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08-04-2025

भारत-अमरीका ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत में तेजी लाने की जरूरत

  •  भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा में तेजी लानी चाहिए क्योंकि इस समझौते से तरजीही बाजार पहुंच सुनिश्चित करने, निवेशकों की सुरक्षा में सुधार करने और दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार रुद्र कुमार पांडे ने सोमवार को कहा कि यह समझौता भारत के लिए रसायन, दूरसंचार व चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से मौजूद गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अमेरिकी शुल्क की घोषणा में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया। उन्होंने कहा कि मानकों व परीक्षण मानदंडों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते (एमआरए) इन संवेदनशील क्षेत्रों में नियामक बाधा को कम करने और बाजार पहुंच में सुधार करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम साबित हो सकते हैं। पांडे ने कहा कि भले ही नए अमेरिकी शुल्क भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर अल्पकालिक दबाव डाल सकते हैं, लेकिन व्यापक रणनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने दूसरों से अलग शुल्क जोखिम, नीतिगत प्रोत्साहनों, क्षेत्रीय क्षमताओं तथा कूटनीतिक जुड़ाव का लाभ उठाकर न केवल वर्तमान व्यापार को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि भविष्य में अमेरिका-केंद्रित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है। पांडे ने कहा, ‘‘ नीतिगत दृष्टिकोण से ये घटनाक्रम भारत के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि या सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करने या उसे तेजी से आगे बढ़ाने का सही समय पर सही अवसर प्रदान करते हैं। ’’

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भारत-अमरीका ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत में तेजी लाने की जरूरत

 भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा में तेजी लानी चाहिए क्योंकि इस समझौते से तरजीही बाजार पहुंच सुनिश्चित करने, निवेशकों की सुरक्षा में सुधार करने और दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार रुद्र कुमार पांडे ने सोमवार को कहा कि यह समझौता भारत के लिए रसायन, दूरसंचार व चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से मौजूद गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अमेरिकी शुल्क की घोषणा में स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया। उन्होंने कहा कि मानकों व परीक्षण मानदंडों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते (एमआरए) इन संवेदनशील क्षेत्रों में नियामक बाधा को कम करने और बाजार पहुंच में सुधार करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम साबित हो सकते हैं। पांडे ने कहा कि भले ही नए अमेरिकी शुल्क भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर अल्पकालिक दबाव डाल सकते हैं, लेकिन व्यापक रणनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने दूसरों से अलग शुल्क जोखिम, नीतिगत प्रोत्साहनों, क्षेत्रीय क्षमताओं तथा कूटनीतिक जुड़ाव का लाभ उठाकर न केवल वर्तमान व्यापार को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि भविष्य में अमेरिका-केंद्रित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है। पांडे ने कहा, ‘‘ नीतिगत दृष्टिकोण से ये घटनाक्रम भारत के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि या सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करने या उसे तेजी से आगे बढ़ाने का सही समय पर सही अवसर प्रदान करते हैं। ’’


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