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23-04-2025

गड़बडिय़ों पर अंकुश लगाने में कामयाब रही डीबीटी स्कीम, सरकार को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत

  •  प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) से लोगों को एक तरफ जहां कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिला है वहीं गड़बडिय़ों पर लगाम लगा कर इससे कुल मिलाकर देश को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत में मदद मिली है। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से साझा की गई इस रिपोर्ट में बजटीय दक्षता, सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने और सामाजिक परिणामों पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के प्रभाव की जांच करने के लिए 2009 से 2024 तक के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत की डीबीटी प्रणाली ने कल्याणकारी वितरण में गड़बड़ी को रोककर देश को कुल मिलाकर 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हासिल करने में मदद की है। डीबीटी के कार्यान्वयन के बाद से सब्सिडी आवंटन कुल सरकारी व्यय के 16 प्रतिशत से घटकर नौ प्रतिशत हो गया है। यह सार्वजनिक व्यय की दक्षता में एक बड़ा सुधार है।’’ सब्सिडी आवंटन के आंकड़ों से पता चलता है कि डीबीटी कार्यान्वयन के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इसमें लाभार्थी का दायरा तो बढ़ा लेकिन इसके बावजूद राजकोषीय दक्षता में सुधार आया है। डीबीटी से पहले के दौर (2009-2013) में सब्सिडी कुल व्यय का औसतन 16 प्रतिशत थी। यह सालाना 2.1 लाख करोड़ रुपये थी और प्रणाली में काफी गड़बड़ी थी। डीबीटी के बाद के दौर (2014-2024) में सब्सिडी व्यय 2023-24 में कुल व्यय का नौ प्रतिशत पर आ गया, जबकि लाभार्थियों की संख्या 16 गुना बढ़ गयी है। रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य सब्सिडी (पीडीएस) के तहत 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। यह डीबीटी के तहत कुल बचत का 53 प्रतिशत है। इसका मुख्य कारण आधार से जुड़े राशन कार्ड का सत्यापन है। मनरेगा में, 98 प्रतिशत मजदूरी समय पर अंतरित की गई। इससे डीबीटी-संचालित जवाबदेही के माध्यम से 42,534 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसी प्रकार, पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत, डीबीटी के उपयोग से 2.1 करोड़ अपात्र लाभार्थियों को योजना से हटाकर 22,106 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली है। उर्वरक सब्सिडी के तहत, 158 लाख टन उर्वरक की बिक्री कम हुई। इससे लक्षित वितरण के माध्यम से 18,699.8 करोड़ रुपये की बचत हुई। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ये बचत बताती है कि डीबीटी गड़बडिय़ों और चोरी पर लगाम लगाने में कामयाब रही है। खाद्य सब्सिडी तथा मनरेगा जैसी योजनाओं के मामले में गड़बडिय़ों को रोकने में यह कामयाब रही है। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और प्रत्यक्ष अंतरण में प्रणाली की भूमिका दक्षता में सुधार और दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण रही है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि डीबीटी के साथ भारत का अनुभव आर्थिक और सामाजिक विकास दोनों को बढ़ावा देने में इसकी दक्षता के लिए एक आकर्षक मामला प्रस्तुत करता है। इसमें कहा गया, ‘‘इस सफलता की कहानी से मिले सबक कल्याणकारी योजनाओं को अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी बनाने के वैश्विक प्रयासों को सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।’’

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गड़बडिय़ों पर अंकुश लगाने में कामयाब रही डीबीटी स्कीम, सरकार को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत

 प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) से लोगों को एक तरफ जहां कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिला है वहीं गड़बडिय़ों पर लगाम लगा कर इससे कुल मिलाकर देश को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत में मदद मिली है। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से साझा की गई इस रिपोर्ट में बजटीय दक्षता, सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने और सामाजिक परिणामों पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के प्रभाव की जांच करने के लिए 2009 से 2024 तक के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत की डीबीटी प्रणाली ने कल्याणकारी वितरण में गड़बड़ी को रोककर देश को कुल मिलाकर 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हासिल करने में मदद की है। डीबीटी के कार्यान्वयन के बाद से सब्सिडी आवंटन कुल सरकारी व्यय के 16 प्रतिशत से घटकर नौ प्रतिशत हो गया है। यह सार्वजनिक व्यय की दक्षता में एक बड़ा सुधार है।’’ सब्सिडी आवंटन के आंकड़ों से पता चलता है कि डीबीटी कार्यान्वयन के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इसमें लाभार्थी का दायरा तो बढ़ा लेकिन इसके बावजूद राजकोषीय दक्षता में सुधार आया है। डीबीटी से पहले के दौर (2009-2013) में सब्सिडी कुल व्यय का औसतन 16 प्रतिशत थी। यह सालाना 2.1 लाख करोड़ रुपये थी और प्रणाली में काफी गड़बड़ी थी। डीबीटी के बाद के दौर (2014-2024) में सब्सिडी व्यय 2023-24 में कुल व्यय का नौ प्रतिशत पर आ गया, जबकि लाभार्थियों की संख्या 16 गुना बढ़ गयी है। रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य सब्सिडी (पीडीएस) के तहत 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। यह डीबीटी के तहत कुल बचत का 53 प्रतिशत है। इसका मुख्य कारण आधार से जुड़े राशन कार्ड का सत्यापन है। मनरेगा में, 98 प्रतिशत मजदूरी समय पर अंतरित की गई। इससे डीबीटी-संचालित जवाबदेही के माध्यम से 42,534 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसी प्रकार, पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत, डीबीटी के उपयोग से 2.1 करोड़ अपात्र लाभार्थियों को योजना से हटाकर 22,106 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली है। उर्वरक सब्सिडी के तहत, 158 लाख टन उर्वरक की बिक्री कम हुई। इससे लक्षित वितरण के माध्यम से 18,699.8 करोड़ रुपये की बचत हुई। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ये बचत बताती है कि डीबीटी गड़बडिय़ों और चोरी पर लगाम लगाने में कामयाब रही है। खाद्य सब्सिडी तथा मनरेगा जैसी योजनाओं के मामले में गड़बडिय़ों को रोकने में यह कामयाब रही है। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और प्रत्यक्ष अंतरण में प्रणाली की भूमिका दक्षता में सुधार और दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण रही है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि डीबीटी के साथ भारत का अनुभव आर्थिक और सामाजिक विकास दोनों को बढ़ावा देने में इसकी दक्षता के लिए एक आकर्षक मामला प्रस्तुत करता है। इसमें कहा गया, ‘‘इस सफलता की कहानी से मिले सबक कल्याणकारी योजनाओं को अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी बनाने के वैश्विक प्रयासों को सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।’’


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