प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने कहा कि एडिबल ऑयल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में सोयाबीन उगाने वाले कम से कम 70 प्रतिशत किसानों तक उन्नत बीज पहुंचाए जाने की जरूरत है। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने यहां अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन अधिवेशन के दौरान संवाददाताओं को बताया कि वर्तमान में भारत की सोयाबीन उत्पादकता औसतन 1.10 टन प्रति हेक्टेयर के आसपास है जो 2.60 टन प्रति हेक्टेयर के वैश्विक औसत से काफी कम है। उन्होंने कहा कि एडिबल ऑयल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के मद्देनजर सोपा ने अगले पांच वर्षों में देश की सोयाबीन उत्पादकता को बढ़ाकर दो टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंचाने का खाका तैयार किया है। जैन ने देश में ‘सोयाबीन बीज क्रांति’ का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि कम से कम 70 प्रतिशत किसानों को सोयाबीन के उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएं।’’ उन्होंने मांग की कि सरकार तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2026 को ‘सोयाबीन वर्ष’ घोषित करे। जैन ने बताया कि भारत अपनी कुल खाद्य तेल आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है जिस पर हर साल लगभग 1.70 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। उन्होंने कहा कि एडिबल ऑयल के आयात पर देश की निर्भरता साल-दर-साल बढ़ती जा रही है और इस निर्भरता को कम करने का सबसे टिकाऊ उपाय घरेलू उत्पादन बढ़ाना है। इंदौर में दो दिन तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन अधिवेशन में देश-विदेश के सैकड़ों प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।