आज की बदलती जीवनशैली में लोग स्वाद भी चाहते हैं और सेहत भी। बाजार में हजारों हैल्दी विकल्प मौजूद हैं, लेकिन कुछ पारंपरिक खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जो न केवल हमारी रसोई से जुड़े हुए हैं, बल्कि पोषण के मामले में भी लाजवाब हैं और किसी सुपरफूड से कम नहीं हैं। छोले या काबुली चने इनमें से एक हैं,। जिन्हें हम बरसों से खाते आ रहे हैं। अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, छोले में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और डाइटरी फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करता है और शरीर को लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखता है। फाइबर पेट को अधिक समय तक भरा रखने में मदद करता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती और वजन नियंत्रण में रहता है। छोले में पाया जाने वाला पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन-बी6 हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। साथ ही पाचन संबंधी दिक्कतों में भी राहत मिलती है। छोले में मौजूद प्राकृतिक फाइबर और प्रीबायोटिक्स आंतों को बेहतर बनाते हैं। वहीं छोले में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर को तेजी से नहीं बढऩे देता। डायबिटीज से पीडि़त लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद है। इसमें प्रोटीन और फाइबर का बेहतर तालमेल ब्लड शुगर को स्थिर बनाए रखने में सहायक होता है। छोले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। यह न केवल उम्र बढऩे की प्रक्रिया को धीमा करते हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही, इसमें पाया जाने वाला विटामिन-सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और त्वचा को भी हैल्दी बनाए रखता है।