देश में 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए व्यापक स्तर पर मांग सृजित होना महत्वपूर्ण है। बेन एंड कंपनी, उद्योग मंडल सीआईआई और रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है। ग्रीन हाइड्रोजन पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अंतरराष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन में बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करने का एक महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है। हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन की मांग को सामने लाना महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में इस दृष्टिकोण को वास्तविक रूप देने के लिए उपाय सुझाये गये हैं। अध्ययन में कहा गया है कि भारत रणनीतिक क्षेत्रों के चयन, मिश्रण, सार्वजनिक खरीद का लाभ उठाने और निर्यात अवसरों के साथ तालमेल बिठाकर अपने 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक तेल शोधन संयंत्रों से ग्रीन हाइड्रोजन की मांग 20 लाख टन, उर्वरक क्षेत्र से नौ लाख टन और पाइप वाली प्राकृतिक गैस से एक लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा रसायन, कांच और सिरेमिक जैसे क्षेत्र लगभग 70 हजार टन का योगदान दे सकते हैं, जबकि ग्रीन स्टील से सार्वजनिक खरीद से छह लाख टन तक की मांग सृजित हो सकती है। निर्यात के मोर्चे पर, ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात आठ लाख टन से 11 लाख टन के बीच उत्पन्न हो सकता है। रिपोर्ट में बाजार में तेजी लाने और भारत के 2030 के ग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य को पूरा करने में मदद करने के लिए मांग के संदर्भ में कदमों की श्रृंखला पेश की गई है।