कई इंडियन एनबीएफसी कंपनियों ने बढ़ते क्रेडिट स्ट्रेस व इकोनोमिक प्रेशर के साथ ही इस सेक्टर के प्रति कमजोर इंवेस्टमेंट सेंटीमेंट के कारण अपने आईपीओ लाने की योजनाओं को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह ट्रेंड एनबीएफसी सेक्टर में जारी चुनौतीपूर्ण कारोबारी परिस्थितियों की ओर इशारा करता है।इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक जयपुर बेस्ड एसके फाइनेंस लि. के साथ ही बेलस्टार माइक्रोफाइनेंस लि. ने अपने आईपीओ लाने के प्लान को फिलहाल के लिए रद्द कर दिया है। इनके अलावा वेरिटास फाइनेंस लि., आय फाइनेंस लि., हीरो फिनकॉर्प, अवांसे फाइनेंशियल व क्रेडिला फाइनेंशियल सर्विसेज लि. जैसी एनबीएफसी कंपनियों ने भी आईपीओ लाने की योजना को फिलहाल के लिए डेफर कर दिया है। यह सभी कंपनियां मिलकर आईपीओ के जरिए कुल 19500 करोड़ रुपये जुटाना चाहती थी। एक्सपटर्स के अनुसार एनबीएफसी सेक्टर वर्तमान में कई चुनौतियों से घिरा हुआ है। कमजोर क्रेडिट एसेसमेंट प्रेक्टिस व रिस्की बोरोअर्स वाले सेगमेंट में अधिक एक्सपोजर के कारण इंडस्ट्री में एनपीए यानि नॉन-परफोर्मिंग एसेट्स बढ़ रहे हैं। इसके अलावा इकोनोमिक स्लोडाउन व कमजोर डिमांड के कारण इंडस्ट्री की ग्रोथ भी इंपैक्ट हुई है। एनबीएफसी सेगमेंट के संबंध में एक प्रमुख चिंता का कारण 2-7 लाख रुपये के लोन अमाउंट वाला स्मॉल अनसिक्योर्ड लोन सेगमेंट है। इस सेगमेंट में 3-5 लोन अकाउंट्स वाले बोरोअर्स का कुल बोरोअर्स में शेयर जहां केवल 4.3 प्रतिशत है पर इस सेगमेंट के कुल क्रेडिट में इनका शेयर 22 प्रतिशत है। यह Concentration Risk को इंडिकेट करता है। पिछले कुछ समय में स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुई एनबीएफसी कंपनियों के शेयरों के कमजोर परफोर्मेंस ने भी नई एनबीएफसी कंपनियों के आईपीओ प्लान के संबंध में इंवेस्टमेंट सेंटीमेंट को प्रभावित किया है। यही नहीं पहले से लिस्टेड बजाज फाइनेंस लि., चोलामंडलम इंवेस्टमेंट एंड फाइनेंस व श्रीराम फाइनेंस जैसी इस सेक्टर की प्रमुख कंपनियों के शेयरों ने चालू फाइनेंशियल ईयर में अब तक निफ्टी-50 इंडेक्स के मुकाबले कमजोर रिटर्न दिया है।
