TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

03-07-2025

गेहूं : और नहीं घटेगा

  •  गेहूं का उत्पादन बंपर होने तथा सरकार की अच्छी सूझबूझ से केंद्रीय पूल में खरीद पिछली कई वर्षों की तुलना में अधिक हुई है। दूसरी तरफ प्राइवेट सेक्टर के कारोबारी भी गत 2 वर्षों से भारी तेजी को देखकर पहले ही ऊंचे भाव में स्टॉक कर लिए हैं, इन परिस्थितियों को देखते हुए गत वर्ष की तेजी जैसी व्यापार नहीं करना चाहिए, किंतु यहां से मंदा भी रुक गया। गत वर्ष गेहूं के भाव दिल्ली में 3400 रुपए प्रति कुंतल पर मिल क्वालिटी के पहुंच गए थे, इसे देखकर इस बार इसकी बिजाई 322 लाख हेक्टेयर से बढक़र 327 लाख हेक्टेयर के करीब हुई थी तथा मार्च-अप्रैल के तापमान कम होने से दाने पुष्ट होने के लिए अधिक समय मिल गया था। यही कारण है कि इस बार 1154 लाख मैट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो गत वर्ष यह उत्पादन अनुमान 1100 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था। सरकार द्वारा एक अप्रैल से ही धर्म कांटे लगा दिए गए थे तथा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में 150/175 रुपए प्रति क्विंटल तक बोनस देकर 2575/2600 रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं की खरीद की गई। गौरतलब है कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया था, इस वजह से एक तरफ प्राइवेट सेक्टर में भी प्रतिस्पर्धात्मक खरीद की गई। दूसरी ओर सरकार द्वारा मध्य प्रदेश राजस्थान हरियाणा पंजाब में युद्ध स्तर पर खरीद किया गया। यूपी में खरीद कुछ कम जरूर रही, लेकिन औसतन खरीद 306 लाख में मीट्रिक टन के करीब होने का अभी तक अनुमान आ रहा है, लेकिन सरकारी आंकड़े अधिकृत स्रोत से नहीं मिल पाए हैं। यह भी बताते चलें कि वर्ष 2021-22 में गेहूं की खरीद 433 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 187.5 लाख मैट्रिक टन, वर्ष 2023-24 में 162.5 लाख मैट्रिक टन एवं वर्ष 2024-25 में 266 लाख मीट्रिक टन के करीब खरीद हुई। इस बार सरकार की तत्परता एवं अच्छी सूझबूझ के चलते को उपलब्धि अधिक हुई है। दूसरी ओर गेहूं के निर्यात हेतु अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं नई फसल का दबाव अब तक चारों तरफ बना हुआ था। आज तक सरकार द्वारा केंद्रीय पूल हेतु खरीद की गई है, जो कल से खरीद बंद हो जाएगी। तत्पश्चात मंडियों में एक बार आवक बढ़ेगा, इसलिए अगले 10/15 दिन तक लंबी तेजी तो नहीं आएगी, लेकिन यहां से मंदे को पूरी तरह विराम लग रहा है। आगे 15 जुलाई के बाद से तेजी मंदी सरकार के बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अभी किसानों के पास स्टॉक प्रचुर मात्रा में हो चुका है तथा कच्ची मंडियों में भी स्टॉक गले तक भरा पड़ा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के गेहूं में लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन यहां अब मंदा रुक सकता है। लॉरेंस रोड पर मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 2725/2730 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो पिछले सप्ताह 2745 रुपए तक बिके थे, नीचे में दिल्ली गेहूं 2610/2620 रुपए प्रति कुंतल एक महीने पहले बन गया था वह भाव भी नीचे में बन गया था, लेकिन बाजार पूरे वर्ष 3000 रुपए को पार नहीं कर पाएगा।

Share
गेहूं : और नहीं घटेगा

 गेहूं का उत्पादन बंपर होने तथा सरकार की अच्छी सूझबूझ से केंद्रीय पूल में खरीद पिछली कई वर्षों की तुलना में अधिक हुई है। दूसरी तरफ प्राइवेट सेक्टर के कारोबारी भी गत 2 वर्षों से भारी तेजी को देखकर पहले ही ऊंचे भाव में स्टॉक कर लिए हैं, इन परिस्थितियों को देखते हुए गत वर्ष की तेजी जैसी व्यापार नहीं करना चाहिए, किंतु यहां से मंदा भी रुक गया। गत वर्ष गेहूं के भाव दिल्ली में 3400 रुपए प्रति कुंतल पर मिल क्वालिटी के पहुंच गए थे, इसे देखकर इस बार इसकी बिजाई 322 लाख हेक्टेयर से बढक़र 327 लाख हेक्टेयर के करीब हुई थी तथा मार्च-अप्रैल के तापमान कम होने से दाने पुष्ट होने के लिए अधिक समय मिल गया था। यही कारण है कि इस बार 1154 लाख मैट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो गत वर्ष यह उत्पादन अनुमान 1100 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था। सरकार द्वारा एक अप्रैल से ही धर्म कांटे लगा दिए गए थे तथा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में 150/175 रुपए प्रति क्विंटल तक बोनस देकर 2575/2600 रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं की खरीद की गई। गौरतलब है कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया था, इस वजह से एक तरफ प्राइवेट सेक्टर में भी प्रतिस्पर्धात्मक खरीद की गई। दूसरी ओर सरकार द्वारा मध्य प्रदेश राजस्थान हरियाणा पंजाब में युद्ध स्तर पर खरीद किया गया। यूपी में खरीद कुछ कम जरूर रही, लेकिन औसतन खरीद 306 लाख में मीट्रिक टन के करीब होने का अभी तक अनुमान आ रहा है, लेकिन सरकारी आंकड़े अधिकृत स्रोत से नहीं मिल पाए हैं। यह भी बताते चलें कि वर्ष 2021-22 में गेहूं की खरीद 433 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 187.5 लाख मैट्रिक टन, वर्ष 2023-24 में 162.5 लाख मैट्रिक टन एवं वर्ष 2024-25 में 266 लाख मीट्रिक टन के करीब खरीद हुई। इस बार सरकार की तत्परता एवं अच्छी सूझबूझ के चलते को उपलब्धि अधिक हुई है। दूसरी ओर गेहूं के निर्यात हेतु अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं नई फसल का दबाव अब तक चारों तरफ बना हुआ था। आज तक सरकार द्वारा केंद्रीय पूल हेतु खरीद की गई है, जो कल से खरीद बंद हो जाएगी। तत्पश्चात मंडियों में एक बार आवक बढ़ेगा, इसलिए अगले 10/15 दिन तक लंबी तेजी तो नहीं आएगी, लेकिन यहां से मंदे को पूरी तरह विराम लग रहा है। आगे 15 जुलाई के बाद से तेजी मंदी सरकार के बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अभी किसानों के पास स्टॉक प्रचुर मात्रा में हो चुका है तथा कच्ची मंडियों में भी स्टॉक गले तक भरा पड़ा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के गेहूं में लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन यहां अब मंदा रुक सकता है। लॉरेंस रोड पर मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 2725/2730 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो पिछले सप्ताह 2745 रुपए तक बिके थे, नीचे में दिल्ली गेहूं 2610/2620 रुपए प्रति कुंतल एक महीने पहले बन गया था वह भाव भी नीचे में बन गया था, लेकिन बाजार पूरे वर्ष 3000 रुपए को पार नहीं कर पाएगा।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news