रंगून में आई हुई फसल इस बार 22-23 प्रतिशत अधिक है। दूसरी ओर घरेलू उत्पादन भी बढऩे की संभावना है, क्योंकि मौसम अनुकूल होने से बिजाई चौतरफा अधिक हो रही है, इन परिस्थितियों को देखते हुए उड़द में आगे भी ज्यादा बढऩे की गुंजाइश नहीं है। उड़द की बिजाई मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में जोरों पर चल रही है तथा किसानों को उड़द के ऊंचे भाव मिलने से बिजाई का मनोबल चौतरफा बढ़ा हुआ है। इस बार रंगून में भी उत्पादन अधिक होने से लगातार हाजिर लोडिंग चल रही है, चेन्नई वाले भी आए हुए माल में रिस्क नहीं उठा रहे हैं, कोलकाता में पिछले दिनों उतरे हुए एफ ए क्यू माल दबा हुआ है, इन परिस्थितियों में अभी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए। उड़द नीचे में पिछले सप्ताह के यहां 7700 एसक्यू क्वालिटी की बिक गई थी, जो 2 दिन 100 रुपए ग्राहकी निकलते ही बढक़र 7800 हो गई है। इन भाव में शाम को पकड़ ढीली पडऩे से 20-25 रुपए बाजार नरम बोलने लगे। उड़द एफ ए क्यू के भी 7100 रुपए बिकने के बाद 7075 रुपए प्रति कुंतल रह गया है। हालांकि चेन्नई से 100 रुपए प्रति कुंतल यहां व्यापार नीचे भाव में हो रहा है, लेकिन मांग कमजोर होने तथा कोलकाता से मंदे भाव में बिकवाली को देखते हुए उड़द में ज्यादा तेजी रिस्की लग रही है। उड़द का उत्पादन इस बार 40 लाख मीट्रिक टन से बढक़र 52-53 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान आ रहा है, क्योंकि एमपी की गर्मी वाली फसल भी 25-26 प्रतिशत अधिक आई थी, लातूर उदगीर के साथ-साथ शिवपुरी कटनी जबलपुर लाइन में भी बिजाई अधिक हो रही है। इधर रंगून वाले लगातार घटाकर माल के बेचू आ रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों लंबी तेजी का कोई लॉजिक नहीं बनता है। अभी गर्मी वाली देसी उड़द स्टॉक में पड़ी हुई है तथा रंगूनी माल भी चेन्नई कोलकाता दिल्ली लगातार उतर रहा है तथा ढाई महीने बाद दूसरी फसल आ जाएगी। अत: वर्तमान भाव पर माल बेचकर चलना चाहिए। हम मानते हैं कि यूपी के माल स्टाक में कोई नहीं बचा है, मध्य प्रदेश के पुराने नए माल भी अब धीरे-धीरे काफी खप चुके हैं तथा आयातक माल मंगाने में ज्यादा इंटरेस्टेड नहीं है, इन सब के बावजूद भी रंगून से मंदे भाव में शिपमेंट को देखकर बाजार भविष्य में तेज नहीं लगता है। दाल छिलका एवं धोया की बिक्री यहां कमजोर है, पूर्वी भारत की बिल्कुल मांग नहीं है, क्योंकि ग्वालियर जबलपुर कटनी लाइन से सस्ते भाव में उड़द दाल एवं धोया की लोडिंग चल रही है। इस वजह से दाल उड़द का व्यापार केवल हरियाणा पंजाब एवं हिमाचल तक ही सिमट कर रह गया है।