रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड हमेशा पश्चिमी नियमों का पालन करती रही है और ऐसा अनुमान है कि कंपनी रूसी तेल पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों को भी स्वीकार करेगी। विश्लेषकों ने ऐसी उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि रूस से प्राप्त तेल इसके एकीकृत ईबीआईटीडीए (कर-पूर्व आय) में केवल 2.1 प्रतिशत का योगदान देता है। रिलायंस दुनिया के सबसे बड़े एकल स्थान रिफाइनिंग परिसर का संचालन करती है, जिसकी आधी से ज्यादा क्षमता विशेष रूप से निर्यात के लिए है। कंपनी भारत में रूसी तेल की सबसे बड़ी उपयोगकर्ता है। यूरोपीय संघ ने यूक्रेन-रूस युद्ध के जवाब में अपने 18वें प्रतिबंध पैकेज को मंजूरी दी थी। इसके तहत पश्चिमी शिपिंग और बीमा सेवाओं का लाभ उठाने के लिए तेल मूल्य सीमा को 60 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 47.60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल कर दिया गया। साथ ही जनवरी 2026 से तीसरे देशों में शोधित उत्पादों सहित रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया। जेफरीज ने एक टिप्पणी में कहा कि रिलायंस ने पश्चिमी प्रतिबंधों का हमेशा पालन किया है। टिप्पणी के मुताबिक, रिलायंस ने ईरान और वेनेजुएला के कच्चे तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों का पालन किया है और हमारे विचार से रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगने की स्थिति में भी इसका पालन होगा। ब्रोकरेज ने कहा कि रूस से तेल की खरीद पर रिलायंस को 1.0-1.2 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल का अतिरिक्त मार्जिन मिलता है। इसका मतलब है कि सालाना कर पूर्व आय में इसका असर सिर्फ 2.1 प्रतिशत होगा। इससे पहले हांगकांग स्थित सीएएसए ने भी रूसी तेल के उपयोग से सीमित लाभ का अनुमान लगाया था।