TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-07-2025

ब्रेनड्रेन नहीं अर्बन ड्रेन (ड्रेनेज) का चैलेंज

  •  ब्रेनड्रेन (प्रतिभा पलायन) की चर्चा होती है लेकिन ड्रेन (ड्रेनेज) शहरों के लिए बड़ा चैलेंज बन गया है। प्रतिभापलायन का बड़ा कारण है जी का जंजाल बनते देश के शहर। वर्ष 2024 में बैंगलुरू डे •ाीरो तक पहुंच गया था और करोड़ों का पैकेज कमाने वाले पानी के लिए तरस गए थे। दिल्ली की कुछ नहीं कहें तो ही ठीक है। गुरुग्राम की...100 करोड़ के फ्लेट की पानी से लबालब तस्वीरें देखी होंगी। वो गाना सुना है ना...अभी तो पार्टी शुरू हुई है...दुबई की गोल्डन वीजा स्कीम ने प्रोफेशनल्स में ऐसा ही असर दिखाया था। वल्र्ड बैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक भारत को अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर पर 2.4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रु.) इंवेस्ट करने पड़ेंगे। ...टुवर्ड्स रेजिलिएंट एंड प्रॉस्पेरस सिटीज इन इंडिया...रिपोर्ट कहती है 60 साल में देश अर्बन आबादी 6 गुुना होकर 2020 में 48 करोड़ (2024 में 52.2 करोड़) तक पहुंच चुकी है। जो 2050 में 95.1 करोड़ और 2070 में 110 करोड़ हो जाएगी। इस आबादी को शहरों में रहने के लिए 2070 तक 14.4 करोड़ घर चाहिए होंगे जो आज मौजूद कुल अर्बन घरों से दोगुने हैं। वर्ष 2030 तक देश में जेनरेट हुए कुल जॉब्स में से 70 परसेंट शहरों में होंगे। जब जॉब्स शहरों में होंगे तो प्रतिभा पलायन भी गांव से शहरों की ओर होगा। ऐसे में शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने पर 2050 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 20 लाख करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट करने की जरूरत होगी। भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन डवलपमेंट से सहयोग से वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि देर-दार हुई तो एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स (बाढ़, तूफान, लू) आदि के कारण देश को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। देश के शहरों में हीट आइलैंड इफेक्ट...के कारण तापमान आस-पास के इलाकों की तुलना में 3-4 डिग्री ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है। शहरीकरण के कारण ग्रीन बेल्ट घट रही है और ड्रेनेज सिस्टम कम पडऩे से शहरों के बाढ़ में डूबने का खतरा है। आपको याद होगा 2015 में फ्लैश फ्लड के कारण चेन्नई के कई इलाके 20 फीट डूब गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि देश के शहरों को रेन फ्लडिंग से बचाए जाने पर काम हो ते 2030 तक 5 बिलियन डॉलर और 2070 तक 30 बिलियन डॉलर सालाना बचाए जा सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2050 तक जरूरी अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर अभी केवल 50 परसेंट ही तैयार हो पाया है ऐसे में सरकार के पास प्लान को रिव्यू करने का मौका है।

Share
ब्रेनड्रेन नहीं अर्बन ड्रेन (ड्रेनेज) का चैलेंज

 ब्रेनड्रेन (प्रतिभा पलायन) की चर्चा होती है लेकिन ड्रेन (ड्रेनेज) शहरों के लिए बड़ा चैलेंज बन गया है। प्रतिभापलायन का बड़ा कारण है जी का जंजाल बनते देश के शहर। वर्ष 2024 में बैंगलुरू डे •ाीरो तक पहुंच गया था और करोड़ों का पैकेज कमाने वाले पानी के लिए तरस गए थे। दिल्ली की कुछ नहीं कहें तो ही ठीक है। गुरुग्राम की...100 करोड़ के फ्लेट की पानी से लबालब तस्वीरें देखी होंगी। वो गाना सुना है ना...अभी तो पार्टी शुरू हुई है...दुबई की गोल्डन वीजा स्कीम ने प्रोफेशनल्स में ऐसा ही असर दिखाया था। वल्र्ड बैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक भारत को अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर पर 2.4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रु.) इंवेस्ट करने पड़ेंगे। ...टुवर्ड्स रेजिलिएंट एंड प्रॉस्पेरस सिटीज इन इंडिया...रिपोर्ट कहती है 60 साल में देश अर्बन आबादी 6 गुुना होकर 2020 में 48 करोड़ (2024 में 52.2 करोड़) तक पहुंच चुकी है। जो 2050 में 95.1 करोड़ और 2070 में 110 करोड़ हो जाएगी। इस आबादी को शहरों में रहने के लिए 2070 तक 14.4 करोड़ घर चाहिए होंगे जो आज मौजूद कुल अर्बन घरों से दोगुने हैं। वर्ष 2030 तक देश में जेनरेट हुए कुल जॉब्स में से 70 परसेंट शहरों में होंगे। जब जॉब्स शहरों में होंगे तो प्रतिभा पलायन भी गांव से शहरों की ओर होगा। ऐसे में शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने पर 2050 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 20 लाख करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट करने की जरूरत होगी। भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन डवलपमेंट से सहयोग से वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि देर-दार हुई तो एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स (बाढ़, तूफान, लू) आदि के कारण देश को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। देश के शहरों में हीट आइलैंड इफेक्ट...के कारण तापमान आस-पास के इलाकों की तुलना में 3-4 डिग्री ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है। शहरीकरण के कारण ग्रीन बेल्ट घट रही है और ड्रेनेज सिस्टम कम पडऩे से शहरों के बाढ़ में डूबने का खतरा है। आपको याद होगा 2015 में फ्लैश फ्लड के कारण चेन्नई के कई इलाके 20 फीट डूब गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि देश के शहरों को रेन फ्लडिंग से बचाए जाने पर काम हो ते 2030 तक 5 बिलियन डॉलर और 2070 तक 30 बिलियन डॉलर सालाना बचाए जा सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2050 तक जरूरी अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर अभी केवल 50 परसेंट ही तैयार हो पाया है ऐसे में सरकार के पास प्लान को रिव्यू करने का मौका है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news