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22-07-2025

‘सारी हदें पार कर रहा है ED’

  •  सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दौरान कानूनी सलाह देने या मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तलब करने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ईडी ‘‘सारी हदें पार कर रहा है’’। न्यायालय ने इस संबंध में दिशानिर्देश बनाने की जरूरत भी रेखांकित की। न्यायालय की टिप्पणी ईडी द्वारा वरिष्ठ वकील अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को तलब किये जाने के बाद आयी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर यह गलत भी है तब भी एक वकील और मुवक्किलों के बीच का संवाद विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है और उनके खिलाफ नोटिस कैसे जारी किए जा सकते हैं? इस संबंध में दिशानिर्देश बनाए जाने चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वे (ईडी) सारी हदें पार कर रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत को यह बताया गया था कि वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार जैसे विधिक पेशेवरों को हाल में ईडी द्वारा नोटिस जारी किया गया और इससे कानून के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए।’’अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को शीर्ष स्तर पर उठाया गया है और जांच एजेंसी को वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए नोटिस जारी नहीं करने के लिए कहा गया है। वेंकटरमणी ने इससे पहले सुनवाई के आरंभ में कहा कि उन्होंने ईडी अधिकारियों से बात की है और वकीलों को समन भेजना गलत है। मेहता ने वेंटरमणी से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए तलब नहीं किया जा सकता।’’ हालांकि, मेहता ने कहा कि झूठे विमर्श गढक़र संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। वकीलों ने जोर देकर कहा कि वकीलों को खासकर कानूनी राय देने के लिए तलब करना एक खतरनाक नजीर तय कर रहा है। एक वकील ने कहा, ‘‘अगर यह जारी रहा तो यह वकीलों को ईमानदार और स्वतंत्र सलाह देने से रोकेगा।’’ जिला अदालतों के वकीलों को भी बेवजह परेशान किया जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कहा कि अदालत भी ऐसी रिपोर्ट से हैरान है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने मीडिया की खबरों के आधार पर राय बनाने के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक सामान्य टिप्पणियों का सवाल है, कभी-कभी उन्हें गलत समझा जाता है, जो अलग-अलग मामलों पर निर्भर करता है। यह मैं कह रहा हूं प्रवर्तन निदेशालय नहीं, बल्कि संस्था के खिलाफ एक विमर्श गढऩे की एक सुनियोजित कोशिश है। ‘माई लॉर्ड’ कुछ मामलों में सीमा का उल्लंघन पाया जा सकता है...।’’ मामला अब 29 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘आखिरकार, हम सभी वकील हैं।’’ अदालत में दलीलों को प्रतिकूल नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। ईडी ने 20 जून को कहा कि उसने अपने जांच अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी वकील को उनके मुवक्किलों के खिलाफ जारी धन शोधन जांच के सिलसिले में समन जारी नहीं करें। ईडी ने कहा कि अपवाद के रूप में केवल एजेंसी के निदेशक के ‘‘अनुमोदन’’ पर ही ऐसा किया जा सकता है।

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‘सारी हदें पार कर रहा है ED’

 सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दौरान कानूनी सलाह देने या मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तलब करने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ईडी ‘‘सारी हदें पार कर रहा है’’। न्यायालय ने इस संबंध में दिशानिर्देश बनाने की जरूरत भी रेखांकित की। न्यायालय की टिप्पणी ईडी द्वारा वरिष्ठ वकील अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को तलब किये जाने के बाद आयी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर यह गलत भी है तब भी एक वकील और मुवक्किलों के बीच का संवाद विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है और उनके खिलाफ नोटिस कैसे जारी किए जा सकते हैं? इस संबंध में दिशानिर्देश बनाए जाने चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वे (ईडी) सारी हदें पार कर रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत को यह बताया गया था कि वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार जैसे विधिक पेशेवरों को हाल में ईडी द्वारा नोटिस जारी किया गया और इससे कानून के पेशे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए।’’अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को शीर्ष स्तर पर उठाया गया है और जांच एजेंसी को वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए नोटिस जारी नहीं करने के लिए कहा गया है। वेंकटरमणी ने इससे पहले सुनवाई के आरंभ में कहा कि उन्होंने ईडी अधिकारियों से बात की है और वकीलों को समन भेजना गलत है। मेहता ने वेंटरमणी से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए तलब नहीं किया जा सकता।’’ हालांकि, मेहता ने कहा कि झूठे विमर्श गढक़र संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। वकीलों ने जोर देकर कहा कि वकीलों को खासकर कानूनी राय देने के लिए तलब करना एक खतरनाक नजीर तय कर रहा है। एक वकील ने कहा, ‘‘अगर यह जारी रहा तो यह वकीलों को ईमानदार और स्वतंत्र सलाह देने से रोकेगा।’’ जिला अदालतों के वकीलों को भी बेवजह परेशान किया जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कहा कि अदालत भी ऐसी रिपोर्ट से हैरान है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने मीडिया की खबरों के आधार पर राय बनाने के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक सामान्य टिप्पणियों का सवाल है, कभी-कभी उन्हें गलत समझा जाता है, जो अलग-अलग मामलों पर निर्भर करता है। यह मैं कह रहा हूं प्रवर्तन निदेशालय नहीं, बल्कि संस्था के खिलाफ एक विमर्श गढऩे की एक सुनियोजित कोशिश है। ‘माई लॉर्ड’ कुछ मामलों में सीमा का उल्लंघन पाया जा सकता है...।’’ मामला अब 29 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘आखिरकार, हम सभी वकील हैं।’’ अदालत में दलीलों को प्रतिकूल नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। ईडी ने 20 जून को कहा कि उसने अपने जांच अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी वकील को उनके मुवक्किलों के खिलाफ जारी धन शोधन जांच के सिलसिले में समन जारी नहीं करें। ईडी ने कहा कि अपवाद के रूप में केवल एजेंसी के निदेशक के ‘‘अनुमोदन’’ पर ही ऐसा किया जा सकता है।


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