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22-07-2025

UPI के फेर में 60 हजार स्मॉल वेंडर GST की चपेट में

  •  कर्नाटक से उठी लहर अब तूफान बनने के संकेत दे रही है। कर्नाटक के कमर्शियल टेक्स डिपार्टमेंट ने 13 हजार स्मॉल वेंडर (नॉन-जीएसटी रजिस्टर्ड) को जीएसटी नोटिस दिए थे। रिपोर्ट कहती हैं कि विभाग ने कई साल के डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन और जीएसटी रजिस्ट्रेशन के डेटा का मिलान करने के बाद यह कार्यवाही की थी। जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है और छोटे कारोबारी यूपीआई का बायकॉट कर रहे हैं। दूसरी ओर खबर है कि देश के 6-7 राज्यों के जीएसटी विभागों ने करीब 60 हजार स्मॉल वेंडर (नॉन-जीएसटी रजिस्टर्ड) को नोटिस भेजे हैं। नोटिस ऐसे छोटे कारोबारियों को भेजे गए हैं जिनके यूपीआई ट्रांजेक्शन जीएसटी लिमिट से ज्यादा के हैं। सर्विस के लिए नो-जीएसटी लिमिट 20 लाख रुपये टर्नओवर की है जबकि प्रॉडक्ट के लिए 40 लाख रुपये। राज्यों के विभागों का मानना है कि टर्नओवर लिमिट पार होने के बावजूद ये टैक्स सिस्टम से बाहर चल रहे हैं। कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इन कारोबारियों को लाखों रुपये के जीएसटी नोटिस दिए गए हैं। जांच का फोकस बीडब्ल्यूसी (ब्रांड विद कंज्यूमर यानी कस्टमर और दुकानदार के डायरेक्ट कॉन्टेक्ट वाला सैगमेंट) सेगमेंट के कारोबारों जैसे आइसक्रीम पार्लर, सैलून, स्मॉल फूड आउटलेट्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स विक्रेता और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां आदि पर है। ये कारोबारी अक्सर सेमी-फॉर्मल तरीके से काम करते हैं, लेकिन इनका टर्नओवर जीएसटी रजिस्ट्रेशन की लिमिट से ज्यादा पाई गई। जांच में गूगलपे, पेटीएम, फोनपे और भीम जैसे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बड़े लेनदेन का पता चला, जिसमें कई कारोबारों का सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा था।  अधिकारियों ने डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड, इनकम टैक्स फाइलिंग और बाकी फाइनेंशियल रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया तो वास्तविक आय और घोषित आय में अंतर से ऐसे हजारों मामलों का पता चला। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीआई से एक करोड़ से ज्यादा का पेमेंट लेने वाला स्मॉल वेंडर अगर जीएसटी रजिस्ट्रेशन नहीं कराता या निल रिटर्न फाइल करता है, तो ये साफ तौर पर जांच का मामला है। सब्जी वाले को 29 लाख का जीएसटी नोटिस : एक रोचक मामले में कर्नाटक के जीएसटी विभाग से एक छोटी सब्जी की दुकान चलाने वाले को 29 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस दिय है। जीएसटी के दायरे में ताजा सब्जियां नहीं आती है। यदि सब्जी विक्रेत सीधे किसानों से खरीदकर उसे ताजा ही बिना कोई प्रॉसेसिंग किए बेचते हैं तो वे जीएसटी के दायरे में नहीं आती है। यह मामला है कर्नाटक के हावेरी का। यहां के म्युनिसिपल हाई स्कूल ग्राउंड्स के नजदीक शंकरगौड़ा करीब चार वर्ष से एक छोटी सब्जी की दुकान चला रहे हैं और उन्हें ज्यादातर पेमेंट यूपीआई से होता है। विभाग ने चार वर्ष में 1.63 करोड़ के लेन-देन का नोटिस भेजते हुए उन्हें 29 लाख रुपये जीएसटी का नोटिस दिया है।

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UPI के फेर में 60 हजार स्मॉल वेंडर GST की चपेट में

 कर्नाटक से उठी लहर अब तूफान बनने के संकेत दे रही है। कर्नाटक के कमर्शियल टेक्स डिपार्टमेंट ने 13 हजार स्मॉल वेंडर (नॉन-जीएसटी रजिस्टर्ड) को जीएसटी नोटिस दिए थे। रिपोर्ट कहती हैं कि विभाग ने कई साल के डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन और जीएसटी रजिस्ट्रेशन के डेटा का मिलान करने के बाद यह कार्यवाही की थी। जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है और छोटे कारोबारी यूपीआई का बायकॉट कर रहे हैं। दूसरी ओर खबर है कि देश के 6-7 राज्यों के जीएसटी विभागों ने करीब 60 हजार स्मॉल वेंडर (नॉन-जीएसटी रजिस्टर्ड) को नोटिस भेजे हैं। नोटिस ऐसे छोटे कारोबारियों को भेजे गए हैं जिनके यूपीआई ट्रांजेक्शन जीएसटी लिमिट से ज्यादा के हैं। सर्विस के लिए नो-जीएसटी लिमिट 20 लाख रुपये टर्नओवर की है जबकि प्रॉडक्ट के लिए 40 लाख रुपये। राज्यों के विभागों का मानना है कि टर्नओवर लिमिट पार होने के बावजूद ये टैक्स सिस्टम से बाहर चल रहे हैं। कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इन कारोबारियों को लाखों रुपये के जीएसटी नोटिस दिए गए हैं। जांच का फोकस बीडब्ल्यूसी (ब्रांड विद कंज्यूमर यानी कस्टमर और दुकानदार के डायरेक्ट कॉन्टेक्ट वाला सैगमेंट) सेगमेंट के कारोबारों जैसे आइसक्रीम पार्लर, सैलून, स्मॉल फूड आउटलेट्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स विक्रेता और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां आदि पर है। ये कारोबारी अक्सर सेमी-फॉर्मल तरीके से काम करते हैं, लेकिन इनका टर्नओवर जीएसटी रजिस्ट्रेशन की लिमिट से ज्यादा पाई गई। जांच में गूगलपे, पेटीएम, फोनपे और भीम जैसे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बड़े लेनदेन का पता चला, जिसमें कई कारोबारों का सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा था।  अधिकारियों ने डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड, इनकम टैक्स फाइलिंग और बाकी फाइनेंशियल रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया तो वास्तविक आय और घोषित आय में अंतर से ऐसे हजारों मामलों का पता चला। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीआई से एक करोड़ से ज्यादा का पेमेंट लेने वाला स्मॉल वेंडर अगर जीएसटी रजिस्ट्रेशन नहीं कराता या निल रिटर्न फाइल करता है, तो ये साफ तौर पर जांच का मामला है। सब्जी वाले को 29 लाख का जीएसटी नोटिस : एक रोचक मामले में कर्नाटक के जीएसटी विभाग से एक छोटी सब्जी की दुकान चलाने वाले को 29 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस दिय है। जीएसटी के दायरे में ताजा सब्जियां नहीं आती है। यदि सब्जी विक्रेत सीधे किसानों से खरीदकर उसे ताजा ही बिना कोई प्रॉसेसिंग किए बेचते हैं तो वे जीएसटी के दायरे में नहीं आती है। यह मामला है कर्नाटक के हावेरी का। यहां के म्युनिसिपल हाई स्कूल ग्राउंड्स के नजदीक शंकरगौड़ा करीब चार वर्ष से एक छोटी सब्जी की दुकान चला रहे हैं और उन्हें ज्यादातर पेमेंट यूपीआई से होता है। विभाग ने चार वर्ष में 1.63 करोड़ के लेन-देन का नोटिस भेजते हुए उन्हें 29 लाख रुपये जीएसटी का नोटिस दिया है।


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