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11-04-2025

कनाड़ा से आयात पर टैरिफ के बाद भारतीय रेपसीड डीओसी में चीन की भारी मांग निकली

  •  चीन ने हाल ही में भारत की रेपसीड डीओसी की उल्लेखनीय मात्रा में खरीद की है। औद्योगिक जानकारों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कनाड़ा से आयात पर चीन सरकार द्वारा 100 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने पिछले तीन सप्ताहों में ही 52 हजार टन भारत की रेपसीड डीओसी की खरीद की है। यह नवीनतम खरीद पूरे 2024 सीजन के दौरान की गई उसकी खरीद की तुलना में चार गुणा ऊंची है। भारत से रेपसीड डीओसी के निर्यात की मदद से विश्व में इसके सबसे बड़े उपभोक्ता, चीन, को कनाड़ा से इसके आयात का रुख बदलने में मदद मिलेगी। इधर, चीन की इस मांग से भारत के घरेलू बाजारों में रेपसीड डीओसी की कीमत पर मंदी के दबाव से निपटने में भी सहायता मिलेगी। भारत मुख्यत: पशुआहार में खपने वाली इस डीओसी के भारी स्टॉक पर बैठा हुआ है। एक अग्रणी रेपसीड निर्यातक ने कहा कि कनाड़ा की डीओसी पर टैरिफ की वजह से बीते कुछ सप्ताहों से चीन के खरीददारों ने भारत की रेपसीड डीओसी की खरीद में रूचि दिखानी शुरू कर दी है। गौरतलब हे कि गत 20 मार्च से चीन ने कनाड़ा से आयात होने वाली रेपसीड डीओसी तथा तेल के आयात पर 100 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगा दिया था। अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि चीन ने हाजिर शिपमेंट के लिए भारत की रेपसीड डीओसी की लागत तथा ढुलाई (सी एंड एफ) आधार पर 220-235 डॉलर प्रति टन कीमत पर खरीद की है।  भारत विश्व में रेपसीड डीओसी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन कीमत तुलनात्मक रूप से ऊंची होने के कारण हम चीन को रेपसीड डीओसी का उल्लेखनीय मात्रा में निर्यात करने के लिए जूझ रहे थे। कस्टम विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में चीन ने कनाड़ा से 20.20 लाख टन, संयुक्त अरब अमीरात से 5.04 लाख टन तथा रूस से 1.35 लाख टन रेपसीड डीओसी का आयात किया था। इस दौरान चीन ने भारत से केवल 13,100 टन रेसपीड डीओसी का आयात किया था। भारत आमतौर पर 20 लाख टन से भी अधिक रेपसीड डीओसी का निर्यात करता है लेकिन इस निर्यात में चीन की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से कम है। एक सूत्र ने बताया कि फिलहाल चीन की भारी मांग बनी हुई है। यदि आने वाले कुछ महीनों तक चीन की खरीद की गति ऐसी ही बनी रहती है तो वह भारत की रेपसीड डीओसी का एक अग्रणी खरीददार बनकर उभर सकता है। दक्षिण कोरिया, बंगलादेश, थाईलैंड तथा वियतनाम आमतौर पर भारत की रेपसीड डीाअेसी के प्रमुख आयातक देश हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्ट्र्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता का कहना है कि इस वर्ष भारत अपने रेपसीड डीओसी निर्यात को करीब 20 लाख टन के वर्तमान स्तर की तुलना में बढ़ाकर 25 लाख टन कर सकता है क्योंकि भारत में जहां इसका प्रचुर स्टॉक मौजूद है वहीं अंतर्राष्टï्रीय बाजार में इसकी कमी बनी हुई है। इतना ही नहीं, देश में रेपसीड डीओसी के स्टॉक में और वृद्धि होने की भी उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि नए सीजन की आपूर्ति भी बढऩे लगी है। एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार घरेलू मांग कमजोर बनी होने के कारण रेपसीड डीओसी की घरेलू कीमत फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) आधार पर मंदी होती हुई 200 डॉलर प्रति टन के आसपास रह गई है। बीते फरवरी महीने में इसकी कीमत 248 डॉलर तथा एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में 278 डॉलर प्रति टन थी।

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कनाड़ा से आयात पर टैरिफ के बाद भारतीय रेपसीड डीओसी में चीन की भारी मांग निकली

 चीन ने हाल ही में भारत की रेपसीड डीओसी की उल्लेखनीय मात्रा में खरीद की है। औद्योगिक जानकारों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कनाड़ा से आयात पर चीन सरकार द्वारा 100 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने पिछले तीन सप्ताहों में ही 52 हजार टन भारत की रेपसीड डीओसी की खरीद की है। यह नवीनतम खरीद पूरे 2024 सीजन के दौरान की गई उसकी खरीद की तुलना में चार गुणा ऊंची है। भारत से रेपसीड डीओसी के निर्यात की मदद से विश्व में इसके सबसे बड़े उपभोक्ता, चीन, को कनाड़ा से इसके आयात का रुख बदलने में मदद मिलेगी। इधर, चीन की इस मांग से भारत के घरेलू बाजारों में रेपसीड डीओसी की कीमत पर मंदी के दबाव से निपटने में भी सहायता मिलेगी। भारत मुख्यत: पशुआहार में खपने वाली इस डीओसी के भारी स्टॉक पर बैठा हुआ है। एक अग्रणी रेपसीड निर्यातक ने कहा कि कनाड़ा की डीओसी पर टैरिफ की वजह से बीते कुछ सप्ताहों से चीन के खरीददारों ने भारत की रेपसीड डीओसी की खरीद में रूचि दिखानी शुरू कर दी है। गौरतलब हे कि गत 20 मार्च से चीन ने कनाड़ा से आयात होने वाली रेपसीड डीओसी तथा तेल के आयात पर 100 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगा दिया था। अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि चीन ने हाजिर शिपमेंट के लिए भारत की रेपसीड डीओसी की लागत तथा ढुलाई (सी एंड एफ) आधार पर 220-235 डॉलर प्रति टन कीमत पर खरीद की है।  भारत विश्व में रेपसीड डीओसी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन कीमत तुलनात्मक रूप से ऊंची होने के कारण हम चीन को रेपसीड डीओसी का उल्लेखनीय मात्रा में निर्यात करने के लिए जूझ रहे थे। कस्टम विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में चीन ने कनाड़ा से 20.20 लाख टन, संयुक्त अरब अमीरात से 5.04 लाख टन तथा रूस से 1.35 लाख टन रेपसीड डीओसी का आयात किया था। इस दौरान चीन ने भारत से केवल 13,100 टन रेसपीड डीओसी का आयात किया था। भारत आमतौर पर 20 लाख टन से भी अधिक रेपसीड डीओसी का निर्यात करता है लेकिन इस निर्यात में चीन की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से कम है। एक सूत्र ने बताया कि फिलहाल चीन की भारी मांग बनी हुई है। यदि आने वाले कुछ महीनों तक चीन की खरीद की गति ऐसी ही बनी रहती है तो वह भारत की रेपसीड डीओसी का एक अग्रणी खरीददार बनकर उभर सकता है। दक्षिण कोरिया, बंगलादेश, थाईलैंड तथा वियतनाम आमतौर पर भारत की रेपसीड डीाअेसी के प्रमुख आयातक देश हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्ट्र्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता का कहना है कि इस वर्ष भारत अपने रेपसीड डीओसी निर्यात को करीब 20 लाख टन के वर्तमान स्तर की तुलना में बढ़ाकर 25 लाख टन कर सकता है क्योंकि भारत में जहां इसका प्रचुर स्टॉक मौजूद है वहीं अंतर्राष्टï्रीय बाजार में इसकी कमी बनी हुई है। इतना ही नहीं, देश में रेपसीड डीओसी के स्टॉक में और वृद्धि होने की भी उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि नए सीजन की आपूर्ति भी बढऩे लगी है। एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार घरेलू मांग कमजोर बनी होने के कारण रेपसीड डीओसी की घरेलू कीमत फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) आधार पर मंदी होती हुई 200 डॉलर प्रति टन के आसपास रह गई है। बीते फरवरी महीने में इसकी कीमत 248 डॉलर तथा एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में 278 डॉलर प्रति टन थी।


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