उड़द की नई फसल सहारनपुर गंगोह लाइन में आ चुकी है तथा इस बार पाइपलाइन में माल नहीं होने से बिजाई किसानों ने अधिक किया था तथा प्रति हैक्टेयर उत्पादकता भी बढिय़ा बैठ रही है, जिसके चलते छोटे दाने के रंगूनी माल कुछ दबे हुए हैं, लेकिन अब यहां से और घटने की गुंजाइश नहीं है। वर्तमान भाव की उड़द आगे चलकर भरपूर लाभ दे जाएगी। गौरतलब है कि सहारनपुर गंगोह लाइन में बजाई अधिक होने तथा एक साथ मंडियों में माल का दबाव बढ़ जाने से ऊपर के भाव से बाजार 400/450 रुपए लुढक़ गया है। वहां का माल यहां 8650/8700 रुपए प्रति कुंतल बिकने के बाद 8250/8300 रुपए आकर ठहर गए हैं। इस वजह से एफ ए क्यू, जो 8850 रुपए एक सप्ताह पहले बिका था, उसके भाव 8650 रुपए रह गए हैं उड़द एसक्यू 9650/9660 रुपए बिक रही है। देसी माल और दूसरे लाइन में बढिय़ा नहीं है तथा एमपी महाराष्ट्र के माल लगभग निपट चुके हैं। वहां के पड़ते नहीं लगने से उत्तर भारत की मंडियों में वह माल नहीं आ रहा है। अब वर्तमान भाव पर उड़द में ज्यादा मंदा नहीं लग रहा है तथा रंगून से भी हाजिर शिपमेंट के व्यापार मदे नहीं हो रहे हैं। दूसरी ओर घरेलू मंडियों में किसी भी पॉइंट पर उड़द का स्टॉक नहीं है। गत दिवाली पर उड़द की शार्टेज बनने तथा आयात पड़ता महंगा होने से भाव 10650 रुपए प्रति कुंटल चल रहे थे, उसके भाव 9670/9680 रुपए रह गया। यद्यपि उड़द के ऊंचे भाव होने से किसानों द्वारा इसकी बिजाई 15-16 प्रतिशत के करीब अधिक की गई थी, लेकिन सितंबर के अंतिम सप्ताह तक लगातार बरसात होने से तैयार फसल को मध्य प्रदेश राजस्थान एवं महाराष्ट्र में काफी नुकसान हुआ है। राजस्थान के कोटा विजयनगर निवाई टोंक जयपुर लाइन में काफी फसल दागी हो गई है। इसके अलावा महाराष्ट्र के सोलापुर उदगीर लातूर लाइन में भी फसल को नुकसान हुआ है। अब वहां मौसम एक माह से साफ हो गया है, जिस कारण दाल मिलें बिक्री के हिसाब से ही माल खरीद रहे हैं। फलत: माल की कमी के बावजूद भी बाजार ज्यादा नहीं चल पा रहे हैं। उड़द का घरेलू उत्पादन रबी व खरीफ को मिलाकर 44 लाख मीट्रिक टन के करीब लगाया गया था, वह घटकर 42 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान आ रहा है तथा बढिय़ा उड़द का तोड़ा चौतरफा दिखाई दे रहा है।