TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-04-2025

भारत को अपनी प्राथमिकताओं के नजरिये से करना चाहिए अमेरिका की हर मांग का आकलन

  •  शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि व्यापार नीतियों में संशोधन के लिए अमेरिका के निरंतर दबाव के बीच भारत को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, वृद्धि लक्ष्यों और सांस्कृतिक मूल्यों के नजरिये से अमेरिका की प्रत्येक मांग का दृढ़तापूर्वक आकलन करना चाहिए। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) की राष्ट्रीय व्यापार अनुमान (एनटीई) रिपोर्ट-2025 पर टिप्पणी करते हुए जीटीआरआई ने कहा कि कृषि, डिजिटल अनुपालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में प्रस्तावित कई बदलाव भारत की अपने छोटे किसानों की रक्षा करने, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, गहरी जड़ें जमाए सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने और अपने डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने की क्षमता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं।  यूएसटीआर की रिपोर्ट में अमेरिका और भारत के बीच कई व्यापार व नियामकीय चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें शुल्क, गैर-शुल्क बाधाएं, बौद्धिक संपदा, सेवाएं, डिजिटल व्यापार और पारदर्शिता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘अधिकांश मुद्दे पहले की रिपोर्ट के ही दोहराए गए हैं। कुछ का समाधान हो चुका है और अब वे प्रासंगिक नहीं हैं।’ भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों पर उन्होंने कहा कि अमेरिका इसे ‘बहुत सख्त मानता है, लेकिन कल्पना करें कि एक ऐसी गाय के दूध से बना मक्खन खाना, जिसे दूसरी गाय का मांस और खून खिलाया हो। भारत शायद कभी इसकी अनुमति न दे।’ भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों में जानवरों को दूसरे जानवरों का मांस, खून और आंतरिक अंग न खिलाए जाने की शर्त, अमेरिकी डेयरी तक पहुंच को अवरुद्ध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के लिए भारत की डिजिटल व्यापार नीतियां विशेष रूप से विवादास्पद हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डेटा के स्थानीयकरण को अनिवार्य कर दिया है, जिसके तहत विदेशी भुगतान सेवा प्रदाताओं को भारतीयों के ब्योरे को घरेलू स्तर पर संग्रहीत करना होगा। श्रीवास्तव ने कहा, जहां अमेरिका इसे वैश्विक क्लाउड और भुगतान सेवाओं पर बोझ के रूप में देखता है, वहीं भारत इसे डेटा संप्रभुता और सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है। अमेरिका भारत पर डिजिटल क्षेत्र में सभी नियमों को खत्म करने के लिए दबाव डालता रहता है ताकि उसकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए डेटा का मुक्त प्रवाह हो सके।

Share
भारत को अपनी प्राथमिकताओं के नजरिये से करना चाहिए अमेरिका की हर मांग का आकलन

 शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि व्यापार नीतियों में संशोधन के लिए अमेरिका के निरंतर दबाव के बीच भारत को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, वृद्धि लक्ष्यों और सांस्कृतिक मूल्यों के नजरिये से अमेरिका की प्रत्येक मांग का दृढ़तापूर्वक आकलन करना चाहिए। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) की राष्ट्रीय व्यापार अनुमान (एनटीई) रिपोर्ट-2025 पर टिप्पणी करते हुए जीटीआरआई ने कहा कि कृषि, डिजिटल अनुपालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में प्रस्तावित कई बदलाव भारत की अपने छोटे किसानों की रक्षा करने, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने, गहरी जड़ें जमाए सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने और अपने डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने की क्षमता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं।  यूएसटीआर की रिपोर्ट में अमेरिका और भारत के बीच कई व्यापार व नियामकीय चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें शुल्क, गैर-शुल्क बाधाएं, बौद्धिक संपदा, सेवाएं, डिजिटल व्यापार और पारदर्शिता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘अधिकांश मुद्दे पहले की रिपोर्ट के ही दोहराए गए हैं। कुछ का समाधान हो चुका है और अब वे प्रासंगिक नहीं हैं।’ भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों पर उन्होंने कहा कि अमेरिका इसे ‘बहुत सख्त मानता है, लेकिन कल्पना करें कि एक ऐसी गाय के दूध से बना मक्खन खाना, जिसे दूसरी गाय का मांस और खून खिलाया हो। भारत शायद कभी इसकी अनुमति न दे।’ भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों में जानवरों को दूसरे जानवरों का मांस, खून और आंतरिक अंग न खिलाए जाने की शर्त, अमेरिकी डेयरी तक पहुंच को अवरुद्ध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के लिए भारत की डिजिटल व्यापार नीतियां विशेष रूप से विवादास्पद हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डेटा के स्थानीयकरण को अनिवार्य कर दिया है, जिसके तहत विदेशी भुगतान सेवा प्रदाताओं को भारतीयों के ब्योरे को घरेलू स्तर पर संग्रहीत करना होगा। श्रीवास्तव ने कहा, जहां अमेरिका इसे वैश्विक क्लाउड और भुगतान सेवाओं पर बोझ के रूप में देखता है, वहीं भारत इसे डेटा संप्रभुता और सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है। अमेरिका भारत पर डिजिटल क्षेत्र में सभी नियमों को खत्म करने के लिए दबाव डालता रहता है ताकि उसकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए डेटा का मुक्त प्रवाह हो सके।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news