्षेत्र के अलावा अग्रिम प्राधिकार धारकों, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) और एक्सपोर्ट-उन्मुख इकाइयों (ईओयू) को भी मार्च 2026 तक योजना का लाभ मिलता रहेगा।  योजना के तहत संशोधित दरें यथावत लागू रहेंगी। वर्तमान में कर वापसी की दरें विभिन्न एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स के लिए 0.3 प्रतिशत से 3.9 प्रतिशत तक हैं। भारतीय एक्सपोर्टर्स का शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘समय सीमा को आगे बढ़ाने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वैश्विक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं। इसने एक्सपोर्टर्स के सामने बनी अनिश्चितता को दूर किया है जिससे उन्हें आत्मविश्वास के साथ एक्सपोर्ट योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।’’ रल्हन ने कहा कि योजना ने भारतीय एक्सपोर्ट को प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम भूमिका निभाई है और इसका आगे भी जारी रहना मौजूदा वैश्विक व्यापार परिदृश्य में गति बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में भारत का एक्सपोर्ट 6.7 प्रतिशत बढक़र 35.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि आयात 10.12 प्रतिशत घटकर 61.59 अरब डॉलर रह गया।   अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगने से भारतीय प्रोडक्ट्स की बिक्री पर दबाव पहले से ही बना हुआ है।

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सरकार ने RoDTEP स्कीम अगले साल मार्च तक बढ़ाई

 केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स पर टैरिफ और टैक्स की वापसी (आरओडीटीईपी) योजना को छह महीने के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 तक कर दिया।  एक्सपोर्टर्स को राहत देने के लिए लाई गई यह योजना 30 सितंबर, 2025 को समाप्त होने वाली थी। जनवरी, 2021 में शुरू हुई आरओडीटीईपी योजना के तहत एक्सपोर्टर्स को उन टैक्स, टैरिफों और सेस को वापस कर दिया जाता है जो विनिर्माण एवं वितरण प्रक्रिया के दौरान लगते हैं और केंद्र, राज्य या स्थानीय स्तर पर अन्य किसी व्यवस्था से उनकी वापसी नहीं होती है।  विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि घरेलू सीमा-टैरिफ क्षेत्र के अलावा अग्रिम प्राधिकार धारकों, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) और एक्सपोर्ट-उन्मुख इकाइयों (ईओयू) को भी मार्च 2026 तक योजना का लाभ मिलता रहेगा।  योजना के तहत संशोधित दरें यथावत लागू रहेंगी। वर्तमान में कर वापसी की दरें विभिन्न एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स के लिए 0.3 प्रतिशत से 3.9 प्रतिशत तक हैं। भारतीय एक्सपोर्टर्स का शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘समय सीमा को आगे बढ़ाने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वैश्विक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं। इसने एक्सपोर्टर्स के सामने बनी अनिश्चितता को दूर किया है जिससे उन्हें आत्मविश्वास के साथ एक्सपोर्ट योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।’’ रल्हन ने कहा कि योजना ने भारतीय एक्सपोर्ट को प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम भूमिका निभाई है और इसका आगे भी जारी रहना मौजूदा वैश्विक व्यापार परिदृश्य में गति बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में भारत का एक्सपोर्ट 6.7 प्रतिशत बढक़र 35.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि आयात 10.12 प्रतिशत घटकर 61.59 अरब डॉलर रह गया।   अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगने से भारतीय प्रोडक्ट्स की बिक्री पर दबाव पहले से ही बना हुआ है।


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