नीति आयोग की एक रिपोर्ट में तुर्किये को उन देशों में से एक बताया गया है जहां से भारत अपने मझोले उद्यमों में स्किल गैप को दूर करने के लिए ग्लोबल बेस्ट प्रेक्टिस को अपना सकता है। सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग की ‘मझोले उद्यमों के लिए नीति बनाना’ शीर्षक रिपोर्ट में मझोले उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए कनाडा, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के अलावा तुर्किये में संचालित कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि तुर्किये का ‘कोसजेब’ संगठन उद्यमिता पर दूरस्थ प्रशिक्षण प्रदान करता है, ई-अकादमी कार्यक्रम के जरिये समय और स्थान की बाधाओं के बिना एक प्रभावी, आसान और लचीला उद्यमिता प्रशिक्षण देता है और महिलाओं, युवाओं एवं दिव्यांग उद्यमियों के लिए तरजीही उपचार का भी प्रावधान करता है।’’ रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम सब्सिडी दर पर और हाशिये पर मौजूद समूहों के लिए नि:शुल्क मुहैया कराए जा सकते हैं (जैसा कि तुर्किये की ई-अकादमी में प्रदान किया गया है)। पहलगाम हमले के बाद आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने वाले तुर्किये को भारत में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान तुर्किये से संबंधित कारोबारी बहिष्कार के अलावा उसकी कंपनियों के खिलाफ कदम भी उठाए गए हैं। हालांकि, नीति आयोग की रिपोर्ट मझोले उद्यमों को ग्लोबल बाजार में सफल होने के लिए तुर्किये से कौशल विकास की प्रथाओं को अपनाने की अनुशंसा करती है। आयोग ने मझोले उद्यमों के समक्ष मौजूद चुनौतियों का समाधान करने के लिए उद्यमों के कारोबार से जुड़ी एक कार्यशील पूंजी वित्तपोषण योजना, बाजार दरों पर पांच करोड़ रुपये के क्रेडिट कार्ड की सुविधा और एमएसएमई मंत्रालय की देखरेख में खुदरा बैंकों के माध्यम से त्वरित निधि वितरण व्यवस्था की शुरुआत करने की सिफारिश की। आयोग ने एमएसएमई मंत्रालय के भीतर एक समर्पित शोध एवं विकास प्रकोष्ठ बनाने की भी सिफारिश की, जो राष्ट्रीय महत्व की क्लस्टर-आधारित परियोजनाओं के लिए आत्मनिर्भर भारत कोष का लाभ उठाए। एमएसएमई क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 प्रतिशत एवं एक्सपोर्ट में 40 प्रतिशत योगदान है और यह 60 प्रतिशत से अधिक कार्यबल को रोजगार भी देता है।