फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष पर्सनल बैंकरप्ट्सी एप्लीकेशन दायर की है। इसमें कहा गया है कि उनकी लाइबिलिटीज उनकी एसेट्स से कहीं अधिक हैं। मामले से जुड़े वकीलों के अनुसार, सिंह ने दिवाला न्यायाधिकरण की दिल्ली स्थित पीठ के समक्ष दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 94 के तहत याचिका दायर की है। याचिका को सोमवार को महेंद्र खंडेलवाल और सुब्रत कुमार दास की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। इस दौरान मामले की संक्षिप्त सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई अब 20 मई को होगी। आईबीसी की धारा 94 एक देनदार को इंसोलवेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस शुरू करने के लिए एनसीएलटी में आवेदन करने की अनुमति देती है। देनदार या तो खुद या भागीदारों के साथ मिलकर या किसी रिजोल्यूशन प्रोफेशनल के माध्यम से एनसीएलटी में आवेदन कर सकता है। एक मध्यस्थता आदेश के तहत कर्ज में डूबे शिविंदर मोहन सिंह को जापानी दवा विनिर्माता दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये से अधिक देने हैं। सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी लाइबिलिटीज अब उनकी एसेट्स की वेल्यू से कहीं अधिक हैं।